10+ श्री हरिवंश राय बच्चन जी की प्रेरक कविताएँ । 10+ Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems

10+ श्री हरिवंश राय बच्चन जी की प्रेरक कविताएँ । 10+ Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems

आज हम इस वेबपेज पर Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems or Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi में पढ़ेंगे। श्री हरिवंश राय बच्चन जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है । वे हिंदी साहित्य के एक महान लेखक और कवि रहे हैं ।

श्री हरिवंश राय बच्चन जी का परिचय:

Table of Contents

श्री हरिवंश राय बच्चन जी का जन्म 27 नवंबर 1907 को ब्रिटिश भारत में आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत बाबूपट्टी में हुआ था (reference – Wikipedia)

अपने काव्य काल के आरंभ से 1983 तक वे इस क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं और उन्हे हिन्दी साहित्य के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक माना जाता है।

हिंदी साहित्य में उनका योगदान और उनकी रचनाओं का महत्व – Importance of Harivansh Rai Bachchan ki Rachnaye:

हिंदी साहित्य के इतिहास में श्री हरिवंश राय बच्चन जी का योगदान अभूतपूर्व है । Harivansh Rai Bachchan ki Rachnaye ने हिंदी साहित्य पर एक गहरा और स्थायी प्रभाव डाला है ।

श्री हरिवंश राय बच्चन जी की कविताओं को (harivansh rai bachchan poems, harivansh rai bachchan poems in hindi) हिन्दी काव्य की उत्कृष्ट कृतियाँ मानी जाती हैं ।

आधुनिक पीढ़ी को उनकी कविता से प्रेरणा:

श्री हरिवंश राय बच्चन जी की कविताएँ (harivansh rai bachchan poems) समय गुजरने और उनके स्वर्गगमन के बावजूद भी आधुनिक पीढ़ी के लिए प्रासंगिक और प्रेरक बने हुए हैं। उनकी कविताएँ प्रेम, जीवन और मृत्यु जैसे विश्वव्यापी विषयों के बारे में है जो की समयबद्ध या किसी एक पीढ़ी लिए नहीं है।

उनकी लोकप्रिय कविताओं का एक संक्षिप्त विवरण और सूची – List of Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi:

उनकी कुछ बेहतरीन कविताओं को सूचीबद्ध करना बहुत मुश्किल है क्योंकि उनकी सभी रचनाएँ पाठकों की धारणा के रूप में सर्वश्रेष्ठ हैं। हालाँकि, मधुशाला (madhushala poem), अग्निपथ (agneepath poem / agnipath poem), मिलन यामिनी (Milan Yamini peom)  और अन्य रचनाओं का एक अलग स्थान है। ये रचनाएँ व्यापक रूप से पढ़ी और सराही गई है।

हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध कविताओं में से कुछ श्री हरिवंश राय बच्चन जी कविताएं harivansh rai bachchan poems, Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi, inspirational harivansh rai bachchan poems, positive harivansh rai bachchan poems, harivansh rai bachchan famous poems चाय के पल के इस वेबपेज (Chai Ke Pal webpage) पर आप पाठकों के लिए प्रस्तुत की गई हैं।

  1. मिलन यामिनी (Milan Yamini Poem)
  2. मधुशाला (madhushala poem)
  3. अग्निपथ (agneepath poem / agnipath poem)
  4. मधुकलश (Madhukalash Poem)
  5. मधुबाला (Madhubala Poem)
  6. अब मत मेरा निर्माण करो (Ab Mat Mera Nirmaan Karo Poem)
  7. निशा- निमंत्रण (Nisha- Nimantran Poem)
  8. मयूरी ( Mayuri / Mayooree Poem)
  9. नागिन (Nagin / Naagin Poem)
  10. नव वर्ष (Nav Varsh / New Year Poem)
  11. जो बीत गई (Jo Beet Gaee Poem)
  12. आप किनके साथ हैं? Aap Kinake Saath Hain Poem?
  13. ओ मेरे यौवन के साथी (O Mere Yauvan ke Saathee Poem)
  14. ईश्वर (Eeshvar / God Poem)
  15. बूढ़ा किसान (Boodha Kisaan / Old Farmer Poem)
  16. पगडंडी : सड़क (Pagadandee : Sadak / Trail: Road)

मिलन यामिनी – Milan Yamini Poem: Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi

चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।

दिवस में सबके लिए बस एक जग है
 रात में हर एक की दुनिया अलग है,

कल्पना करने लगी अब राह मन में 
चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।

भूमि का उर तप्त करता चंद्र शीतल 
व्योम की छाती जुड़ाती रश्मि कोमल,

किंतु भरतीं भावनाएँ दाह मन में;
 चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।

कुछ अँधेरा, कुछ उजाला, क्या समा है! 
कुछ करो, इस चाँदनी में सब क्षमा है;

किंतु बैठा मैं सँजोए आह मन में;
 चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।

चाँद निखरा, चंद्रिका निखरी हुई है,
 भूमि से आकाश तक बिखरी हुई है,

काश मैं भी यों बिखर सकता भुवन में;
 चाँदनी फैली गगन में, चाह मन में।

मधुशाला – Madhushala Poem: Positive Harivansh Rai Bachchan Poems

मृदु भावों के अंगूरों की 
आज बना लाया हाला, 
प्रियतम, अपने ही हाथों से 
आज पिलाऊँगा प्याला; 

पहले भोग लगा लूँ तेरा,
फिर प्रसाद जग पाएगा; 
सबसे पहले तेरा स्वागत
 करती मेरी  मधुशाला।

प्रियतम, तू मेरी हाला है,
 मैं तेरा प्यासा प्याला, 
 अपने को मुझमें भरकर तू 
 बनता है पीनेवाला,

मैं तुझको छक छलका करता, 
मस्त मुझे पी तू होता;
एक दूसरे को हम दोनों 
आज परस्पर मधुशाला ।

अग्निपथ – Agneepath Poem / Agnipath Poem: Inspirational harivansh rai bachchan poems in Hindi

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
Source: Bollywood News Villa

मधुकलश – Madhukalash Poem: harivansh rai bachchan famous poems

है आज भरा जीवन मुझमें, 
है आज भरी मेरी गागर !

सर में जीवन है, इससे ही
वह लहराता रहता प्रति पल, 
सरिता में जीवन, इससे ही 
वह गाती जाती है कल-कल

निर्झर में जीवन, इससे ही 
वह झर-झर झरता रहता है,

जीवन ही देता रहता है
नद को द्रुतगति, नद को हलचल, 

लहरें उठतीं, लहरें गिरतीं, 
लहरें बढ़तीं, लहरें हटतीं; 
जीवन से चंचल हैं लहरें,
जीवन से अस्थिर है सागर । 
है आज भरा जीवन मुझमें, 
है आज भरी मेरी गागर ।

मधुबाला – Madhubala Poem: love harivansh rai bachchan poems

मैं मधुबाला मधुशाला की,
मैं मधुशाला की मधुबाला !

मैं मधु-विक्रेता की प्यारी, 
मधु के घट मुझ पर बलिहारी, 
प्यालों की मैं सुषमा सारी, 
मेरा रुख देखा करती है
मधु-प्यासे नयनों की माला ।
मैं मधुशाला की मधुबाला !

इस नीले अंचल की छाया
में जग-ज्वाला का झुलसाया
आकर शीतल करता काया, 
मधु-मरहम का मैं लेपन कर 
अच्छा करती उर का छाला
मैं मधुशाला की मधुबाला !

अब मत मेरा निर्माण करो – Ab Mat Mera Nirmaan Karo Poem: positive harivansh rai bachchan poems

अब मत मेरा निर्माण करो !

तुमने न बना मुझको पाया,
युग-युग बीते, घबराया;
भूलो मेरी विह्वलता को, 
निज लज्जा का तो ध्यान करो ! 
अब मत मेरा निर्माण करो !

इस चक्की पर खाते चक्कर
मेरा तन-मन-जीवन जर्जर, 
हे कुंभकार, मेरी मिट्टी को 
और न अब हैरान करो ! 
अब मत मेरा निर्माण करो !

कहने की सीमा होती है,
सहने की सीमा होती है;
कुछ मेरे भी वश में, 
मेरा कुछ सोच-समझ अपमान करो ! 
अब मत मेरा निर्माण करो !

निशा- निमंत्रण – Nisha- Nimantran Poem: harivansh rai bachchan poems in hindi

दिन जल्दी - जल्दी ढलता है !

हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंजिल भी तो है दूर नहीं- 
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है! 
दिन जल्दी जल्दी ढलता है !

बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे-
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी जल्दी ढलता है !

मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल ?-
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, 
भरता उर में विह्वलता है !
दिन जल्दी जल्दी ढलता है!

मयूरी – Mayuri / Mayooree Poem: harivansh rai bachchan poems in hindi

मयूरी,
नाच, मगन - मन नाच !

गगन में सावन घन छाए, 
न क्यों सुधि साजन की आए; 
मयूरी, आँगन-आँगन नाच ! 
मयूरी,
नाच, मगन - मन नाच !

धरणि पर छाई हरियाली, 
सजी कलि- कुसुमों से डाली; 
मयूरी, मधुवन, मधुवन नाच !
मयूरी,
नाच, मगन मन नाच ! -

समीरण सौरभ सरसाता,
घुमड़ घन मधुकण बरसाता;
मयूरी, नाच मदिर-मन नाच !
मयूरी,
नाच, मगन - मन नाच !

निछावर इंद्रधनुष तुझ पर, 
निछावर, प्रकृति-पुरुष तुझ पर,
मयूरी, उन्मन-उन्मन नाच ! 
मयूरी, छूम छनाछन नाच !
मयूरी, नाच, मगन-मन नाच !

नागिन – Nagin / Naagin Poem: harivansh rai bachchan poems in hindi

नर्तन कर, नर्तन कर, नागिन, 
मेरे जीवन के आँगन में !

तू प्रलय काल के मेघों का
 कज्जल-सा कालापन लेकर,
 तू नवल सृष्टि की ऊषा की 
 नव द्युति अपने अंगों में भर,

बड़वाग्नि- विलोड़ित अंबुधि की 
उत्तुंग तरंगों से गति ले,

रथ युत रवि-शशि को बंदी कर
दृग-कोयों का रच बंदीघर,

कौंधती तड़ित को जिह्वा-सी 
विष-मधुमय दाँतों में दाबे,
तू प्रकट हुई सहसा कैसे 
मेरी जगती में, जीवन में?

नर्तन कर, नर्तन कर, नागिन,
मेरे जीवन के आँगन में!

नव वर्ष – Nav Varsh / New Year Poem: positive harivansh rai bachchan poems

नव वर्ष
हर्ष नव
जीवन उत्कर्ष नव ।
नव उमंग,
नव तरंग,
जीवन का नव प्रसंग |
नवल चाह,
नवल राह,
जीवन का नव प्रवाह ।
गीत नवल,
प्रीति नवल,
जीवन की रीति नवल,
जीवन की नीति नवल,
जीवन की जीत नवल !

जो बीत गई Jo Beet Gaee Poem: positive harivansh rai bachchan poems

जो बीत गई सो बात गई !

जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया;
अंबर के आनन को देखो,

कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है !
जो बीत गई सो बात गई !

जीवन में वह था एक कुसुम, 
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया; 
मधुवन की छाती को देखो,

सूखीं कितनी इसकी कलियाँ, 
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ, 
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं; 
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है; 
जो बीत गई सो बात गई !
Source: Sudhanshu Pal

आप किनके साथ हैं? Aap Kinake Saath Hain Poem: positive harivansh rai bachchan poems

मैं हूँ उनके साथ खड़ी 
जो सीधी रखते अपनी रीढ़

कभी नहीं जो तज सकते हैं 
अपना न्यायोचित अधिकार, 
कभी नहीं जो सह सकते हैं 
शीश नवाकर अत्याचार 
एक अकेले हों या उनके 
साथ खड़ी हो भारी भीड़; 
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो 
सीधी रखते अपनी अपनी रीढ़ । 

निर्भय होकर घोषित करते 
जो अपने उद्गार-विचार, 
जिनकी जिह्वा पर होता है 
उनके अन्तर का अंगार, 
नहीं जिन्हें चुप कर सकती है 
आततायियों की शमशीर;
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो 
सीधी रखते अपनी अपनी रीढ़ ।

ओ मेरे यौवन के साथी O Mere Yauvan ke Saathee Poem: love harivansh rai bachchan poems

मेरे यौवन के साथी, तुम
एक बार जो फिर मिल पाते, 
वन-मरु-पर्वत कठिन काल के 
कितने ही क्षण में कट जाते। 
ओ मेरे यौवन के साथी !

तुरत पहुँच जाते हम उड़कर, 
फिर उस जादू के मधुवन में, 
जहाँ स्वप्न के बीज बिखेरे 
थे हमने मिट्टी में, मन में । 
ओ मेरे यौवन के साथी !

सहते जीवन और समय का 
पीठ- शीश पर बोझा भारी, 
अब न रहा वह रंग हमारा, 
अब न रही वह शक्ल हमारी । 
ओ मेरे यौवन के साथी !

ईश्वर Eeshvar / God Poem: Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi

उनके पास घरबार है, 
कार है, कारबार है, 
सुखी परिवार है,
घर में सुविधाएँ हैं,
बाहर सत्कार है, 
उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है 
कि कृतज्ञता प्रकट करने को
उसे फूल चढ़ाएँ, डाली दें ।

उनके पास न मकान है
न सरोसामान है,
न रोज़गार है, 
ज़रूर, बड़ा परिवार है; 
भीतर तनाव है,
उन्हें ईश्वर की इसलिए दरकार है कि
किसी पर तो अपना विष उगलें, 
किसी को तो गाली दें।

उनके पास छोटा मकान है,
थोड़ा सामान है, 
मामूली रोज़गार है,
मझोला परिवार है,
थोड़ा कम, थोड़ी फुरसत है,
इसी से उनके यहाँ दिमाग़ी कसरत है।
ईश्वर है-नहीं है
पर बहस है,
नतीजा न निकला है,
न निकालने की मंशा है,
कम क्या बतरस है !

बूढ़ा किसान – Boodha Kisaan / Old Farmer Poem: Harivansh Rai Bachchan Poems

अब समाप्त हो चुका मेरा काम । 
करना है बस आराम ही आराम ।
अब न खुरपी, न हँसिया, 
न पुरवट, न लढ़िया,
            न रतरखाव, न हर, न हेंगा।

मेरी मिट्टी में जो कुछ निहित था,
उसे मैंने जोत-बो,
अश्रु स्वेद- रक्त से सींच निकाला,
काटा,
खलिहान का खलिहान पाटा, 
अब मौत क्या ले जाएगी मेरी मिट्टी से ठेंगा।

पगडंडी : सड़क – Pagadandee : Sadak / Trail: Road: Harivansh Rai Bachchan Poems

पहले यहाँ पर एक पगडंडी थी
जो शहर से गाँव को जाती थी; 
अब यहाँ पर एक सड़क है 
जो गाँव से शहर को आती है; 
और देखते ही देखते
                  दुनिया बदल जाती है।

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बृजेश कुमार स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय (Occupational Health, Safety, Environment and Community) से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं और चाय के पल के संस्थापक भी हैं।वह स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और सामुदायिक मामलों (Health, Safety, Environment and Community matters) के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम (Portsmouth University, United Kingdom) से व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में मास्टर डिग्री (Master's degree in Occupational Health, Safety & Environmental Management ) हासिल की है। चाय के पल के माध्यम से इनका लक्ष्य स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय से संबंधित ब्लॉग बनाना है जो लोगों को सरल और आनंददायक तरीके से स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में जानकारी देता हो।

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