भरोसा। Bharosa: A Heartfelt Swarachit Kavita in Hindi
भरोसा (Bharosa) बाल यौन शोषण के विनाशकारी प्रभावों की पड़ताल करने वाली स्वरचित कविता ( Swarachit Kavita in Hindi) के साथ भावनात्मक प्रभाव और इससे उबरने की शक्ति का अनुभव करें। अपने मार्मिक और विचारोत्तेजक छंदों के माध्यम से, यह शक्तिशाली कविता युवा पीड़ित द्वारा अनुभव किए गए दर्द, भय और भ्रम के साथ-साथ उपचार और आत्म-खोज की दिशा में उनकी यात्रा को दिखलाती है।
यह कविता मानव भावना के लचीलेपन और सभी बच्चों के फलने-फूलने के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाने के महत्व को अच्छी तरह से दर्शाती है।
भरोसा। Bharosa: A Swarachit Kavita in Hindi
अपनों पर तो बहुत किया, गैरों पर भी करने दो ! घुट-घुट कर तो बहुत जिया, अब खुलकर सांस तो लेने दो ॥
फूल-फूल मडराती थी, तितली बनकर इठलाती थी । पता नहीं था फूलों पर, है नजर गड़ाए बैठे वो ॥
मैले उन हाथों से, अपने ही रंग चुरा गए । गिरि धरा अब तड़प रही, बेगैरत सा वो बना गए ॥
जिनकी लाडली थी उनको, तनिक शर्म न आया है । जिसके वन्दन में शीश झुका, उसी से धोखा खाया है ॥
जितना ही दर्द सहती हूं, उतना तिल तिल कर मरती हूं । गैरों से तो नहीं मगर, अपनों से भागा करती हूं ॥
गैरों से तो नहीं मगर, अपनों से भागा करती हूं….. अपनों से भागा करती हूं….. गैरों से तो…….. भागा करती हूं ॥
आँचल बृजेश मौर्य की कलम से…
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