एक स्मार्ट माँ। A Smart Mom: Innovative Approach to Raise Screen Addicted Kid

एक स्मार्ट माँ। A Smart Mom: Innovative Approach to Raise Screen Addicted Kid

क्या आपके बच्चे स्क्रीन के आदी हैं, और आप समाधान के लिए बेताब हैं? एक स्मार्ट माँ (A Smart Mom) की अविश्वसनीय यात्रा की खोज करें, जिसने तकनीकी लड़ाई से थककर अपने बच्चों को आज़ाद कराने का एक अभूतपूर्व तरीका खोजा। उसके अभिनव समाधान के रहस्यों को उजागर करें और जानें कि क्यों कभी-कभी, सबसे सरल उत्तर सबसे प्रभावी होते हैं।

आंचल बृजेश मौर्य की इस स्व-लिखित कहानी (Swarachit Hindi ki Kahani) के माध्यम से डिजिटल युग में पालन-पोषण के लिए अंतिम मार्गदर्शिका पढ़ना न भूलें!

एक स्मार्ट माँ। A Smart Mom: Innovative Approach to Raise Screen Addicted Kid – A Heartwarming Emotional Hindi Story

वाह कन्नू, क्या खुशबू है… सच में आज तो विराज के मजे हैं। आज जब तक उसका पेट ना भर जाए या यह लड्डू ना खत्म हो जाए तब तक उसे कोई रोक नहीं सकता।

क्या भाभी आप भी ना मेरे मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ती। नहीं कन्नू सच में, मैं कितनी भी कोशिश कर लूं, लेकिन तेरे हाथों की बने लड्डू और नारियल की चटनी में जो स्वाद है, वह आता ही नहीं है।

अच्छा अब यह सब रहने दो कन्नू, मैं कर लूंगी। तुम हाथ धोकर बाहर लॉन में जरा शैतानों को देखो, बड़े मजे से तितलियां पकड़ रहे हैं तीनों। मैं भी हम दोनों की चाय लेकर वहीं आती हूं।

ठीक है भाभी लेकिन चाय में इलायची डालना मत भूलना। हां मेरी छुटकी मुझे याद है। अब तुम जाकर बैठो मैं बनाकर लाती हूं।

ठीक है… कन्नू भी मुस्कुरा कर लॉन में चली गई। वहां कन्नू का 6 साल का बेटा उसकी भाभी सुजाता के दोनों बच्चों के साथ दौड़-दौड़ कर तितलियां पकड़ रहा था, और खूब खुश हो रहा था।

कन्नू यानी कनिका जो बहुत समय बाद अपने मायके आई है। मां पिताजी नहीं रहे लेकिन कनिका को उसके भाई- भाभी ने कभी उनकी कमी महसूस नहीं होने दी। उसकी भाभी ने हमेशा ही कनिका को अपने बच्चों जैसा प्यार दिया।

 यह लो कन्नू तुम्हारी चाय और तुम्हारा फेवरेट बिस्किट।

 भाभी यह अभी भी मिलते हैं? हां नुक्कड़ पर जो दुकान वाला था ना उसी के यहां से मंगाई है,अब उसकी दुकान आगे मार्केट में हो गई है। कन्नू और सुजाता दोनों चाय पीने लगी और इधर-उधर की हल्की-फुल्की बातें करने लगी।

 कन्नू एक बात पूछूं?

 हां भाभी बोलिए क्या बात है?

 तुम इतनी थकी- थकी और उदास क्यों लग रही हो, कोई बात है क्या?

 कन्नू बताओ ना।

 नहीं भाभी आप ऐसे क्यों बोल रही है?

 कन्नू तुम मन से बहुत थकी हुई लग रही हो। जो कन्नू घर में आ जाए तो सूनी दीवार भी बोलने लगे, जो रोते हुए को हंसा दे, वह कन्नू को क्या ससुराल में छोड़ आई हो?

 क्या हुआ बोलो ना?

 मम्मी जी से फिर कुछ हुआ क्या? कुछ कहा क्या उन्होंने ?

हां भाभी थोड़ा परेशान तो हूं, लेकिन मम्मी जी को लेकर नहीं। उनकी बातों और तानो की तो अब आदत हो गई है, और मेरी परेशानी रोहन को लेकर है।

 क्या हुआ है रोहन को ? उसका स्वास्थ्य तो ठीक है फिर क्यों इतना परेशान हो?

 भाभी स्वास्थ्य को लेकर कोई परेशानी नहीं है। परेशान मैं इसकी आदतों को लेकर हूं। यहां देखिए कितने अच्छे से खेल रहा है, वहां घर पर तो फोन और टीवी से हटता ही नहीं है। जिसकी वजह से उसकी पढ़ाई तो डिस्टर्ब हो ही रही है, बल्कि उसकी आदतों में भी बदलाव होता जा रहा है।

कुछ कहो तो बात बात पर चिल्लाता है और गलत तरीके से जवाब देता है। समझ नहीं आ रहा है क्या करूं?

कन्नू बच्चे को ज्यादा समय दे, उसके साथ गेम खेल। क्या वहां आस-पास बच्चे नहीं है, हम उम्र के उनके साथ खेलने दे।

 वही तो मैं कर नहीं पा रही हूं, भाभी सारे घर की जिम्मेदारी मुझ पर ही है, मैं चाह कर भी इसे समय नहीं दे पाती हूं, और जब भी फोन के लिए डांटती हूं तो मम्मी जी मुझे सुनाने लगती है, कि बच्चे की हंसी खुशी तुझे अच्छी नहीं लगती है क्या?

 कंगलों के खानदान से है, तुझे क्या पता बड़े घर के बच्चे कैसे पाले जाते हैं, कौन सा तू अपने मायके से फोन लेकर आई है। अरे एक खराब हो गया तो दूसरा आ जाएगा। पड़ोसियों के बच्चों के साथ भी नहीं खेलने देती है। कहती है, छोटे लोग हैं।

 स्कूल से आने के बाद सारा टाइम इसका वीडियो गेम, फोन और टीवी में ही चला जाता है।

 कन्नू तो तूने सौरभ से बात की इस बारे में?

नहीं भाभी वह बिजनेस के कामों में इतने परेशान रहते हैं, कि क्या कहूं? कब कहूं? समझ नहीं आता। बिजनेस के चक्कर में उन्हें ज्यादातर शहर से बाहर ही रहना पड़ता है, और यह सब सास- बहू वाली बातें बताकर मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहती। उनके काम के तनाव को तो काम नहीं कर सकती, तो कम से कम उनको परिवार की तनाव से दूर रख सकती हूं ना।

 मम्मी जी का उनके पोते के प्रति प्यार उसे किस दिशा में ले जा रहा है यह कैसे समझाऊं? यही मेरी परेशानी का कारण है।

कन्नू बच्चों के सही विकास के लिए उसके तन और मन दोनों का सही विकास होना बहुत जरूरी है। आज के समय में यह सारी चीज जीवन का एक हिस्सा है, इसे हम बदल नहीं सकते। लेकिन यह हमारे जीवन को नहीं बल्कि हम इन्हें चलाएं तो अच्छा है।

 इस फोन और इंटरनेट की दुनिया में बच्चे जहां समय से पहले बड़े हो जाते हैं, वहीं गलत तरीके से गलत जानकारी की वजह से कुछ ऐसी गलतियां कर लेते हैं, जिससे जीवन भर पछताना पड़े। समय बदल रहा है कन्नू हमें भी समय के साथ तेजी से बदलना होगा।

 हम इन सब चीजों को रोक नहीं सकते, लेकिन हां लगाम जरूर लगा सकते हैं। बच्चों को  दूसरों के सामने डांटना या उन पर हाथ उठाना उनके अंदर गलत मानसिकता भर देता है।

 माता-पिता की भी लाइफ इतनी बिजी हो गई है कि बच्चों को समय दे पाना उनके लिए भी मुश्किल होता जा रहा है। कन्नू आज मैं तुझे एक कहानी सुनाती हूं जो है तो बच्चों की लेकिन हम माओ के लिए भी परफेक्ट है।

 सुन एक बार इतनी जोरदार की गर्मी पड़ी की पानी के सारे तालाब, नदियां सूख गए। जंगल के सारे पशु-पक्षी परेशान, की क्या करें, कहां जाए?

लेकिन तभी कौवा बोला तुम लोग ऐसे ही परेशान होते रहो, मैं तो इस तरह की परेशानी से निपट चुका हूं, और तब भी मैंने खूब पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी और इस बार भी मुझे पानी की कोई परेशानी नहीं होगी, मैं तो चला और तुम सब लोगों में से सबसे पहले पानी पीकर मैं ही वापस आऊंगा।

 इतना बोलकर कौवा पानी की तलाश में उड़ गया। आस-पास के सभी तालाब सूख चुके थे । कौवा भी गर्मी से परेशान हो चुका था। उड़ते उड़ते वह एक गांव के ऊपर से गुजरा तो वहां उसने देखा एक कुएं पर कुछ औरतें पानी भर रही थी।

 पानी को देखकर कौवे की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वह तुरंत कुएं के पास पहुंचकर खुशी के मारे काव-काव करने लगा। लेकिन कौवा को काव-काव करता देख वहां की औरतों ने उसे मार कर उड़ा दिया।

 कौवा बेचारा पानी न पी पाया, और फिर से पानी की तलाश में लग गया।

 थोड़ी दूर पर उसे एक घड़ा दिखाई पड़ा। वह खुश हो जाता है, चलो इस बार भी मुझे पानी का घड़ा मिल गया अब पानी पीकर में अपनी प्यास बुझा लूंगा और जंगल में सबको जलाऊंगा की इतनी गर्मी में भी मैं पानी पीकर लौटा हूं ।

कौवा तुरंत घड़े के पास गया उसने  घड़े में झांक कर देखा तो घड़े में पानी तो था, लेकिन उसकी पहुंच से दूर था। उसने मुस्कुराकर कहा मुझे पता है, कि मुझे क्या करना है। कौवा तुरंत उड़ा और एक-एक करके कंकड़ उसमें डालने लगा।

कुछ कंकड़ डालने के बाद उसने देखा अब भी पानी उसकी पहुंच से दूर था। उसने फिर से कंकड़ डालने का काम शुरू कर दिया। फिर थोड़ी देर मेहनत करने के बाद उसने फिर से घड़े में झांककर देखा, लेकिन अभी भी पानी उसकी पहुंच से दूर था।  

 उसने सोचा थोड़ा और कंकड़ डालता हूं, तब पानी मिल जाएगा। वह कंकड़ लाने के लिए उड़ जाता है।

 वही पेड़ पर एक तोता बैठा था। वह कब से कौवे के इस काम को देख रहा था। कौवे के उड़ने ही तोता नीचे आया और उसने देखा पानी सचमुच पहुंच से दूर है। तभी उसने वहीं पास में जमीन पर पड़ा एक स्ट्रॉ देखा। तोता झट से वह स्ट्रॉ उठा लाया, और स्ट्रॉ से पानी पीने लगा।उसने खूब पानी पीकर मजे से अपनी प्यास बुझाई।

इतने में कौवा कंकड़ लेकर आता है, और देखता है की घड़े का सारा पानी खत्म हो गया है, और तोता बड़ी ही चालाकी से पानी पीकर उड़ जाता है, कौवा बेचारा कंकड़ ही बिनता रह जाता है।

 इसलिए कन्नू हमें कंकड़ नहीं बिनना, स्ट्रॉ उठा और पानी पी। हम भी आजकल की स्मार्ट मां है। पुराने समय वाले डांट, फटकार और मारपीट अब किसी काम के नहीं है, बल्कि वह बच्चों को हमसे दूर ही करते हैं। तो तू भी बच्चों के साथ बच्चा बन, और जब वह गेम खेलें तो उसके साथ थोड़ी देर तू भी गेम खेल और उसके लिए वह सही या गलत है इस बात का ध्यान रख।

 अब तो फोन में और लैपटॉप में डिजिटल ड्राइंग भी है, और कितने सारे बच्चों के ऐप है जो अच्छे भी हैं और बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी सही है। तुझे तो खुद पेपर के कितने सारे खिलौने बनाने आते हैं, तो बना।

 ड्राइंग भी तेरी अच्छी है, पहले तू खुद उसके सामने मजे लेकर यह सब कर, उसे मत बोल करने के लिए, तुझे इन सब चीजों के साथ इंजॉय करता देखा वह खुद भी लग जाएगा।

 कन्नू… काम तो जीवन भर खत्म नहीं होगा, जब तक है, काम तो करना ही है, लेकिन बच्चे का बचपन जरूर खत्म हो जाएगा। इसलिए यह हमें तय करना है, कि हमें प्राथमिकता किसको देनी है। ना ही अपने बच्चे की किसी से तुलना करनी है, खासकर उसके सामने।

 हमें बस इस चीज का ध्यान देना है कि वह क्या करना चाहता है।

 सच भाभी… मैं जिस परेशानी को लेकर इतना टेंशन में थी कि मेरे सिर में दर्द रहने लगा था, अब आपके हाथों की यह मालिश ने मेरे सर का दर्द और आपकी बातों ने मेरे दिमाग, दोनों का दर्द निकाल दिया। सच में आपके हाथों और बातों में जादू है। भाभी तभी मैं सोचूं, भैया दिन पर दिन जवान कैसे होते जा रहे हैं? अब समझ में आया मुझे। और दोनों एक दूसरे की मजे लेकर हंसने लगी।

 तभी कन्नू के भाई अभी की आवाज आई। अरे भाई आज  लॉन में बुलबुल भी चहक रही है, नहीं तो रोज चूजों को ही दौड़ते देखा है। अभी की बातों पर उन दोनों की हंसी फूट पड़ी, और सब ने बच्चों के साथ मिलकर खूब एंजॉय किए।

इस कहानी से सबक। Lesson from this Hindi Story of A Smart Mom:

निरंतर तकनीकी प्रगति के इस युग में, एक स्मार्ट माँ (A Smart Mom) की कहानी हमें एक मूल्यवान सबक सिखाती है कि आधुनिक समस्याओं का हमेशा एक रचनात्मक समाधान होता है। पारंपरिक तरीकों पर भरोसा करने के बजाय, लीक से हटकर सोचें और चुनौतियों से निपटने के लिए नए तरीके खोजें।

मुख्य बात नए, कल्पनाशील समाधानों को अपनाना है, जिससे यह साबित हो सके कि सरलता जटिलता पर विजय पा सकती है। तकनीक से संबंधित संघर्षों का सामना करने वाले सभी माता-पिता के लिए, नैतिकता स्पष्ट है – अपने दिमाग को रचनात्मक विकल्पों के लिए खोलें और अपने बच्चों के साथ डिजिटल युग में चलने में अपरंपरागत समाधानों की शक्ति की खोज करें।


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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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