ये 12 कानूनी अधिकार बनाते हैं भारतीय महिलाओं को सशक्त। 12 Indian Laws for Women’s Rights to Empower them
महिलाओं को सशक्त करने के लिए भारत के संविधान और कानून व्यवस्था में कई सारे अधिकार (Indian laws for women’s rights) दिए गए हैं।
इस लेख में महिलाओं के लिए 12 जरूरी और महत्वपूर्ण अधिकारों (12 Essential and Important Women’s Rights in India) के बारे में आसान शब्दो में बताया गया ताकि वह अपने अधिकारों को समझ सके और जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल कर सके।
महिला सशक्तिकरण के लिए भारतीय कानूनों का परिचय । Introduction of Indian laws for Women’s Rights or Legal Rights of Women in India :
Table of Contents
तेजी से विकसित होती दुनिया में, महिलाओं के अधिकारों (women’s rights) की लड़ाई एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। प्रगति के बावजूद, महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने के अधिकार सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं में समानता प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
भारत में महिला सशक्तिकरण और मूल अधिकार (Indian laws for women’s rights for empowerment) देश की प्रगति और विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
इस लेख का उद्देश्य महिलाओं के मौलिक और कानूनी अधिकारों (Maulik Adhikar and Legal Rights of Women in India) पर प्रकाश डालना है, जो की न्यायसंगत समाज को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। और साथ ही साथ सभी नागरिक अपने अधिकारों को समझें और रक्षा करने वाले कानूनों से अवगत हों।
यहां पर कुछ ऐसे कानूनों पर भी चर्चा करेगे जो महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पारित किए गए हैं। इन कानूनों को समझकर हम अपने महिला साथी नागरिकों को भी सशक्त बना सकते हैं।
महिलाओं के अधिकारों का महत्व। Importance of Women's rights in India
एक न्यायपूर्ण और संतुलित समाज के लिए महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। कोई भी समाज या देश महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित रखते हुए, एक ऐसा वातावरण बनाता हैं जो महिलाओं को उनकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में योगदान करने की अनुमति देता है।
ऐसा करने से महिलाओं को बिना डर और झिझक के समाज में बढ़चढ़कर अपना हुनर दिखाने का अवसर मिलता है और वे अपनी पूरी क्षमता (full potential) को विकसित कर सकती हैं। महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा और प्रोत्साहन (Protection and promotion of women’s rights) से समाज में न्याय और समानता का वातावरण सृजित होता है, जिससे राष्ट्र का विकास सुनिश्चित होता है।
इसलिए, महिलाओं के अधिकारों की महत्वपूर्णता को समझना और समर्थन करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। क्योंकि “एक अच्छे राष्ट्र के निर्माण के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो स्थिरता वाला समाज सुनिश्चित होता है।” – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ और भेदभाव। Challenges and discrimination faced by women
कई क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद, महिलाओं को आज भी सामाजिक, आर्थिक, और न्यायिक रूप से अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। नीचे दिए गए कुछ तथ्यों के माध्यम से हम उन चुनौतियों को समझने की कोशिश करेंगे:
1. साक्षरता। Literacy
भारत में महिलाओं की साक्षरता दर में अभी भी कमी है। नीति आयोग के अनुसार, 2017-2018 के अनुसार, महिलाओं की साक्षरता दर 70.3% है, जबकि पुरुषों में यह 84.7% है (Source: Neeti Aayog, UNESCO report, Times of India article dated 27th Sep’22)।
2. आर्थिक संकट और रोजगार में भागीदारी। Economic crisis and participation in employment:
महिलाओं को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, करियर और परिवार के मध्य संतुलन की कमी के कारण, केवल 27% महिलाएं ही कामकाजी हैं। इस वजह से महिलाओं को अपने पुरुष साथी या परिवारजनों के ऊपर निर्भर होना पड़ता है।
3. यौन हिंसा। Sexual violence:
महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा हमारे देश में एक बहुत ही गंभीर समस्या है और आए दिन इन घटनाओं के बारे में हम खबरों में पढ़ते रहते हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार , भारत में बलात्कार के 32,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, और यह अनुमान लगाया गया है कि वास्तव में 10 में से केवल 1 मामले की रिपोर्ट की जाती है।
4. बाल विवाह। Child marriage:
बाल विवाह अभी भी भारत में एक व्यापक समस्या है। यूनिसेफ (UNICEF) की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 27% लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी जाती है।
बाल विवाह के कारण लड़कियों को कई नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिनमें प्रारंभिक गर्भावस्था (risk of early pregnancy), प्रसव संबंधी जटिलताओं (childbirth complications) और मृत्यु (death) इत्यादि शामिल है।
भारतीय संविधान में महिलाओं के विशेषाधिकार। Women's Rights in Indian Constitution or Indian Laws for Women's Right :
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद पुरुषों और महिलाओं के बीच समान अधिकार (equal rights between men and women) मानव अधिकारों की सूची में रहा है।
1945 में बने संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अनुच्छेद 1 (article 1) में कहा गया है कि जाति, लिंग, भाषा या धर्म के भेद के बिना ‘मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के लिए सम्मान’ को बढ़ावा देना हैऔर लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
भारत, संयुक्त राष्ट्र संघ का एक हिस्सा है और भारत का कानून भी महिलाओं के विशेष अधिकार का समर्थन करता है।
भारतीय संविधान में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा (women’s rights in indian constitution) के लिए कई प्रावधान जैसे आर्टिकल 5, 7, 14, 15(1),16, 19, 21, 23(3), 32, 39(a & d), 42, 226, 300(a) हैं। इन प्रावधानों में महिलाओ के समान अधिकार के साथ साथ भारत का संविधान बिना किसी भेदभाव के महिलाओं को समाज का एक अभिन्न अंग होने का समर्थन करता है और उन्हें राष्ट्र के विकास और अच्छी जीवन शैली का अवसर प्रदान करता है।
महिलाओं के 12 अधिकार जो उन्हें सशक्त बनाते हैं। 12 rights of women that empower them or laws related to women's rights in India :
अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है की भारत में महिलाओं के क्या अधिकार हैं (what are the women’s rights in india)?
नीचे भारत में महिलाओं के 12 अधिकारों की सूची (list of women’s rights in india) दी गई है जो उन्हें सुरक्षित और सशक्त बनाती है और यह हर महिला को जानना और समझना जरूरी है :
1. समान वेतन और समान अवसर का अधिकार। Right to Equal Opportunity and Equal Pay:
भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को समान वेतन और समान अवसर का अधिकार दिया गया है। इसके अनुसार लिंग का भेदभाव नहीं कर सकते।
आर्टिकल 39(a) के द्वारा भारतीय संविधान में यह सुनिश्चित किया गया है कि महिला या पुरुष दोनों को समान रूप से आजीविका के साधन का अधिकार हो और आर्टिकल 39 (d) के अनुसार, न केवल पुरुषों बल्कि महिलाओं के लिए भी समान काम के लिए समान वेतन हो।
2. गरिमा और शालीनता का अधिकार। Right to Dignity and Decency:
भारतीय कानून महिलाओं की गरिमा और शालीनता (women’s rights in indian law) को सर्वोपरि मानता है। और उनको सुरक्षित रखने के लिए भारतीय दंड संहिता (The Indian Penal Code or IPC) के तहत किसी भी महिला के साथ यौन उत्पीड़न (धारा 354ए- Section 354A), उसके निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला (धारा 354बी – Section 354B), ताक-झांक (धारा 354सी – Section 354C), पीछा करना (धारा 354डी – Section 354D), और इसी तरह के सभी अपराध दंडनीय हैं।
इसके अलावा किसी महिला से पूछताछ एक महिला अफसर या उसकी परिवार की निगरानी में ही की जा सकती है। या किसी महिला की गिरफ्तारी, उसकी तलाशी एक महिला अफसर या उसकी निगरानी में किए जाने का प्रावधान है।
यदि कोई भी उसको भंग करने की कोशिश करता है तो उसे कानून सजा दे सकता है। हर महिला को डर, हिंसा और भेदभाव से मुक्त जीवन जीने का अधिकार है।
3. दफ़्तर या कार्य स्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा। Protection from harassment in office or workplace:
महिलाओं के लिये एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण बनाना तथा उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह कानून बनाया गया है। किसी भी कार्यस्थल पर शारीरिक संपर्क और यौन प्रस्ताव, अश्लील टिप्पणी या भाषा का उपयोग, अश्लील चित्र दिखाना एक दंडनीय अपराध है।
पोश एक्ट (PoSH Act or Prevention of Sexual Harassment at the Workplace Act) के अनुसार महिलाएं यौन उत्पीड़न की शिकायत कर सकती हैं। लिंग भेदभाव के बिना सभी कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित कार्य करने का वातावरण प्रदान करने के लिए यह अधिनियम बनाया गया है।
इसके अलावा, IPC Section 354A के तहत सजा दिए जाने का भी प्रावधान है।
4. घरेलू हिन्सा के खिलाफ के अधिकार। Right against domestic violence:
घरेलू हिंसा में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है। घरेलू हिंसा अधिनियम का संक्षिप्त नाम ‘घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005’ है।
घरेलू हिंसा में न केवल शारीरिक या यौन शोषण बल्कि मानसिक, मौखिक या भावनात्मक प्रताड़ना और आर्थिक शोषण भी शामिल है। महिला कोई भी हो जैसे कि बेटी, पत्नी, या लिव-इन पार्टनर; शोषण करने वाला साथी या पति या रिश्तेदार, रक्त संबंधी या गोद लेने वाले व्यक्ति के द्वारा ऐसा दुर्व्यवहार करना घरेलू हिंसा के अधिनियमों के अंतर्गत हैं।
महिलाएं राज्य द्वारा जारी की गई महिला हेल्प नंबर पर भी मदद ले सकती हैं और शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
किसी महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करना या उससे संबंधित किसी अन्य व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार करने की धमकी देना घरेलू हिंसा के अधिनियम के अंतर्गत है और संविधान ऐसी महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है।
5. पहचान जाहिर नही करने का अधिकार। Right of Anonymity:
भारतीय संविधान के तहत यदि कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार होती है तो वह अकेले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को शिकायत दर्ज करा सकती है या अपना बयान दे सकती है या किसी महिला पुलिस अधिकारी को शिकायत दर्ज करा सकती है।
यह कानून महिला की निजता की सुरक्षा (privacy protection) के लिए बनाया गया है। संविधान के अनुसार पीडिता का असली नाम या उससे जुडी कोई भी जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
यौन उत्पीड़न का शिकार हुई महिला का नाम, निवास स्थान, परिजनों का नाम, या उससे जुड़े अन्य जानकारी को भी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। ऐसा करना दंडनीय अपराध है और IPC Section 376A, 376B, 376C, 376D, 376G के तहत पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने पर दो साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
6. मुफ्त कानूनी मदद और आत्मरक्षा का अधिकार। Right to free legal aid and self defense
संविधान में आर्टिकल 39A के अंतर्गत समान अवसर के आधार पर राज्य को यह सुनिश्चित करने का आदेश देता है यदि पीड़ित महिला कानूनी प्रणाली का खर्च वाहन करने की स्थिति में नहीं है तो मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने का निर्देश है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी नागरिक को आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण न्याय प्राप्त करने से वंचित ना हो सके।
किसी महिला पर यदि कोई हमलावर गंभीर चोट या बलात्कार, अपहरण, कमरे में बंद करने का इरादा, एसिड फेंकता है या फेंकने का प्रयास करता है, उस परिस्थिति में महिला अपनी आत्मरक्षा के लिए उस व्यक्ति को हानि पहुंचा सकती है।
7. रात में महिला को नही कर सकते गिरफ्तार। Can't arrest a woman at night
महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए भारतीय दंड संहिता (The Indian Penal Code or IPC) के तहत कड़े कानून बनाए गए हैं। IPC Section 46 (4) के अनुसार सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
यदि किसी परिस्थिति में महिला को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय के पहले गिरफ्तार करना है तो प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट की लिखित अनुमति के बाद ही महिला पुलिस अधिकारी द्वारा किसी महिला को गिरफ्तार किया जा सकता है।
महिलाओं की गरिमा और उनकी सुरक्षा के लिए संविधान में इस कानून का प्रावधान किया गया है।
8. वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार। Right to Register Virtual Complaint
यदि कोई महिला किसी कारणवश शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती है तो वह अपनी शिकायत सीनियर पुलिस ऑफिसर, डिप्टी कमिश्नर, कमिश्नर ऑफ पुलिस को लिखित रूप से भी दे सकती है।
इसके लिए वह ईमेल या रजिस्टर्ड डाक का सहारा ले सकती हैं। इसके पश्चात पुलिस द्वारा पीड़ित महिला के घर किसी महिला ऑफिसर या महिला कॉन्स्टेबल के द्वारा उसका बयान दर्ज करवाया जाता है।
9. अशोभनीय भाषा का नही कर सकते इस्तेमाल। Can't use offensive language
भारतीय संविधान के तहत किसी भी महिला को उसके शरीर के किसी भी अंग के बारे में किसी भी तरह के अभद्र भाषा का प्रयोग करना दंडनीय अपराध है। ऐसा करना नैतिकता को भ्रष्ट करने के रूप में प्रदर्शित करता है।
अपमानजनक भाषा का जानबूझकर उपयोग करने और महिला को अपमानित करने के लिए कानून सजा भी दे सकता है।
10. महिला का पीछा नहीं कर सकते। Can't stalk women
किसी भी व्यक्ति के द्वारा महिला का पीछा किया जाना, महिला के द्वारा मना करने के बावजूद भी उससे बार-बार संपर्क करना या किसी भी प्रकार का कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ईमेल के जरिए संपर्क करना या महिला को मॉनिटर करना कानूनन अपराध है।
यदि किसी व्यक्ति द्वारा ऐसा किया जाता है तो महिला उसकी शिकायत कर सकती हैं और कानून उसे सजा दे सकता है।
11. जीरो एफ आई आर दर्ज कराने का अधिकार। Right to Zero FIR
भारतीय दंड संहिता (The Indian Penal Code or IPC) के तहत महिलाओं की सुरक्षा और उनकी गरिमा बनाए रखने के लिए उन्हें जीरो एफ आई आर (Zero FIR) की सुविधा प्रदान की गई है।
जीरो एफ आई आर (Zero FIR) का मतलब होता है यदि महिला के साथ कुछ अपराधिक घटना या गतिविधि होती है तो वह अपनी शिकायत किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज करा सकती है।
इसके बाद उसे उस थाने तक पहुंचा दिया जाता है जहां घटना हुआ हो, इसे जीरो एफ आई आर (Zero FIR) कहते हैं
12. मैटरनिटी लीव का अधिकार। Right to Maternity Leave
भारतीय संविधान के आर्टिकल 42 (Article 42) के अंतर्गत महिला किसी भी सरकारी संस्थान या निजी संस्थान में कार्यरत है तो मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) अर्थात मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार है।
निष्कर्ष। Conclusion of Women's rights in Indian law Essay
महिलाओं के अधिकार मौलिक मानवाधिकार हैं जिनके लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता सुनिश्चित करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए चल रहे प्रयासों की आवश्यकता है।
महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करके, शिक्षा को बढ़ावा देकर, आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर, लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करके, और नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाकर, हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जो अपने सभी सदस्यों के अधिकारों को महत्व देता है और उनका सम्मान करता है।
यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करें और एक ऐसी दुनिया की दिशा में काम करें जहां लैंगिक समानता एक वास्तविकता बन जाए।
Disclaimer: This article is intended to provide general information about women’s rights in India. It is not intended to be a comprehensive or definitive guide to the topic. The information in this article is based on a variety of sources, including expert advice from a legal practitioner who is also a mentor of the author. However, it is important to note that the situation for women in India is constantly changing, and the information in this article may not be up-to-date.
अस्वीकरण: इस लेख का उद्देश्य भारत में महिलाओं के अधिकारों के बारे में सामान्य जानकारी प्रदान करना है।हमारा मकसद महज सूचना पहुंचाना है, इसलिए उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों पर आधारित है, जिसमें कानूनी मामलों के विशेषज्ञ या वकील की सलाह भी शामिल है, जो लेखक के मार्गदर्शक (Mentor) भी हैं। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत में महिलाओं की स्थिति लगातार बदल रही है, और इस लेख की जानकारी नवीनतम नहीं हो सकती है।
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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।
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