रंगा सियार की कहानी। Ranga Siyar ki Kahani: The consequences of Deception

रंगा सियार की कहानी। Ranga Siyar ki Kahani: The consequences of Deception
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Ranga Siyar ki Kahani or Neela Siyar ki Kahani धोखे और किसी और के होने का नाटक करने के परिणामों के बारे में एक मूल्यवान सबक सिखाती है। आइए इस कहानी के माध्यम से पंचतंत्र की दुनिया में जानवरों पर सुनाई जाने वाली प्रसिद्ध कहानियां को मजे से सुनते हैं और उनसे सीखते हैं।

रंगा या नीला सियार की कहानी। Ranga Siyar ki Kahani or Neela Siyar ki Kahani or Blue Jackal Story in Hindi:

एक बार की बात है। एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। उस जंगल में एक सियार भी रहता था। सियार कहता था, मैं जंगल का राजा हूं, लेकिन सारे जानवर शेर को अपना राजा मानते थे, क्योंकि शेर बहुत ही न्याय प्रिय और दयालु था।

सियार हमेशा सभी जानवरों को परेशान करता था, और उनका मजाक उड़ाया था। इसलिए ना तो कोई उससे प्यार करता था और ना ही कोई उससे दोस्ती करना चाहता था, और ना ही उसे अपना राजा बनाना चाहता था।

एक बार सियार घूमते घूमते जंगल के बाहर के गांव में पहुंच गया। गांव का वार्षिकोत्सव होने वाला था, इसलिए गांव की साफ-सफाई और साज-सजावट का कार्य चल रहा था।

सजावट के साथ-साथ घरों की रंगाई पुताई का भी काम चल रहा था। जिसके लिए घरों के बाहर बड़े-बड़े टबो में रंग घोलकर रखे हुए थे। रात का समय हो गया था, इसलिए सभी लोगों ने उन टबो को ढक कर दिया था, ताकि रात के वक्त उसमें कोई गलती से गिर ना जाए।

सियार गांव में इधर-उधर घूमता हुआ जा रहा था। तभी उसका पैर किसी चीज में फस गया, और वह एक टब में गिर पड़ा। टब काफी बड़ा था, बड़ी मेहनत के बाद सियार उससे बाहर निकल पाया।

बाहर निकलते ही उसने सीधा जंगल का रास्ता लिया, और भागते भागते जंगल पहुंच गया। काफी दूर दौड़ने की वजह से सियार बहुत थक गया था। वह जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा।

आराम करते करते सियार को नींद आ गई, और वह सो गया। अचानक से उसे बहुत सारे जानवरों की आवाजें सुनाई देने लगी उसने जल्दी से अपनी आंखें खोली तो सुबह हो चुकी थी, और बहुत सारे जानवर इकट्ठा होकर उसे देख रहे थे।

सभी आपस में कह रहे थे कि उन्होंने आज तक ऐसा जानवर नहीं देखा। कोई उसे सबसे ज्यादा ताकतवर समझ रहा था, तो कोई सबसे अधिक बुद्धिमान।

 जानवरों की बातों को सुनकर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि वह लोग ऐसा क्यों बोल रहे हैं। फिर उसने अपने आपको देखा। उसका तो रंग ही बदल गया था। वह नीले रंग का हो गया था। उसने सोचा यदि वह रात वाली घटना के बारे में सबको बता देगा तो सब उसका मजाक उड़ाएंगे इसलिए वह किसी को रात वाली घटना के बारे में नहीं बताएगा।

अपने नीले रंग से सियार को एक युक्ति सूझी जिससे उसका मजाक भी नहीं बनेगा, और वह जंगल का राजा भी बन जाएगा। यदि मैं इन सारे जानवरों से कर दूं कि, मैं इस जंगल का राजा हूं। मैं सबसे ताकतवर हूं।

 मुझे भगवान ने इस जंगल का राजा बनाया है यहां की देखभाल करने के लिए। पहले तो सारे जानवरों को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उसके रंग को देखकर सभी जानवरों ने उसे अपना राजा मान लिया। क्योंकि इससे पहले इस रंग का जानवर उन्होंने कभी नहीं देखा था।

 शेर ने भी अपनी सहमति दे दी। शेर को भी लगा हो सकता है, यह सच बोल रहा  हो, भगवान ने इसे इस जंगल की देखभाल करने के लिए भेजा हो, इसलिए उसने भी इसका विरोध नहीं किया।

 सियार जंगल का राजा बनकर बहुत खुश था। अब वह कहीं भी आराम से घूमता खाता जिधर से भी निकलता सारे जानवर उसे सम्मान देते, और कुछ ना कुछ खाने को भी देते। इसलिए उसे खाना ढूंढने के लिए भी मेहनत नहीं करना पड़ता था।

 एक दिन जंगल में जानवरों की सभा बुलाई गई। सभा में सारे जानवर नीचे बैठे थे, और सियार थोड़ा ऊंचाई पर बैठा हुआ था। सभा में इस बात पर विचार हो रहा था, कि जंगल में पेड़ काटे जा रहे हैं तो क्या करना चाहिए।

 सभी अपना अपना सुझाव दे रहे थे, तभी अचानक से बारिश आ गई, और जानवरों ने सभा खत्म करने की बात कही। लेकिन सियार ने कहा नहीं सभा खत्म करने की जरूरत नहीं है। सब लोग अपनी अपनी जगह पर बैठ जाओ, बारिश अभी बंद हो जाएगी।

 सभी जानवर अपनी अपनी जगह पर बैठे रहे, लेकिन बारिश की वजह से सियार भीग गया और धीरे-धीरे उसका रंग निकलने लगा। जैसे-जैसे बारिश उस पर गिरती गई उसका रंग धूलता गया।

 थोड़ी देर बाद उसका सारा नीला रंग पानी के साथ बह गया और सारे जानवर उसे देखकर गुस्सा होने लगे। सब उसे गुस्से में कुछ ना कुछ बोल रहे थे, और मारने के लिए बोल रहे थे।

 उसने कहा तुम लोग ऐसा नहीं कर सकते, मैं इस जंगल का राजा हूं। मैं तुम लोगों को सजा दे सकता हूं। तभी शेर ने कहा तुमने इस जंगल का राजा बनने के लिए हमें बेवकूफ बनाया, और धोखे से इस जंगल का राजा बन गए।

तुम कोई अद्भुत और नए जानवर नहीं, तुम सियार हो। सियार ने कहा, नहीं मैं सियार नहीं हूं, सियार का रंग कभी ऐसा होता है क्या?

 शेर ने कहा अच्छा तो सियार का रंग कैसा होता है? शेर की बात सुनकर सभी जानवर हंसने लगे। सब ने कहा पहले अपने आप को देख लो फिर बोलना।

सियार ने देखा बारिश की वजह से उसका नीला रंग धूल गया है, और वह अपने पुराने रंग में वापस आ गया है। सियार ने सभी जानवरों को धोखा दिया, और उनका गलत इस्तेमाल किया। इसलिए सभी जानवरों ने मिलकर सजा के रूप में उसे जंगल से बाहर निकाल दिया।

रंगा या नीला सियार की कहानी से सीख । Moral of the Ranga Siyar ki Kahani or Neela Siyar ki Kahani or Blue Jackal Story in Hindi:

Neela Siyar ki Kahani से हमें यह सीख मिलती है कि धोखे और किसी और के होने का नाटक करने से नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। साथ ही साथ हमें किसी के भरोसे को नहीं तोड़ना चाहिए, किसी को धोखा नहीं देना चाहिए क्योंकि धोखे से मिली हुई वस्तु या सम्मान ज्यादा देर तक नहीं रहती।

Blue Jackal Story in Hindi में, नीले सियार के साथ एक राजा की तरह व्यवहार किया जाता है जब तक कि उसकी असली पहचान सामने नहीं आ जाती है, और फिर अन्य जानवरों द्वारा उसका पीछा किया जाता है। और सच्चाई सबके सामने आने पर सियार को अपने किए गए कार्य पर शर्मिंदा होना पड़ता है।

बच्चे ईमानदारी और स्वयं के प्रति सच्चे होने के महत्व को Ranga Siyar ki Kahani से सीखकर अपने वास्तविक जीवन में लागू कर सकते हैं। बच्चों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि किसी और के होने का नाटक करने से अल्पकालिक लाभ हो सकता है, लेकिन यह अंततः रिश्तों को नुकसान और क्षति पहुँचाता है।

माता-पिता और शिक्षक बच्चों को उनके अद्वितीय गुणों और प्रतिभाओं (unique qualities and talents) पर गर्व करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं ताकि उन्हें किसी और के होने का ढोंग करने की आवश्यकता महसूस ना हो। वे इस कहानी का उपयोग बच्चों को दूसरों से सतर्क रहने के लिए सिखाने के एक अवसर के रूप में भी कर सकते हैं जो कुछ ऐसा होने का नाटक कर रहे हैं जो वे नहीं हैं। ईमानदार और प्रामाणिक (honest and authentic) होने से बच्चे दूसरों के साथ विश्वास और मजबूत संबंध बना सकते हैं।


अपने बच्चों को ऐसी ही सुंदर और मजेदार बेड टाइम स्टोरीज सुनाने के लिए हमारे Bedtime Stories for Kids in Hindi को पढ़ना ना भूलें।


नोट: यहां साझा की गई प्रेरक या नैतिक कहानी मेरी मौलिक रचना नहीं है, मैंने इसे पहले भी पढ़ा है और मैं अपने विचारों और सीखों को शामिल करने के बाद बस इसका हिंदी संस्करण प्रदान कर रहा हूं।

Note: This Bedtime story or Moral Story shared here is not my original creation, I have read it before and I am just providing the Hindi version of it after including my own thoughts and learnings.


आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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