जय अम्बे गौरी आरती। Ambe ji ki Aarti: A Hymn to the Divine Mother
Ambe ji ki Aarti का भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है जो मां दुर्गा को समर्पित है। यह एक लोकप्रिय भक्ति भजन है, जो मां दुर्गा की शक्ति, सुंदरता और ज्ञान की प्रशंसा करता है। Maa Durga Aarti भक्तो द्वारा की जाने वाली पूजा की एक रस्म है, और इसमें भजन गाते है, रोशनी, धूप और फूल चढ़ाते शामिल है।
यह आरती कब की जाती है: When we do Maa Ambe ji ki Aarti in Hindi:
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Maa Ambe ji ki Aarti नवरात्रि (Navratri), माता की चौकी, देवी जागरण, शुक्रवार, वट सावित्री व्रत, दुर्गा पूजा, गणगौर (Gangaur) तथा करवा चौथ के दिन गाई जाने वाली दुर्गा माँ की प्रसिद्ध आरती है।
नवरात्रि का हर दिन माता के अलग-अलग स्वरूप को समर्पित हैं। शुभ फल पाने के लिए मां की पूजा के बाद अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली – आरती गाएं। इस वर्ष नवरात्रि 22 मार्च 2023 बुधवार से प्रारंभ होगी।
Ambe Gauri ji ki Aarti को भक्ति की भावना के साथ गाया जाता है और भक्तों के बीच एक भावुक और आध्यात्मिक वातावरण बनाता है।
जय अम्बे गौरी आरती के बोल – Ambe ji ki Aarti Lyrics in Hindi or Jai Ambe Gauri Lyrics in Hindi:
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों । बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी] मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
इस आरती का महत्व – Significance of Ambe ji ki Aarti Lyrics in Hindi
Ambe ji ki Aarti के शुरुआती शब्द “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी” जो स्वर्ग में मां पार्वती की महिमा को वर्णित करता है। इसके बाद, आरती में विभिन्न नामों के साथ मां दुर्गा की प्रशंसा की गई है जैसे कि “चंद्र वदना”, “वरदानी”, “सुखकारी” आदि।
Maa Ambe ji ki Aarti का मुख्य भाव यह है कि देवी दुर्गा अपने भक्तों के संकटों से रक्षा करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि देती हैं। आरती के इस भाव के कारण दुर्गा पूजा का एक अहम अंग बन जाता है।
Durga ji ki Aarti Jai Ambe Gauri का महत्व श्रोताओं के दिलों में भक्ति और समर्पण की भावना जगाने की क्षमता में निहित है। यह भजन केवल शब्दों का संग्रह नहीं है; यह दिव्य मां के लिए प्यार और सम्मान की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति है। अगरबत्ती की सुगंध और लौ की गर्माहट के साथ आरती की धुन, एक पवित्र वातावरण बनाती है जो भक्तों को परमात्मा से जोड़ती है।
Maa Durga Aarti का धार्मिक महत्व के अलावा सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है। यह भजन भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है और पूरे भारत में अलग अलग भाषाओं में किया जाता है।
Maa shri ambe ji ki aarti देवी दुर्गा के भक्तों के बीच मौजूद सामाजिक और सांप्रदायिक बंधन की अभिव्यक्ति भी है। यह उनके लिए एक साथ आने, देवी के लिए अपनी श्रद्धा को साझा करने और उनका आशीर्वाद लेने का एक तरीका है।
जय अम्बे गौरी आरती पीडीएफ डाउनलोड। Jai ambe gauri aarti pdf download or om jai ambe gauri pdf download:
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नोट: यहां साझा की गई आरती मेरी मौलिक रचना नहीं है, इसे अलग अलग धार्मिक पुस्तकों में पढ़ा है।
Note: The Aarti shared here is not my original creation, I have read it in different religious books.
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