दो पहलू – Do Pahloo। A Hindi Kahani on Ripple Effect of Misunderstandings in Family

दो पहलू – Do Pahloo। A Hindi Kahani on Ripple Effect of Misunderstandings in Family

दो पहलू (Do Pahloo or Two Sides) एक ऐसी Hindi Kahani जो पारिवारिक रिश्तों की जटिलता और कैसे अक्सर गलतफहमियां इनमें दरार पैदा करने का कारण बन सकती हैं, को दर्शाती है। परिवार के प्रत्येक सदस्य किसी भी स्थिति को अपने हिसाब से देखते हैं और सोचते हैं बिना इस बात पर ध्यान दिए हुए कि उस स्थिति का दूसरा पहलू भी हो सकता है। आइए इस कहानी के माध्यम से ऐसी ही एक स्थिति को जानने की कोशिश करते हैं।

दो पहलू – Do Pahloo। पारिवारिक संबंधों में गलतफहमी का प्रभाव। A Short Story in Hindi on the Ripple Effect of Misunderstandings in Family Relations:

“राधा ये ले, आज तेरी बेटी का जन्मदिन है ना, ये लेती जाना उसके लिए” स्मृति ने कुछ खिलौने, कपड़े और 500 रुपए दिए राधा को [ राधा, स्मृति के घर में मेड का काम करती थी जिसकी बेटी भी स्मृति की बेटी के हम उम्र थी।]

ये हमारी तरफ से बिटिया को देना, स्मृति ने राधा को पैकेट देते हुए कहा । धन्यवाद दीदी, आपको याद था आज मेरी बेटी का जन्मदिन है? राधा ने मुस्कुराते हुए पूछा । हां, अभी पिछले एक घंटे में तूने कितनी बार बताया है स्मृति ने राधा को याद दिलाने की कोशिश की ।

हां दीदी मैंने ही बताया है । दीदी, क्या आज शाम की छुट्टी मिल सकती है? कल सुबह जल्दी आ जाऊंगी, राधा ने ऐसा कुछ आते हुए पूछा । हां.. हां… तुम कल सुबह ही आना, शाम को मैं देख लूंगी, इसमें इतना संकोच करने वाली क्या बात है… स्मृति ने प्यार से कहा तो राधा मुस्कुराते हुए चली गई ।

स्मृति ! तुम भी इस तरह की घटिया सोच रखती हो मैं ये नहीं जानता था । मैं तो आज तक इसी भ्रम में था कि तुम मेरे माता-पिता का बहुत सम्मान करती हो, उनसे बहुत प्यार करती हो । हमेशा मां से तुम्हारी तारीफ करता था, लेकिन शायद मैं ही गलत था । स्मृति जो शाम की चाय के बाद रात के खाने की तैयारी कर रही थी पीछे से अभि के चिल्लाने की आवाज सुनकर चौक गई ।

अभि, स्मृति का पति है जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है । स्मृति एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है लेकिन उसने वर्क फ्रॉम होम (work-from-home) ले लिया है क्योंकि पायल अभी बहुत छोटी है । सिर्फ 2 साल की पायल, स्मृति और अभि की बेटी है ।

अभि, ये तुम क्या कह रहे हो, मैंने ऐसा क्या कर दिया जो तुम मुझसे इस तरह से बात कर  रहे  हो? स्मृति, अगर तुम्हें कुछ नहीं पसंद था तो तुम मुझसे कह सकती थी । इस तरह से उनकी बेज्जती करने की क्या जरूरत थी?

आज तुम्हारी वजह से ही वे कल वापस गांव जाने की बात कह रहे हैं । कल गांव जा रहे हैं लेकिन क्यों? मैंने तो ऐसा कुछ भी नहीं कहा अभि उनसे ।

मुझे नहीं पता था स्मृति तुम इस तरह का व्यवहार करोगी मां पिताजी के साथ वरना मैं उन्हें यहां कभी नहीं बुलाता । मैं ही अंधों की तरह तुम पर विश्वास करता रहा कि स्मृति कभी कुछ गलत नहीं करेगी ।

मैं सच कह रही हूं अभि, मैंने कुछ नहीं किया । और ये मेरे माता-पिता क्या होता है, क्या वे मेरे माता-पिता नहीं है, मैं क्यों उनका अपमान करूंगी?

तो तुमने वो सामान जो माता पिता जी ने पायल के लिए लाए थे मेड को नहीं दिए कि ये ले जा अपनी बेटी को दे देना। ये हमारी पायल के लायक नहीं है, हम इस तरह का सामान नहीं इस्तेमाल करते, ये हमारे स्टैंडर्ड का नहीं है । अभि ना जाने क्या-क्या गुस्से में चिल्लाए जा रहा था ।

अभि मेरी बात सुनो पहले । हां, मैंने मां-पिताजी के लाये कुछ खिलौने और कपड़े राधा को जरूर दिए हैं लेकिन ऐसा नहीं कहा कि ये हमारे लायक नहीं है । तुम्हें किसने बताया यह?

तुमने जिस का अपमान किया उसने बताया…… अभि ने गुस्से में कहा।

अभि, मैं मानती हूं ये मेरी गलती है कि वो चीजें देने से पहले मुझे एक बार मां-पिताजी से पूछ लेना चाहिए था । मैंने उसे वो सामान इसलिए दिए हैं कि आज उसकी बेटी का जन्मदिन है और उसने मुझे आज सुबह ही बताया। ऐसे शुभ दिन पर मुझे पुरानी चीजें देना ठीक नहीं लगा इसलिए मैंने उसे दिया ये सोच कर कि इस सामान के रूप में उस बच्ची को भी मां पिताजी का प्यार और आशीर्वाद मिल जाएगा ।

पायल की तबीयत खराब होने से ना तो मैं अपने काम पर ध्यान दे पा रही हूं और ना ही घर से बाहर निकल पा रही हूं। तुमसे कहती तो तुम्हारा हमेशा की तरह वही जवाब होता कि मेड के बच्चे के लिए नई चीजें खरीदने की क्या जरूरत है ।

आज के इस अवसर पर क्या उसे नए कपड़े या नए खिलौने का अधिकार नहीं है क्योंकि वह एक मेड की बच्ची है? वह बच्ची भी हमारी पायल की हम उम्र है। अभि, क्या हम किसी के जीवन में खुशियों और उनके चेहरे पर मुस्कान की वजह नहीं बन सकते? मैं अपनी गलती मानती हूं अभि और इसके लिए मैं मां-पिताजी से माफी भी मांग लूंगी। उनका अपमान करने का मेरा कोई इरादा नहीं था, स्मृति इतना कहकर रोने लगी ।

माफी तो हमें मांगनी चाहिए बहू, तुमको वो सामान राधा को देता देख मैंने ही ऐसा समझ लिया । ये सब सोचने के बजाय अगर मैंने तुमसे ये पूछ लिया होता कि तुमने उसे क्यों दिया तो ऐसी गलतफहमी तो नहीं होती । मुझे माफ कर दो बहू । नहीं मां.. माफी तो मुझे मांगनी चाहिए, बिना आपसे पूछे मैंने वो सामान राधा को दे दिया ।

माफी तो मुझे मांगनी चाहिए स्मृति तुमसे ! बिना ये सोचे कि हर सिक्के के 2 पहलू (Do Pahloo or Two Sides) होते हैं, हो सकता है तुमने किसी अच्छे के लिए उसे दिए हो या फिर शांति से तुमसे बात कर लेता। मैंने भी गुस्से में ना जाने क्या क्या कह दिया । मुझे माफ कर दो, आगे से कभी ऐसा नहीं होगा ये मैं वादा करता हूं… अभि ने कहा ।

दोस्तों, हर सिक्के के 2 पहलू (Do Pahloo or Two Sides) होते हैं । हम क्यों किसी एक को देखकर उसे सच मान लेते हैं? जरूरत है एक दूसरे से खुलकर बात करने की… अगर हम एक दूसरे से खुलकर बात करें तो हमारी समस्या का समाधान अपने आप ही निकल आता है।

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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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