लिव-इन रिलेशनशिप की दुविधा। The Dilemma of Live-In Relationships: Love, Career, and Society

लिव-इन रिलेशनशिप की दुविधा। The Dilemma of Live-In Relationships: Love, Career, and Society

एक दिल छू लेने वाली हिंदी कहानी (heartwarming Hindi story) के लिए तैयार हो जाइए जो लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in relationship) के आधुनिक भारतीय विषय पर प्रकाश डालती है और लिव-इन रिलेशनशिप की दुविधा (The Dilemma of Live-In Relationships) को भी कवर करती है।

आइए इशिता की यात्रा में शामिल हों और जानें कि वह सामाजिक अपेक्षाओं, करियर, आकांक्षाओं और प्यार की जटिलताओं (Complexity of Love, Career, and Society) को कैसे पार करती है। क्या वह अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहेगी? आइए जानते हैं इस भावनात्मक हिंदी कहानी में (Emotional Hindi Story)।

यह Anchal Brijesh Maurya की स्वरचित कहानी (Swarachit Kahani or Swarachit Hindi Stories) है।

लिव-इन रिलेशनशिप की दुविधा। The Dilemma of Live-In Relationships: A Heartwarming Emotional Hindi Story

डिंग डोंग… अचानक से डोर बेल की आवाज आई। सुबह-सुबह बाथरूम में रहो और डोर बेल की आवाज आती है, तो ना चाहते हुए भी दरवाजे के बाहर खड़े उसे इंसान के ऊपर गुस्सा आ जाता है। जबकि उसकी तो गलती ही नहीं होती।

उसे क्या पता कौन कहां है? फिर वह बेचारा हमारे ही काम से क्यों ना आया हो। दूध वाला, न्यूज़पेपर वाला, फूल वाला, और आजकल तो कई ऑनलाइन एप है, जो घर पर सामान डिलीवरी करते हैं, बाजार जाने की जरूरत ही नहीं, फोन पर सारे काम हो जाते हैं।

लेकिन अब कौन समझाए सुबह-सुबह बार-बार दरवाजा खोलना भी किसी नौकरी से कम नहीं। फिलहाल अपने गुस्से को काबू में करके जल्दी-जल्दी बाहर आकर दरवाजा खोला, और दरवाजा खोलते ही मेरा सारा गुस्सा दरवाजे के बाहर खड़े उसे शख्स को देख कर खुशी में बदल गया।

दरवाजा खुलते ही उसने सरप्राइज बोलते हुए जोर से गले लगा लिया, और मुझे ऐसा लगा जैसे सुबह-सुबह जन्नत मिल गई। 

इशू…………  तुम यहां, और मुझे बताया भी नहीं? 

बताती तो, आपके चेहरे पर यह खुशी कैसे देख पाती। 

यह इशू है… यानी इशिता कॉलेज में मेरी जूनियर लेकिन मेरी सबसे अच्छी सहेली और जिसे मैं अपनी बहन की तरह मानती हूं।

मैं उसे अपनी सारी उलझने बता सकती हूं, और वह मुझे। शादी के बाद अपने पति के साथ दूसरे शहर में आ गई, लेकिन फिर भी फोन पर मैं और इशू घंटे बातें करते ।

आज इशू को अचानक देखकर खुशी तो हुई, लेकिन मन में सवाल भी था, कि अचानक से यहां? 

उसने बताया कि ऑफिस से छुट्टी लेकर आई है… पूरे सप्ताह की, समझ में नहीं आया।

 फिलहाल बेचारी कानपुर से मदुरई मुझसे मिलने आई और मैं ना जाने क्या-क्या सोच रही हूं।

मैंने उसे फ्रेश होने के लिए भेजा और नाश्ता बनाने किचन में चली गई। हम दोनों ने साथ में नाश्ता किया।

नाश्ता खत्म होते ही इशू ने कहा दीदी मैं चाय बनाती हूं आपके लिए आपकी फेवरेट वाली।

इशू तुम मुझसे कुछ कहना चाहती हो?

इशू………………दीदी आपको कैसे पता?

मैडम इशू जी…आप चाय की रिश्वत तभी देती है जब आपको कोई बात मनवानी हो, या आप किसी उलझन में हो, समझी।

इशू……………सच दीदी आपसे अच्छा कोई नहीं समझा मुझे, मेरे मां – पापा भी नहीं। इसलिए मैं सीधे आपके पास आ गई। क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा है? 

इशू………….  तुम पहले आराम से बैठो फिर बात करो।

दीदी आप  लिवइन रिलेशनशिप (Live-In Relationships) के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस तरह से रहना ठीक नहीं होता?

देख इशू हम क्या सोचते हैं, फर्क इससे पड़ता है! लोग क्या सोचते हैं, क्या कहते हैं, इससे नहीं। लोगों को तो कुछ कहने को चाहिए फिर वह चाहे अच्छा हो या बुरा। वैसे तू यह क्यों पूछ रही है, यह बता?

दीदी आपको तो पता है ना, मैं सोमेश को पसंद करती हूं, और वह भी मुझे पसंद करता है। सोमेश और मैं लिविंग में रहना चाहते हैं, क्योंकि हम अभी शादी नहीं करना चाहते ।क्योंकि शादी के बाद बहुत सारी जिम्मेदारियां हो जाएगी, और मैं अपने करियर पर ध्यान नहीं दे पाऊंगी। इसलिए हम दोनों ने यह फैसला लिया है।

लेकिन मां- पापा को यह पसंद नहीं। उन लोगों का कहना है, कि साथ में रहना है तो शादी करके रहो। शादी के पहले साथ में रहोगे और अगर तुम लोग किसी वजह से शादी नहीं करते हो तो हम लोगों को क्या जवाब देंगे, और फिर कौन तुमसे शादी करेगा।

देख इशू  आंटी – अंकल की बात भी सही है, अगर हम उनकी जगह खुद को रख कर देखें तो। क्योंकि हम जिस समाज में रहते हैं, जिस परिवेश में रहते हैं,वहां  इस तरह का रहना गलत समझा जाता है। विदेश की बात कुछ और है उनकी संस्कृति (Culture) अलग है, और हमारा अलग है।

 हम लोगों के साथ यही तो प्रॉब्लम है, हम लोगों विदेश से उनकी भाषा, उनका रहन-सहन, उनका पहनावा, उनका खाना पीना, सब अपना लेते हैं, लेकिन उनकी सोच को नहीं अपना पाते, यही कारण है कि इसे आज भी हमारे यहां लोग अच्छा नहीं समझते।

इशू तूने सुमित से पूछा था शादी के लिए तो उसने क्या कहा ? दीदी सोमेश तो तैयार है, लेकिन मैं ही तैयार नहीं हूं अभी।

क्यों क्या प्रॉब्लम है पहले यह तो बता?

दीदी… शादी के पहले तो सब यही कहते हैं कि बहू को शादी के बाद कोई प्रॉब्लम नहीं होगी ,जॉब कर सकती है, जैसे चाहे रह सकती है, लेकिन आप ही बताओ ऐसा कोई घर, या ऐसे लोग जो शादी के बाद भी अपनी बहू को करियर पर ध्यान देने के लिए सहयोग करें ?

शादी के बाद जॉब के साथ-साथ घर भी संभालना बहू की जिम्मेदारी बना देते हैं। ऊपर से ऑफिस से देर से क्यों आई? किससे बात कर रही हो? ऑफिस से कोई आ गया तो कौन है? क्यों आया है? दीदी मैं इन सब के लिए तैयार नहीं हूं, और इन सब चक्करों में पड़कर मैं अपना सपना नहीं खोना चाहती।

वह सब ठीक है, इशू… मै समझती हूँ शादी की जिम्मेदारियां निभाना बच्चों का खेल नहीं है। शादी वह जिम्मेदारी है जिसे जीवन में  दो मंझे हुए लोग ही निभा सकते हैं। इशू यह भी सच है, लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in relationship) में रहने पर कोई जिम्मेदारी नहीं, तुम दोनों ही इंडिपेंडेंट हो किसी पर किसी का कोई भार  नहीं होगा।

 मैं तो यही चाहती हूं, कि तुम लोग  लिव-इन रिलेशनशिप से शादी तक का सफर तय करो। लेकिन क्या यह सोचा है इशू की अगर तुम लोगों ने शादी नहीं की और अलग होने का फैसला किया, तो तुम किस मानसिक स्थिति से गुजरोगी?

हर चीज के कुछ फायदे और कुछ नुकसान होते हैं इशू,  तुम सुमेश के साथ रहोगी तो उससे तुम्हारा लगाव नहीं होगा क्या? और अगर बाद में तुम लोग शादी करते हो तो अच्छा है, लेकिन नहीं करते हो तो उसे अपने दिल-दिमाग से इतनी आसानी से निकाल पाओगी? किसी और को अपने जीवन में स्थान दे पाओगी?

हम लड़कियों के लिए किसी रिश्ते से निकलना या किसी को अपने जीवन से निकाल देना आसान नहीं है। इशू हम लोग कभी-कभी भावनाओं में या अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऐसा फैसला ले लेते हैं, जिसका पश्चाताप (remorse) हमें जीवन भर रहता है।

हमें सपनों की दुनिया में नहीं, इस वास्तविक दुनिया में जीवन जीना है। लाइफ कोई मूवी तो नहीं जिसमें आखिर में हैप्पी एंडिंग (happy ending) लिखकर आ जाए सब कुछ हमारे हिसाब से हो। या जैसा हम सोच रहे हैं वैसा चले, यह यह जरूरी तो नहीं है। 

क्या तुम्हें कॉलेज वाली रीमा और रौनक का रिश्ता याद नहीं?

वह तो सिर्फ कॉलेज की बात थी। तुम  तो साथ में रहने का निर्णय लेना चाहती हो। तुमने देखा था रौनक से ब्रेकअप होने पर रीमा की क्या हालत थी। वह किस स्थिति से गुजरी, हम तो इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते।

तुम तो खुद इतनी समझदार सुलझी हुई हो, इस बात का निर्णय बहुत सोच समझकर और आराम से लेना। क्योंकि जीवन तो तुम्हारा ही है, तो निर्णय भी तुम्हें ही लेना है ,और तुम्हारा ही होना भी चाहिए ।

इस विषय पर बहुत सूझबूझ और धैर्य से सोचना, जो तुम्हारी अंतरात्मा कहे वही करना। ना दिल की सुनो, ना दिमाग की, क्योंकि दिल और दिमाग दोनों अपने-अपने फायदे गिनवाते हैं, ठीक है ना।

और तुम यहां हो इसका मतलब यह है, कि दिल ने तुम्हें अपने ज्यादा फायदे गिनवाये हैं, और दिमाग उसे करने को तैयार नहीं है, और तुम्हें जिससे पूछना चाहिए उससे पूछा ही नहीं, ठीक कह रही हूं ना मैं?

हां दीदी, आप ठीक कह रही हैं।

 ठीक है, अब तू चाय बना मैं छुट्टी के लिए ऑफिस में फोन कर देती हूं, फिर साथ में घूमने चलेंगे। इशू एक बात और तुम्हारा सम्मान तुम्हारे अपने हाथों में है, इस बात का हमेशा ध्यान रखना। दूसरे लोग तुम्हारा सम्मान तभी करेंगे जब तुम खुद का सम्मान करोगी ।चलो अब मैं जल्दी से तैयार हो जाती हूं तुम भी तैयार हो जाओ फिर बाहर चलेंगे।

इशू ने भी मन ही मन अपना निर्णय लिया और दोनों ने अपनी फेवरेट चाय पी और साथ में मुस्कुराते हुए घूमने के लिए निकल पड़ी ।


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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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