बादल को बनते देखा है! Baadal Banate Dekha Hai: A Swarachit Kavita in Hindi

बादल को बनते देखा है! Baadal Banate Dekha Hai: A Swarachit Kavita in Hindi

बादल बनते देखा है (Baadal Banate Dekha Hai) हिंदी में एक सुंदर स्वरचित कविता (swarachit kavita in hindi) है जो प्रकृति के चमत्कारों और बादलों को बनते देखने के कवि के अनुभव का वर्णन करती है।

दल को बनते देखा है! Baadal Banate Dekha Hai: A Swarachit Kavita

उन छोटी चलती खिड़की से,
पर्वत की ऊंची चोटी पे,
सूरज की पहली किरणों को-
मैंने पड़ते देखा है,
मैंने बादल को बनते देखा है ।

ऊंचे पर्वत के पेड़ों के,
नव विकसित अर्ध कपोलों पे,
सूरज की किरणों को मैंने-
सबसे पहले पड़ते देखा है,
मैंने बादल को बनते देखा है ।

कल कल गिरते झरनों से,
बिखरे उन नन्हीं बूंदों को,
गर्म हवा के झोंकों से-
मैंने लड़ते देखा है,
मैंने बादल को बनते देखा है ।

बूंदों के अविकसित पथ पे,
जाते रश्मिरथी के अश्वो से,
उन सात रंग के पुष्पों को-
मैंने बिखरते देखा है,
मैंने बादल को बनते देखा है ।
मैंने बादल को बनते देखा है…

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आदित्य जी सूचना प्रौद्योगिकी में स्नातक ( बी.टेक इन इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी) हैं और वर्तमान में आईटी क्षेत्र में कार्यरत हैं। साहित्य और कविताओं में उनकी रुचि बचपन से ही थी और अब अपनी रचनाओं को चाय के पल के माध्यम से आप पाठकों तक पहुंचाने का फैसला किया है।

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