मर्दानी – Mardaani: A Mother’s Battle on Gender Biasness

मर्दानी – Mardaani: A Mother’s Battle on Gender Biasness

मर्दानी (Mardaani) हमारे समाज में फैली लिंग जांच और भ्रूण हत्या जैसी कुरीति को दर्शाती एक Hindi Kahani है।इस कहानी के माध्यम से एक माँ के प्यार और दृढ़ संकल्प की भावनात्मक यात्रा का अनुभव करें जहाँ लड़कियों को कम आंका जाता है और अवांछित हैं।

क्या दुनिया में आने से पहले ही उसे मार देना उचित है? उसका दोष सिर्फ इतना है कि वह एक लड़की है। ईश्वर ने नर और नारी दोनों को प्रकृति में सामंजस्य के लिए बनाया है हम कौन होते हैं उसे बिगाड़ने वाले? ऐसे ही कुछ सवालों को उठाती यह मार्मिक Story in Hindi में है।

मर्दानी – Mardaani। लैंगिक पक्षपात पर एक माँ की लड़ाई – A Mother’s Battle on Gender Biasness

अरे उसे  कोसने से क्या फायदा, सब इसी की वजह से तो हो रहा है । अगर 24 साल पहले ही इसने हमारी बात मान ली होती तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। मन तो करता है इसे जिंदा जमीन में गाड़ दे… इसकी जिद की वजह से हमारे पुरखों की बनी बनाई इज्जत मिट्टी में मिल गई ।

कैसे मान लेती अम्मा उस बार आपकी बात को। अपने अंदर पल रहे उस नन्ही सी जान की पुकार को कैसे दबा देती। उस दर्द से और नहीं गुजारना चाहती जिससे पहले 4 बार गुजर चुकी थी… सुभद्रा जी ने कहा।

सुभद्रा जी एक बहुत ही संपन्न ठाकुर परिवार की बहू है । हमारा देश भले ही आजाद है लेकिन वह गांव आज भी ठाकुर साहब के अधीन है । उस गांव के हर फैसले ठाकुर परिवार ही लेता आया है । उनके आगे ना कोई कानून, ना कोई सरकार । उसी परिवार की बहू के रूप में सुभद्रा जी आज से 25 साल पहले आई ।

मां बनने का सौभाग्य ईश्वर ने उन्हें कई बार दिया लेकिन उस घर के लोगों ने ही उनसे यह सुख छीन लिया । क्योंकि वह उनके गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जांच करवाते और जैसे ही पता चलता कि गर्भ में लड़की है उसे गिरवा देते। क्योंकि उनके ठाकुर परिवार को लड़की नहीं लड़का चाहिए जो वंश आगे बढ़ा सके ।

4 बार उस दर्द से गुजरने के बाद जब फिर से उन्हें मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो उन्होंने ये निश्चय कर लिया कि इस बार वह लिंग जांच नहीं करवाएगी । इस महा पाप का भागीदार और नहीं बनेगी ।

सुभद्रा जी को अपने अंदर से जैसे आवाज आती थी कि मां मुझे बचा लो… मुझे मत मारो मां… मुझे भी अपने गर्भ से गोद में आने दो मां… ये सुंदर दुनिया देखने दो मां… मैं पढ़ लिख तुम्हारा नाम करूंगी मां । तुम भी तो किसी की बेटी हो ना मां… क्या मुझे ये सौभाग्य नहीं दोगी ? मैं तुमसे कुछ नहीं मांगूगी मां… बस थोड़ा सा प्यार दे देना, बदले में मैं पूरी दुनिया जीतकर तुम्हारे कदमों में रख दूंगी मां

सुभद्रा जी अपने अंदर की आवाज को दबा नहीं सकी लेकिन कहती भी तो किससे । उनके पति रूद्र जी भी यही सोच रखते थे कि बेटी नहीं… बेटा चाहिए जो उनका वंश और उनकी परंपरा आगे बढ़ा सके । और रूद्र जी अपनी माँ का विरोध नहीं कर सकते थे चाहे वो फैसला गलत ही क्यों न हो ।

सुभद्रा जी पर फिर से लिंग जांच करवाने का फैसला सुनाया गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया । जिसके लिए उन्हें बहुत सारी प्रताड़ना और तकलीफों का सामना करना पड़ा । उन्होंने सब कुछ सहन किया लेकिन इस बार अपना गर्भपात नहीं करवाया और 1 दिन एक नन्हीं गुड़िया उनके गोद में आई । अपनी नन्ही-नन्ही आंखों से उनको देख रही थी और जैसे कह रही हो धन्यवाद मां… मुझे इस दुनिया में लाने के लिए । आपने अपना वादा पूरा किया मां… अब मेरी बारी है, मैं भी अपना वादा पूरा करूंगी ।

सुभद्रा जी को एहसास था की बच्ची को जन्म देने में जितनी प्रताड़ना और तकलीफों का सामना करना पड़ा उससे कहीं ज्यादा उसके पालन-पोषण में होगी उन्हें, और हुआ भी वही । उन्हें उस बच्ची के पालन से लेकर पढ़ाई-लिखाई तक बहुत सारी तकलीफों का सामना करना पड़ा । इसी बीच सुभद्रा जी को एक बेटा भी हुआ लेकिन उसके बाऊजूद उनकी प्रताड़ना कम नहीं हुई क्योकि उसने घर वालों की मर्जी के खिलाफ बेटी को जो जनम दिया था ।

लेकिन उन तकलीफों के बावजूद वह बच्ची अब एक आईएएस ऑफिसर बन कर अपनी मां के सपनों को पूरा कर रही थी । आज वो बेटी घर आ रही थी अपनी मां से मिलने और साथ में उसे भी लेके आ रही थी जिससे वो शादी करना चाहती थी। । क्योंकि बिना अपनी मां के आशीर्वाद के वो कैसे नया जीवन शुरू करती ।

सुभद्रा जी ने यही बात आज घर में बता दी जिसकी वजह से यह हंगामा शुरू हो गया । पिता और दादी को तो हमेशा से ही उससे दिक्कत रही लेकिन छोटा भाई भी आज उसके खिलाफ था । इसमें उसका दोष नहीं उसकी परवरिश ही ऐसी की कि जिसका परिणाम यही होना था । आज वो अपनी मां पर भी हाथ उठाने में शर्म नहीं महसूस कर रहा था ।

सुभद्रा जी के पति रूद्र जी आज गुस्से में उन्हें मार ही डालना चाहते थे । सुभद्रा जी को अपनी बात कहता देख आज रूद्र जी गुस्से से कांप उठे और बोले तुम्हारी इतनी हिम्मत बढ़ गई कि तुम मां को जवाब दो । तुम्हारी बेटी ने उस नीच जाति से विवाह कर हमें समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा । तुम हो कौन हमें ज्ञान देने वाली ।

मर्दानी है वो (She is Mardaani)” उस रौबीली आवाज से पूरे घर में सन्नाटा छा गया जो दरवाजे के बाहर से आ रही थी ।

दरवाजे से अंदर आती उस महिला अफसर को देख एक बार सब के रोंगटे खड़े हो गए । प्रणाम मां… अंदर आते ही प्रत्यक्षा ने सुभद्रा देवी को चरण स्पर्श कर प्रणाम किया । ये वही नन्हीं बच्ची है जिसके लिए सुभद्रा जी ने इतने कष्ट उठाए और जिसका नाम प्रत्यक्षा इसलिए रखा कि वो मां दुर्गा का एक नाम है और आज वो नाम सार्थक होता दिख रहा था ।

सही सुना आप लोगों ने, मर्दानी है मेरी मां । जो इस घर के पुरुष नहीं कर पाए वो मेरी मां ने कर दिखाया । समाज के उन दोहरी मानसिकता वाले लोगों को एक कड़ा जवाब दिया ।

आज तक मां ने आप लोगों की हर प्रताड़ना को बर्दाश्त किया ताकि उसकी बेटी सुरक्षित रह सके । वरना आप लोग तो मां के गर्भ में ही हमें मार देना चाहते थे । क्योंकि आप लोगों को बेटी नहीं बेटा चाहिए था ।

मुझे तो शर्म आती है कि ऐसी सोच रखने वालों के घर में मेरा जन्म हुआ । अगर आप लोगों की तरह ही सब लोग सोचने लगे तो बहू कहां से लाओगे ? अपने बेटों की शादी क्या जानवरों से करोगे ? जानवर भी आप जैसे लोगों से अच्छे हैं क्योंकि वह बेटा बेटी में फर्क तो नहीं करते ना ।

“सुभद्रा… अपनी बेटी को बोल जबान संभाल कर बोले नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा” सुभद्रा जी की सास ने गुस्से में चीखते हुए कहा ।

तुम से बुरा कोई हो ही नहीं सकता अम्मा… जब तुम एक औरत होकर एक औरत का दर्द नहीं समझ सकी । तुम तो ये भी भूल गई अम्मा कि तुम भी किसी की बेटी हो । अगर उसने भी तुम्हारी तरह सोचा होता तो आज तुम भी नहीं होती इस दुनिया में ।

शक्ति के बिना शिव भी कुछ नहीं है, बिना राधा के श्याम नहीं, बिना सीता के राम नहीं, फिर भी आप लोग ऐसा सोचते हो । ऐसा क्या है जो एक बेटा कर सकता है और एक बेटी नहीं । बेटियां तो इस संसार का सृजन कर सकती है बेटा नहीं ।

अपने आप को मर्द कहने वाले मेरे पिताजी जब इस समाज की कुरीतियों के खिलाफ नहीं खड़े हो सके तो आप ही बताओ असली मर्द कौन है? इसलिए मैं अपनी मां को मर्दानी (Mardaani) कहती हूँ । पूरी दुनिया से लड़ कर जिसने मुझे जन्म दिया, मेरी देखभाल और सुरक्षा की वही मर्दानी । और आज मैं अपनी इस मर्दानी (Mardaani) को इस नरक से ले जाने आई हूं ।

दोस्तों आप ही बताएं क्या लिंग जांच करना सही है? क्या दुनिया में आने से पहले ही उसे मार देना उचित है? उसका दोष सिर्फ इतना है कि वह एक लड़की है । ईश्वर ने नर और नारी दोनों को प्रकृति में सामंजस्य के लिए बनाया है हम कौन होते हैं उसे बिगाड़ने वाले? आपकी क्या राय है जरूर बताएं…


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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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