आलसी कौआ और मेहनती गिलहरी। Lazy Crow and Hardworking Squirrel: Bedtime Stories for Kids in Hindi

आलसी कौआ और मेहनती गिलहरी। Lazy Crow and Hardworking Squirrel: Bedtime Stories for Kids in Hindi

आलसी कौआ (Lazy Crow) एक बहुत ही पुरानी और छोटी नैतिक कहानी (Short Moral Stories in Hindi) है जो आलस्य (Laziness) के अवगुणो को चित्रित करती है। आलस्य (Laziness) का अर्थ है क्षमता होने के बावजूद स्वयं को उस कार्य करने या परिश्रम से बचाना या परिश्रम के प्रति अनिच्छा जाहिर करना।

इस कहानी में मुख्य रूप से दो चरित्र हैं, एक गिलहरी ( Squirrel) और एक कौआ (Crow)। गिलहरी बहुत मेहनती होती थी जबकि कौआ हमेशा आलस्य के कारण अपना काम कल के लिए टाल देता था। लेकिन जब समय आता है, तो वह खुद को परेशानी में पाता है और उसे अपनी समस्या का समाधान खोजने की जरूरत होती है।

इस कहानी के माध्यम से आईये जानते हैं आलस्य कौवे को किस स्थिति में ले जाता है?

आलसी कौआ और मेहनती गिलहरी। Lazy Crow and Hardworking Squirrel: Bedtime Stories for Kids in Hindi, Squirrel and Crow Story in Hindi:

एक पेड़ पर एक गिलहरी और एक कौआ रहते थे । दोनों में अच्छी दोस्ती थी । गिलहरी बहुत ही परिश्रमी थी, वही उसके विपरीत कौआ उतना ही आलसी था ।

एक दिन दोनों पेड़ पर बैठे बातें कर रहे थे । गिलहरी ने कहा कौआ भैया क्यों ना हम भी खेती करके कुछ अनाज इकट्ठा कर ले । क्योंकि खराब मौसम जैसे बहुत सर्दियों के दिनों में या बारिश में खाना खोजने की परेशानी से बचे रहेंगे और अपने घर में रहेंगे, कहीं भटकना नहीं पड़ेगा । कौआ बोला ठीक है, कल से काम शुरू करते हैं । पहले खेतों की जुताई करनी पड़ेगी ।

गिलहरी ने कहा हां कौआ भैया हम लोग सुबह जल्दी उठकर खेत पर अगर पहुंच जाए तो शाम तक खेत की जुताई का काम खत्म हो जाएगा । कौआ बोला ठीक है कल सुबह चलते हैं ।

दूसरे दिन सुबह गिलहरी कौआ को बुलाने आई । बोली कौआ भैया सुबह हो गई है, चलिए खेत की जुताई कर लेते हैं।

कौआ अपने घर में आराम से सो रहा था । उसे सुबह उठकर इतनी मेहनत का काम करने का मन नहीं था । उसने गिलहरी से कहा तू चल मैं आता हूं, चुपड़ी रोटी खाता हूं, ठंडा पानी पीता हूं, हरी डाल पर बैठा हूं ।

गिलहरी अकेले ही खेत पर जाकर जुताई का काम करने लगी । शाम तक जुताई का काम हो गया । लेकिन कौआ शाम तक भी खेत पर नहीं पहुंचा ।

दूसरे दिन फिर गिलहरी कौआ को बुलाने आई । बोली कौआ भैया चलिए खेत की जुताई हो गई है । अब बीज डाल देते हैं। गिलहरी की बात सुन आलसी कौआ बोला तू चल मैं आता हूं, चुपड़ी रोटी खाता हूं, ठंडा पानी पीता हूं, हरी डाल पर बैठा हूं ।

गिलहरी फिर चली गई और अकेले ही खेतों में बीज डालने का काम भी कर लिया ।

कुछ दिनों बाद गिलहरी फिर कौआ को बुलाने उसके घर गई । बोली कौआ भैया अब तो खेतों में बीज भी उग गए हैं, उन्हें पानी देने चलना है । फिर आलसी कौआ बोला… तू चल मैं आता हूं, चुपड़ी रोटी खाता हूं, ठंडा पानी पीता हूं, हरी डाल पर बैठा हूं ।

गिलहरी बिचारी फिर अकेले चली गई खेतों में पानी देने । कौआ इस बार भी खेतों पर नहीं गया काम करने के लिए

कुछ दिन बीत गए । एक दिन की गिलहरी फिर से कौआ के घर गई । उसने कहा कौआ भैया हमारी फसल तैयार हो गई है, चलिए उसे काट लेते हैं । कौआ यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और फिर से बोला… तू चल मैं आता हूं, चुपड़ी रोटी खाता हूं, ठंडा पानी पीता हूं, हरी डाल पर बैठा हूं ।

गिलहरी फिर से खेतों में फसल काटने चली जाती है और अकेली ही सारी फसल काटती है । कौआ फिर से उसकी मदद करने नहीं पहुंचता है।

दूसरे दिन गिलहरी फिर से आती है और कहती है कौआ भैया मैंने सारी फसल काट दी है । चलिए अपने हिस्से की फसल आप ले लीजिए । कौआ फिर वही बोलता है ।

गिलहरी खेत में जाकर अपने हिस्से की फसल अपने घर ले आती है और उसे ठीक से रख लेती है क्योंकि बारिश का मौसम शुरू होने वाला होता है । और दूसरे दिन कौआ के घर जाकर बता देती है कि कौआ भैया मैंने अपने हिस्से की आधी फसल अपने घर ले गई हूं ।

आपके हिस्से की फसल खेत में रख दी है । बारिश के दिन आने वाले हैं तो आप अपने हिस्से की फसल अपने घर ले आओ नहीं तो बारिश में खराब हो जाएगी । इतना बोल कर गिलहरी चली गई । कौआ रोज सोचता कि कल ले आऊंगा… कल ले आऊंगा… लेकिन उसका कल होता ही नहीं । वो अपने आलस की वजह से फसल लेने नहीं गया।

एक रात बड़े जोर का आंधी-तूफान के साथ बारिश हुई और कौआ की सारी फसल उस आंधी-तूफान में उड़ गई । बारिश कई दिनों तक लगातार होती रही । अब कौए के पास खाने को कुछ नहीं था और उसका भूख से बड़ा बुरा हाल हो गया ।

वो रोते हुए गिलहरी के पास गया ।  उसने कहा गिलहरी बहन मुझे माफ कर दो, मैं अपने आलस में जीता रहा और सारी फसल बर्बाद हो गई । मैंने ना तो तुम्हारी मदद की और ना उस फसल को ही घर लाया जो तुमने खेत में मेरे लिए रखी थी ।

 मैं कई दिनों से भूखा हूं इसलिए तुम्हारे पास आया हूं मदद मांगने । गिलहरी ने पूरे दिल से कौए का स्वागत किया और उसे खाना भी खिलाया ।

कौआ अपने किए पर बहुत पछता रहा था । उसने गिलहरी से कहा बहन मुझे माफ कर दो, अब से मैं यह आलस करना छोड़ कर तुम्हारी तरह मेहनत करूंगा ताकि खराब समय के लिए कुछ रख सकूं ।

आलसी कौआ और मेहनती गिलहरी कहानी से सीख । Moral of Lazy Crow and Hardworking Squirrel story in Hindi:

तो क्या आपने आलस्य का परिणाम देखा? इसलिए अपना काम समय पर करना बहुत जरूरी होता है। जो लोग अपने काम को कल पर टाले बिना समय पर और नियमित रूप से करते हैं, वे हमेशा सफल होते हैं।

जो लोग आलसी होते हैं और अपना काम कल पे टालते रहते हैं वे अक्सर लाइफ में कुछ भी हासिल नहीं कर पाते हैं और एक उदासीनता भरी जिंदगी व्यतीत करते हैं।

ऐसे लोग अंत में हमेशा एक मुश्किल स्थिति में पहुचते है और उनके पास दुःख और मदद की भीख के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है ।


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अपने बच्चों को ऐसी ही सुंदर और मजेदार बेड टाइम स्टोरीज सुनाने के लिए हमारे Bedtime Stories for Kids in Hindi को पढ़ना ना भूलें।


नोट: यहां साझा की गई प्रेरक या नैतिक कहानी मेरी मौलिक रचना नहीं है, मैंने इसे पहले भी पढ़ा है और मैं अपने विचारों और सीखों को शामिल करने के बाद बस इसका हिंदी संस्करण प्रदान कर रहा हूं।

Note: This Bedtime story or Moral Story shared here is not my original creation, I have read it before and I am just providing the Hindi version of it after including my own thoughts and learnings.


आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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