स्व-प्रेरणा की शक्ति: Best Motivational Poem in Hindi

स्व-प्रेरणा की शक्ति: Best Motivational Poem in Hindi

क्या आप उदास महसूस कर रहे हैं और जीवन में Motivation की कमी है? क्या आप खुद को प्रेरित करने के लिए एक Motivational Poem in Hindi की तलाश कर रहे हैं? यदि हां, तो आप सही जगह पर आए हैं।

यहां आपको कई Self Motivation Poem Hindi में मिलेंगी, कुछ चाय के पल लेखक की Swarachit Kavita in Hindi हैं और कुछ कविताएं भारत के प्रसिद्ध कवियों की हैं। कुछ क्षण निकालकर इन Motivation Kavitaen को पढ़ें, आपको आश्चर्य हो सकता है कि यह आपको अपने सपनों की ओर आगे बढ़ने के लिए कितना प्रेरित कर सकता है।

जीवन भावनाओं और अनुभवों का एक रोलरकोस्टर है जिसमे उतार चढ़ाव आते रहते हैं। और हमें सफलता की इस दौड़ में बने रहने के लिए कभी-कभी सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जब हम चुनौतियों या असफलताओं का सामना करते हैं, तो हार मान लेना आसान होता है। लेकिन सही mindset और motivation से हम किसी भी बाधा को दूर कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

उन स्थितियों में जब हम हार मान लेते हैं, तब Motivation Kavitaen काम आती है हमें उन स्थितियों से बाहर निकालने के लिए। एक Self Motivation Poem Hindi में आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती और आपको अपनी आंतरिक शक्ति की याद दिलाने में मदद करती है।

Motivational Poem in Hindi आपको आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित कर सकता है, वो भी तब जब आप मुश्किलों का सामना नहीं कर पा रहे हैं। यह एक ऐसा साधन है जो आपको आत्म-संदेह, भय और टालमटोल पर काबू पाने में मदद कर सकता है। Self Motivation Poem Hindi व्यक्तिगत विकास की दिशा में आपकी यात्रा में आशा, प्रेरणा और प्रोत्साहन का स्रोत हो सकती है।



कागज के पन्ने । Best Motivational Poem in Hindi

कागज के पन्ने आँचल बृजेश मौर्य की Swarachit Kavita in Hindi है जो हमें उस युग में ले जाती है जहां लोगों से जुड़ने के लिए पत्र एक महत्वपूर्ण माध्यम था। जिसका आनंद शायद तकनीक से भरे दशक में नहीं लिया जा सकता है।

यह कविता आपको पत्र पढ़ने और उन्हें यादों के रूप में सजो कर रखने का अनुभव कराती है। और साथ ही साथ यह प्रेरणा देता है कि संसाधनों की कमी हमारी सफलता में बाधक नहीं हो सकती। यानी जब हमारे पास मोबाइल फोन, इंटरनेट, वीडियो कॉल आदि जैसी आज की तकनीक नहीं थी, न फिर भी हमारे पास अपने प्रियजन से जुड़ने, अपनी सफलता और भावनाओं को उनके साथ मनाने का तरीका था।

तो जब आप संसाधनों की कमी से खुद को हारा हुआ महसूस करें तो इस short self motivation poem hindi के माध्यम से हमारे पिछले संघर्ष और सफलता को याद करें।

कागज के पन्ने

कि ये कागज के पन्ने है नहीं, ख्वाबों के पन्ने हैं ।
लिखते हैं कभी, जिस पर सभी जज्बात अपने हैं ।
लड़ते हैं जब अंतर्द्वंद से,वो साक्ष्य लिखते हैं ।
किसी से कह नहीं सकते कभी, वो बात लिखते हैं ॥
कि ये कागज के पन्ने है नहीं, ख्वाबों के पन्ने हैं ।

इन्हीं पन्नों में सिमटे हैं, कभी जज्बात वीरों के ।
इन्हीं पन्नों ने लूटे हैं, कभी माओं के वीरों को ।
कि ये कागज के पन्ने है नहीं, ख्वाबों के पन्ने हैं ॥

दिलों को जीतने का फन (Fun) इन्हीं पन्नों को आता है ।
जिसे ख्वाबों में मिलते थे, उसे पन्नों पे लिखते हैं ।
सीने से लगाकर हम, कभी पन्नों को सोते थे ।
कि अब पन्नों की जगह वो, हमें ईमेल लिखते हैं ।

कहां होते हैं पन्ने अब, जिसे चुपके से रखते थे ।
उसे जब भी पढ़ोगे तो, दिलों में प्यार भरते थे ।
कभी पन्नों के रस्तों से, दिलों को जोड़ लेते थे ।
कि अब मुट्ठी में दुनिया ले के भी हम दूर रहते हैं ॥

कि ये कागज के पन्ने है नहीं, ख्वाबों के पन्ने हैं ।
लिखते हैं कभी जिस पर, सभी जज्बात अपने हैं ।
कि ये कागज के पन्ने है नहीं, ख्वाबों के पन्ने हैं…

मजबूर हूँ – Majaboor Hoon । Self Motivation Poem Hindi

कविताएं हमें हँसाती और रुलाती हैं, प्रेरणा और प्रोत्साहन भी प्रदान करती है। कुछ कविताएँ हमारे समाज में हाशिये पे खड़ी श्रमिक वर्ग की परिस्थितियों को दर्शाता है और हमें सोचने के लिए बाध्य करता हैं।

मजबूर हूँ ऐसी ही एक motivational kavita in hindi में है जो आज के श्रमिक वर्ग की स्थिति को दर्शाता है। यह आंचल बृजेश मौर्य की swarachit kavita है।

मजदूर हूं साहब, इसलिए मजबूर हूं साहब ।
न मेरा कहीं जिकर है, ना किसी को फिकर है ।
गरीब हूं साहब, इसलिए समाज का नासूर हूं साहब ।
मजदूर हूं साहब, इसलिए मजबूर हूं साहब ॥

देश के सुवर्ण प्रतिबिंब में, एक अहम रंग हूं साहब ।
फिर क्यों रोज, मेरी भूख से होती जंग है साहब ।
मजदूर हूं साहब, इसलिए मजबूर हूं साहब ॥

ना मांगता, वादों की दुकान हूं साहब ।
मांगता सिर्फ रोटी, कपड़ा, मकान हूं साहब ।
मजदूर हूं साहब, इसलिए मजबूर हूं साहब ।
मजदूर हूं साहब, इसलिए मजबूर हूं साहब…

श्री हरिवंश राय बच्चन जी की प्रेरणादायक कविताएँ – Inspirational Harivansh Rai Bachchan Poems

श्री हरिवंश राय बच्चन जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है । वे हिंदी साहित्य के एक महान लेखक और कवि रहे हैं ।श्री हरिवंश राय बच्चन जी के बारे में अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें ।

वैसे तो उनकी सभी रचनाएँ पाठकों की धारणा के रूप में सर्वश्रेष्ठ हैं। लेकिन अग्निपथ self motivation poem hindi में एक अलग ही मुकाम पर है।

अग्निपथ – Agneepath Poem

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
Source: Bollywood News Villa

मापदण्ड बदलो – Change Parameters: Shri Dushyant Kumar motivational poem in hindi

दुष्यंत कुमार जी आधुनिक हिंदी साहित्य (Modern Hindi Litrature) के एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक, कवि एवं गजलकार थे । उनके बारे में अधिक जानने और अन्य कविताओं को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मापदण्ड बदलो एक ऐसी self motivation poem hindi में जो उनके उत्तेजक विचार, और मानवीय स्थिति की गहरी समझ को दर्शता है।

मेरी प्रगति या अगति का
यह मापदण्ड बदलो तुम,
जुए के पत्ते सा
मैं अभी अनिश्चित हूँ ।
मुझ पर हर ओर से चोटें पड़ रही हैं,
कोपलें उग रही हैं,
पत्तियाँ झड़ रही हैं,
मैं नया बनने के लिए खराद पर चढ़ रहा हूँ,
लड़ता हुआ नयी राह गढ़ता हुआ आगे बढ़ रहा हूँ ।

अगर इस लड़ाई में मेरी साँसें उखड़ गईं,
मेरे बाजू टूट गए,
मेरे चरणों में आँधियों के समूह ठहर गए,
मेरे अधरों पर तरंगाकुल संगीत जम गया,
या मेरे माथे पर शर्म की लकीरें खिंच गईं,
तो मुझे पराजित मत मानना,
समझना-
तब और भी बड़े पैमाने पर,
मेरे हृदय में असन्तोष उबल रहा होगा,
मेरी उम्मीदों के सैनिकों की पराजित पंक्तियाँ
एक बार और
शक्ति आज़माने को
धूल में खो जाने या कुछ हो जाने को
मचल रही होंगी। एक और अवसर की प्रतीक्षा में
मन की कुन्दीलें जल रही होंगी।

ये जो चाँद से फफोले तलुओं में दीख रहे हैं
ये मुझको उकसाते हैं।
पिण्डलियों की उभरी हुई नसें
मुझ पर व्यंग्य करती हैं।
मुँह पर पड़ी हुई यौवन की झुर्रियाँ
क़सम देती हैं।
कुछ हो अब, तय है-
मुझको आशंकाओं पर काबू पाना है,
पत्थरों के सीने में
प्रतिध्वनि जगाते हुए
परिचित उन राहों में एक बार विजय-गीत गाते हुए जाना है-
जिनमें मैं हार चुका हूँ।

मेरी प्रगति या अगति का
यह मापदण्ड बदलो तुम मैं अभी अनिश्चित हूँ।

रास्ता | The Path

रास्ता आदित्य ‘चिराग’ की Swarachit Kavita in Hindi है जो अपनी रचनाओं को चाय के पल के माध्यम से आप पाठकों तक पहुंचाते है।

मैं पूछ बैठा  ‘ऐ’ रास्ता ! बता तेरी मंजिल है कहां?
सदियों से चलता आ रहा, ना प्रारंभ ना अंत का है पता।
लड़खड़ाते हुए कदम, जाने किधर को जा रहे।
जिस ओर मुड़ता रास्ता, उस ओर चलते जा रहे ॥

चलता चला मैं जा रहा, मन में यही गुमां लिए । 
शायद आज मुझको मिले, इस डगर की मंजिलें ॥

मन को यही समझाता हुआ, सागर तट पर मैं आ गया। 
पल भर को ऐसा लगा शायद, मंजिल को मैं पा गया॥

ना इसके आगे है रास्ता, और ना किसी पग के निशाँ। 
दिल में यही गुमान था, इस रास्ते का अंत था॥

क्षण भर में तोड़ कर घमंड, सागर के उर से निकलकर, 
नील अंचल में घटा का श्वेत सा, आंचल पसारे, 
मणि-मोतियों से सुसज्जित, रवि किरणों के सहारे, 
डूबती-इतराती हुई सी सामने वो आ गई॥

ना रुकने से था वास्ता, बस चलते रहना लक्ष था। 
राह पर चलते हुए मुझसे, यही कहती गयी, 
"जीवन एक सच्चाई है", तुम भी इसे जान लो। 
सांसो से शुरू होती डगर, प्राणों पर अंत है मान लो॥

फिर ना उत्तर की थी लालसा, ना मन में कोई प्रश्न था। 
बस कर्म से संयोग था, और चलते रहना लक्ष्य था॥ 
बस कर्म से संयोग था, और चलते रहना लक्ष्य था…

रश्मिरथी की यह प्रसिद्ध पंक्तियाँ श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी की कलम से

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुहँ से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शुलों का मूळ नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोंक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

गुन बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भितर,
मेंहदी में जैसी लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो,
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।
Source: Piyush Sundriyal

श्री सोहनलाल द्विवेदी जी की motivational kavita in hindi – कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है।
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है।
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।

आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है।
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है।

मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में।
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।

मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो।
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।

जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम।
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।

कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।
Source: Shivam Rathi

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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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