भारतीय विवाह और चौंकाने वाला भोजन अपव्यय : Shocking Food Wastage in Indian weddings in Hindi

भारतीय विवाह और चौंकाने वाला भोजन अपव्यय : Shocking Food Wastage in Indian weddings in Hindi

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भारत में शादी, विवाह एक विशेष और भव्य उत्स्व के जैसा होता है। यहाँ विवाह की एक अलग ही सामाजिक मान्यता है। शादी-विवाह जैसे अवसर पर खाने की बर्बादी (Food wastage in Indian weddings in Hindi ) एक कड़वा सच है। इस लेख के माध्यम से हम खाने की बर्बादी और उसके समाधान पर विचार करेगे।

1. भारतीय विवाह और भोजन अपव्यय : Food wastage in Indian weddings in Hindi

भारत में विवाह परंपरा रसम, रिवाज और निश्चित रूप से स्वादिस्ट व्यंजनों का एक गहरा संबंध है। विवाह में समिलित अतिथियों को भव्य भोजन तो परोसा जाता है। लेकिन जो खाना बच जाता है, वो कचरे के ढेर में व्यर्थ हो जाता है।

ऐसा नहीं है कि भोजन की बरबादी (Food wastage in India in Hindi) केवल विवाह जैसे अवसर पर होता है, लगभाग सभी बड़े उत्सव पर खाने की बरबादी एक समस्या है। भारत सरकार के आंकड़े  के अनुसार बड़ी भारतीय शादियो में लगभग 15% से 20% खाना व्यार्थ हो जाता है।

देखने में यह प्रतिशत जरूर कम लग सकता है लेकिन भारत की जनसंख्या और विवाह की संख्या को देखा जाए तो यह जरूर चौंकाने वाले आंकड़े हैं।

यह समस्या एक दिन जरूर भयावह स्थिति पैदा कर सकता है जिसे हम अक्सर नजर अंदाज कर देते हैं । जबकि भारत में लाखों लोग प्रतिदिन भूखे सोते हैं, ऐसी स्थिति में खाने की बर्बादी कहां तक उचित है?

2. भारतीय शादी के बारे में कुछ रोचक और चौंकाने वाले आँकड़े – Some interesting and shocking statistics about Indian marriage:

  • भारत में प्रति माह 900,000 से अधिक शादियाँ होती हैं और लगभग 1 करोड़ (10 मिलियन) से अधिक शादियाँ पूरे वर्ष होती हैं। इसका मतलब है कि भारतीय शादी उद्योग की सेवा के लिए प्रतिदिन 30,000 शादियाँ होती हैं।
  • भारतीय शादी उद्योग वर्तमान में 3.78 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित है, और सालाना 20 से 25 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
  • भारतीय विवाह उद्योग विश्व में दूसरे स्थान पर है।  
  • भारत में हर साल 1 करोड़ (10 मिलियन) से ज्यादा शादियां होती हैं। कई विश्लेषकों के लिए, इसका मतलब है कि वैश्विक भारतीय विवाह उद्योग एक ऐसा उद्योग है जो मंदी से मुक्त है।
  • भारत के शीर्ष 15 शहरों में, शादी के उत्सव पर लगभग ₹ 2 करोड़ (20 Million) तक खर्च किए जा सकते हैं जो 5 दिनों तक चल सकता है।
  • एक औसत व्यक्ति अपनी कुल संपत्ति का 20% शादी के समय समारोह, जरूरतों या शादी से संबंधित वस्तुओं पर खर्च करता है।
  • औसतन एक शादी में लगभग 10-15 प्रतिशत भोजन बर्बाद (Food wastage in India in Hindi) हो जाता है जो की लगभग 30-50 किलोग्राम और और बड़ी शादी में लगभग 800 किलोग्राम तक हो सकता है। इसका उपयोग औसतन लगभग 100-200 लोगों को और अधिकतम 2,000-4,000 लोगों को खिलाया जा सकता है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer): ऊपर दिए गए तथ्य/आंकड़े भारतीय विवाह उद्योग के बढ़ते रुझान को इंगित करने और केवल जानकारी के लिए हैं। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत सावधानी और ध्यान रखा है कि ये आँकड़े सटीक और वर्तमान हैं, हालाँकि, हम इसकी गारंटी नहीं देते हैं। चाय के पल वेबसाइट इस जानकारी के लिए कोई दायित्व स्वीकार नहीं करती है।

3. शादियों में भोजन की बर्बादी के कुछ संभावित कारण – Possible Causes of Food wastage in Indian weddings in Hindi:

3.1 अतिथियों की अनुमानित संख्या:

शादियों में खाने की बर्बादी (Food wastage in Indian weddings in Hindi) के कई कारण है जिसमें से एक प्रमुख कारण यह भी है कि शादियों में आने वाले अतिथियों का अनुमान संभवतः हम अधिक लगा लेते हैं। जिसकी वजह से खाने की क्वांटिटी अधिक बनवाई जाती है। अगर अतिथि कम संख्या में आते हैं, तो खाना पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं होता। जिससे बचा हुआ खाना बर्बाद हो जाता है।

3.2 सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यता:

‘अतिथि देवो भव’ अर्थात ‘मेहमान भगवान के समान है’ यह भारत की सांस्कृतिक मान्यता है। अतिथियों का हर संभव सत्कार और स्वादिष्ट भोजन परोसना उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का एक तरीका है।

जिसकी वजह से खाना आवश्यकता से अधिक क्वांटिटी में बनवाया जाता है। व्यंजनों की संख्या भी एक प्रमुख कारण है। शादियों में इतने अधिक प्रकार के व्यंजन बनवाए जाते हैं जिसे खा पाना संभव नहीं है। जिसके परिणाम स्वरूप बहुत सारा खाना बच जाता है या अछूता रह जाता है जोकि व्यर्थ हो जाता है।

3.3 जागरुकता:

शादियों में होने वाले खाने की बर्बादी (Food wastage in Indian weddings in Hindi) के बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं होती है की खाना आवश्यकतानुसार कैसे बनवाया जाए और यदि भोजन शेष रह गया है तो इसका कैसे सदुपयोग किया जाए।

3.4 पर्यावरण की दृष्टि से इसका प्रभाव:

खाने की बर्बादी नैतिक दृष्टि से ही नहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी एक गंभीर समस्या है। जब बचे हुए भोजन को लैंड फिल या वेस्ट डंपिंग एरिया (Land Fill Site for Waste Dumping Area) फेक दिया जाता है तो उसमें से मेथेन और कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है जोकि ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है।

अनाज उत्पन्न करने में भी संसाधनों की आवश्यकता होती है। और जब भोजन व्यर्थ हो जाता है तो इसके उत्पादन में लगे संसाधन भी व्यर्थ हो जाते हैं। खाद्य और कृषि संगठन (एफ.ए.ओ.) के आंकड़ों के अनुसार कार्बन फुटप्रिंट उन सभी ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, और अन्य) का योग है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक गतिविधि के कारण वायुमंडल में जारी किए जाते हैं।

4. भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए क्या कर सकते हैं – How to reduce food wastage in Indian weddings:

शादियों में खाने की बर्बादी (Food wastage in Indian weddings in Hindi) को कम करना आसान नहीं है लेकिन इसके लिए कुछ प्रयास अवश्य कर सकते हैं। जिससे भोजन की बर्बादी कम हो सके और उसका सदुपयोग कर सकें।

  • विवाह में सम्मिलित होने वाले अतिथियों की लिस्ट पहले से बना ले जिससे कि भोजन का अनुमान लगाना अधिक सहज हो सकेगा और खाने की बर्बादी कम होगी।
  • शादी विवाह और उत्सव में भोजन की व्यवस्था करते समय यदि हम कैटर्स  से भी विचार-विमर्श कर ले तो वह अपने अनुभव के द्वारा हमें अच्छी सलाह प्रदान कर सकता है जिससे हम भोजन की बर्बादी से बच सकते हैं।
  • यदि वैवाहिक समारोह और उत्सवों में भोजन बच जाए तो उसे खाद्य बैंकों (Food Banks) को दान करें (Indian wedding food donation) जिससे भोजन की बर्बादी नहीं होगी और जरूरतमंदों को प्रदान किया जा सकेगा।
  • वैवाहिक समारोह में सम्मिलित होने वाले अतिथियों से भी निवेदन है कि वह अपनी प्लेट में खाना छोड़ने से बचें। अपनी प्लेट में उतना ही खाना ले जितना वह खा सकते हैं।
  • डिस्पोजेबल के बजाय पर्यावरण के अनुकूल क्रोकरी का चयन करें जिसे पुनः इस्तेमाल किया जा सके।
  • खाने को व्यर्थ करना अन्न का अपमान है, बात बच्चों को भी समझाएं।

5. इस मुद्दे पर लेखक के अपने विचार – Writer’s Own View on this Issue

भोजन की बर्बादी विश्व स्तर पर एक गंभीर समस्या है। भारतीय विवाह का इस समस्या में विशेष योगदान है जिसे कम करने के लिए प्रभावशाली प्रयास किए जा सकते हैं।

भोजन की बर्बादी ( Food wastage in Indian weddings in Hindi) कम करने से जहां उसे जरूरतमंदों को खिलाने में मदद मिल सकती है वही कार्बन फुटप्रिंट ग्रीन गैस की उत्पत्ति भी कम की जा सकती है। इसलिए वैवाहिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने वाले सभी लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह भोजन के बर्बादी को कम करने का प्रयास करें।

शादियों में भोजन की बर्बादी को लेकर जागरूकता भी बढ़ाया जाना महत्वपूर्ण है। सरकार और स्वयंसेवक संगठन और सामान्य व्यक्ति भी भोजन की बर्बादी के दुष्प्रभाव के बारे में लोगों मैं जागरूकता ला सकते हैं।

विवाह जीवन का एक सुंदर उत्सव है लेकिन भोजन की बर्बादी (Food wastage in Indian weddings in Hindi) जैसे गंभीर मुद्दे को नकारा नहीं जा सकता। अगर हम अपनी जिम्मेदारियों को समय रहते समझ ले तो ना केवल भोजन की बर्बादी को बचा सकते हैं बल्कि पर्यावरण को भी बचाने में योगदान दे सकते हैं। और उन लाखों लोगों की मदद भी कर सकते हैं जो हर रोज भूखे सोते हैं।

शादी और उत्सव में भोजन की बर्बादी एक गंभीर चिंता का विषय है इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ना केवल शादी विवाह और उत्सव में बल्कि दैनिक जीवन में भी खाने की बर्बादी को कम करने का प्रयास करना चाहिए।

भारत में खाद्य बैंकों की कमी है इसके लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए जाने चाहिए। जिससे बचा हुआ भोजन लोग खाद्य बैंकों में दान (Indian wedding food donation) कर सके और यह सुनिश्चित हो सके की अधिशेष भोजन का सदुपयोग हो।

साथ ही साथ हमें अपने घरों और बच्चों में भी खाने की बर्बादी को ना करने की आदत को विकसित करना होगा। बच्चों को अनाज के उत्पादन में लगे ऊर्जा और मेहनत से अवगत कराना होगा। जिससे वह इसके सदुपयोग को समझ सके और एक जिम्मेदार नागरिक बन सके।

भारत जैसे विकासशील देश में आज भी लोग लाखों की संख्या में भूखे सो जाते हैं तो क्या ऐसे में खाने की इतने बड़े पैमाने पर बर्बादी ठीक है? इसके लिए सरकार से पहले हमें स्वयं जागरूक होना पड़ेगा। क्योंकि जब तक हम एक जिम्मेदार नागरिक नहीं बनेंगे तब तक सरकार भी कुछ नहीं कर सकती तभी हमारे हरित क्रांति का उद्देश्य भी सफल होगा।


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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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