Inspire Women Inclusion: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 का वास्तविक संदेश

Inspire Women Inclusion: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 का वास्तविक संदेश

न केवल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 (Antarrashtriya Mahila Diwas 2024) पर बल्कि दैनिक दिनचर्या में हम जो कुछ भी करते हैं उसमें महिलाओं को शामिल करने के लिए प्रेरित करें (Inspire Women Inclusion)!

जानें कि ऐसा माहौल कैसे बनाएं जहां महिलाएं आगे बढ़ सके और साथ ही साथ जीवन और व्यवसाय के हर पहलू में महिलाओं को शामिल करना वास्तविक प्रगति के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? 

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1. महिला समावेशन को प्रेरित करने का परिचय । Introduction of Inspire Women Inclusion:

Table of Contents

“समावेश या Inclusion” – यह एक प्रचलित शब्द है जिसे हम हर जगह सुनते हैं, खासकर जब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (Antarrashtriya Mahila Diwas or International Women’s Day) की बात आती है। 

लेकिन महिलाओं के लिए वास्तविक समावेशिता को बढ़ावा देने का वास्तव में क्या अर्थ है? और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जब महिलाओं को पूरी तरह से भाग लेने के लिए सशक्त बनाया जाता है, तो हमारे कार्यस्थलों, हमारे समुदायों और व्यापक रूप से दुनिया भर में क्या होता है?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 (Antarrashtriya Mahila Diwas 2024) का विषय, “Inspire Inclusion”, हमें केवल दिखावे की Diversity से आगे बढ़ने की चुनौती देता है। यह हमें एक ऐसा समाज बनाने के लिए कहता है जहाँ महिलाएँ केवल मौजूद ही नहीं हैं, बल्कि उनका वास्तव में सम्मान किया जाता है, उनकी बात सुनी जाती है, और उन्हें नेतृत्व करने के समान अवसर दिए जाते हैं।

इस ब्लॉग में, हम Inclusion की परिवर्तनकारी शक्ति के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही हम यह भी देखेंगे:

  • वो रुकावटें जो अभी भी महिलाओं की पूर्ण भागीदारी में बाधा डालती हैं
  • आँकड़ों और उदाहरणों पर आधारित Inclusion के लाभ
  • ऐसे तरीके जिनसे व्यक्ति और संगठन समावेशी वातावरण (inclusive environments) को बढ़ावा दे सकते हैं

यदि आप महिला सशक्तिकरण और प्रेम की एक मार्मिक कहानी पढ़ना चाहते हैं तो लिंक पर क्लिक करें जो आंचल मौर्य की स्वरचित और काल्पनिक कहानी है।


2. समावेशन को क्यों प्रेरित करें या हम जो कुछ भी करते हैं उसमें महिलाओं को क्यों शामिल करें? Why Inspire Women Inclusion or Why to include women in EVERYTHING we do?

चलिए हमारे आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत की कल्पना इस रूप करें:

एक ग्रामीण परिषद जिसमें पुरुष और महिलाएं दोनों साथ मिलकर निर्णय लेते हैं कि विकास निधि कैसे और कहां खर्च की जाए, जिसमें यह भी सुनिश्चित हो कि सभी की ज़रूरतें पूरी हो रही है या नहीं।

महिला उद्यमियों द्वारा अपने सुंदर शिल्प और स्वादिष्ट व्यंजन बेचने से भरा एक स्थानीय बाज़ार, जिससे घरेलू आय में वृद्धि हो रही है और महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हो।

एक विद्यालय जहाँ लड़कियाँ और लड़के साथ-साथ सीखते हैं, भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर,वैज्ञानिक,और नेता बनते हैं।

यह महिलाओं के समावेशन की शक्ति है। यह सिर्फ निष्पक्ष होने के बारे में नहीं है, यह हमारी आधी आबादी की क्षमता को उजागर करने के बारे में है!

हम जो कुछ भी करते हैं उसमें महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के कुछ कारण यहां दिए गए हैं:

2.1 समानता का नवीकरण । Equality Breeds Innovation:

जब महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में शामिल किया जाता है तो वह एक अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन करती है। महिलाओं को समानता का अवसर देने से व्यवसाय, शासन या सामुदायिक पहल में, विविध दृष्टिकोण सामने आते हैं। 

यह विविधता नवीकरण को बढ़ावा देती है, जिससे जटिल समस्याओं का अधिक रचनात्मक समाधान निकलता है। उदाहरण के लिए, जब महिलाएं कृषि संबंधी निर्णय लेने में भाग लेती हैं, तो वे अद्वितीय अंतर्दृष्टि लाती हैं जो उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ा सकती हैं। कुछ अद्वितीय प्रतिभा का उदहारण इन महिलाओं द्वारा देखा जा सकता है

  • भावना नीलकंठ:- निकम पॉलीहाउस खेती महाराष्ट्र।
  • बिनीता कुमारी:- मशरूम की खेती बिहार
  • डोमा लाचेनपा:- पशुधन पालन एवं बागवानी फसलें। 
  • गुरविंदर कौर:- डेरी फार्मिंग।
  • हमंगइहकिमी:- मधुमक्खी पालन
  • काडेन लेप्चा:- आलू की खेती
  • बीबी कमलजीत कौर:- जैविक खेती।
  • लीना शर्मा:- प्राकृतिक खेती

2.2 आर्थिक सशक्तिकरण । Economic Empowerment:

कार्यबल में महिलाओं को शामिल करने से न केवल परिवार ही, बल्कि पूरे देश का आर्थिक विकास होता है और महिलाएं आत्मनिर्भर बनती हैं। जब महिलाओं को शिक्षा, रोजगार के अवसर और संसाधन उपलब्ध होते हैं, तो वे अपने पूरे आत्मबल से घरेलू आय और सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

ग्रामीण भारत में, स्वयं सहायता समूहों और माइक्रोफाइनेंस (Self Help Groups and Microfinance) जैसी पहलों ने महिलाओं को छोटे व्यवसाय (Small Business) शुरू करने के लिए सशक्त बनाया है, जिससे पूरे समुदाय का उत्थान हुआ है।

2.3 सामाजिक प्रगति । Social Progress:

महिलाओं का समावेश रूढ़ियों को चुनौती देकर और बाधाओं को तोड़कर सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देता है। जब लड़कियां महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में देखती हैं, तो वे बिना किसी सीमा के अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित होती हैं। यह लहर प्रभाव एक अधिक न्यायसंगत समाज का निर्माण करता है जहां हर किसी को लिंग की परवाह किए बिना आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।

भीकाजी कामा जिन्हें ‘भारतीय क्रांति की जननी’ भी कहा जाता है उन्हें दबे-कुचले भारतीयों की दुर्दशा को समझा और इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ावा देने का फैसला किया। उनके क्रांतिकारी सिद्धांतों और गतिविधियों के लिए उन्हें ब्रिटिश-भारतीय सरकार और स्वयं ब्रिटेन द्वारा निर्वासित कर दिया गया था। वह पहली भारतीय थीं जिन्होंने विदेशी धरती पर भारतीय झंडा फहराया था।

श्रीमती इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, विजया लक्ष्मी पंडित, सुषमा स्वराज, मायावती और दुर्गाबाई देशमुख ऐसे अनेकों नाम है जिन्होंने राजनीति की दुनिया में अपना लोहा मनवाया।

सिर्फ राजनीति में ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी अवसर मिलने पर महिलाओं ने अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, जैसे दर्शन रंगनाथन (वैज्ञानिक), असीमा चटर्जी (वैज्ञानिक), ए. ललिता (भारत की पहली महिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियर), टेस्सी थॉमस रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में बैलिस्टिक मिसाइलों के डिजाइन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और भारत की रक्षा के लिए अपनी असाधारण इंजीनियरिंग कौशल का प्रदर्शन किया।

3. महिला समावेशन के लाभ । Benefits of Women Inclusion:

महिलाओं को समावेशन में शामिल करने से सभी को कैसे लाभ होता है, इस पर प्रकाश डालते है:

3.1 मजबूत परिवार एवं मजबूत स्वस्थ समुदाय । Stronger Families & Stronger, Healthier Communities:

जब महिलाओं को सभी क्षेत्रों में समान अवसर मिलता है,तो परिवार फलते-फूलते हैं। वे परिवार स्वास्थ्य, शिक्षा औरआय के बारे में बुद्धिमानी से निर्णय लेते हैं,जिससे परिवार अधिक खुशहाल और स्थिर होते हैं।

उदाहरण के लिए, जब महिलाएं मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों में शामिल होती हैं, तो वे आवश्यक सेवाओं के बारे में अधिक जागरूकता ला सकती हैं,और सरकार की तरफ से दी जाने वाली सेवा का लाभ उठा सकती है।

3.2 बेहतर निर्णय लेने की क्षमता । Improved Decision-Making:

अध्ययनों से पता चला है कि लैंगिक विविधता वाला समूह बेहतर निर्णय लेती हैं। नेतृत्व पदों पर महिलाओं को शामिल करके, व्यवसाय और संगठन व्यापक दृष्टिकोण का लाभ उठा सकते हैं, जिससे अधिक जानकारीपूर्ण और प्रभावी विकल्प सामने आ सकते हैं।

3.3 उत्पादन क्षमता में वृद्धि और अधिक जीवंत अर्थव्यवस्था । Increased Production Capacity And A More Vibrant Economy:

महिलाएं स्वाभाविक उद्यमी औरनया परिवर्तन लाने वाली होती हैं। जब महिलाओं को शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता से सशक्त बनाया जाता है, तो वे अर्थव्यवस्था में बेहतर योगदानकर्ता बन जाती हैं। वे व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, नये नये रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है और मजबूत अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं।

3.4 एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज । More Just And Equitable Society:

जब महिलाओं को समान अधिकार और अवसर मिलते हैं, तो सभी को एक निष्पक्ष और न्याय पूर्ण समाज का निर्माण होता है। जब निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी होती है, तो संघर्ष कम होता है,और सामाजिक संतुलन अच्छा होता है।घर चलाने से लेकर व्यवसाय तक, महिलाएं हर क्षेत्र में कुशल होती हैं। उनके नज़रिए से फैसले लेने से समाज का हर वर्ग लाभान्वित होता है। जैसे महिला डॉक्टर गाँव की महिलाओं की परेशानियों को समझकर उनका बेहतर इलाज कर सकती हैं।

3.5 जीवंत लोकतंत्र । Vibrant Democracy:

जब महिलाएं राजनीति में भाग लेती हैं, तो समाज के सभी वर्गों की आवाज सुनी जाती है,और एक मजबूत लोकतंत्र का निर्माण होता है।जैसे गाँव की पंचायत में महिलाएं हों, तो वो शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता जैसे मुद्दों पर बेहतर समझ रखती हैं।शिक्षित और सशक्त महिलाएं अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देती हैं। इससे अगली पीढ़ी भी सशक्त और समाजसेवी बनती है।

4. महिला समावेशन की चुनौतियाँ । Challenges Of Women Inclusion:

तत्कालिक समाज परिवेश को देखते हुए यदि कहा जाए तो चुनौतियां भी हैं। परंपराएं, शिक्षा की कमी और संसाधनों तक सीमित पहुंच महिलाओं को पीछे धकेलती है।यहाँ कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है:

4.1 पुरानी सोच । Old Thinking: 

कई बार समाज में पुरानी रूढ़िवादी सोच की वजह से भी महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। हमें ऐसी सोच को बदलने की ज़रूरत है जिससे एक नये समावेशी समाज का निर्माण हो सकता है।गहरी जड़ें जमा चुके पितृसत्तात्मक मानदंड और सांस्कृतिक परंपराएँ अक्सर महिलाओं की भागीदारी को प्रतिबंधित करती हैं। इन बाधाओं पर काबू पाने के लिए रूढ़िवादिता को चुनौती देने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

4.2 शिक्षा की कमी । Lack of Education: 

गाँवों में लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता। हमें हर बच्चे को समान शिक्षा का मौका देना चाहिए।हमें लड़कियों की शिक्षा को भी महत्व देना चाहिए। शिक्षा ही वह कुंजी है जिससे हम समाज में इस असंतुलन को ठीक कर सकते हैं।एक शिक्षित महिला ही शिक्षित और स्वस्थ समाज की नींव रख सकती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं को अक्सर शिक्षा, वित्तीय संसाधनों और स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता है जो महिलाओं को सफल होने के लिए आवश्यक उपकरण और अवसर प्रदान करें।

4.3 आर्थिक परेशानियां । Financial Problems: 

कई महिलाओं को आर्थिक मदद की ज़रूरत होती है।वह काम करना चाहती है और उसके पास ऐसा करने का हुनर ​​भी है, लेकिन अपनी आर्थिक समस्याओं के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाती है।स्वयं सहायता समूह बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

4.4 लिंग आधारित हिंसा । Gender Based Violence:

जो महिलाएं पारंपरिक लिंग भूमिकाओं को चुनौती देती हैं, उन्हें लिंग-आधारित हिंसा का सामना करना पड़ता है। महिलाओं के लिए हिंसा की रिपोर्ट करने और उसका समाधान करने के लिए सुरक्षित स्थान और सहायता प्रणाली बनाना उनके समावेश और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।

5. समावेशिता को कैसे बढ़ावा दे सकते है? । How To Promote Inclusivity:

5.1 बेटियों को पढ़ाएं । Educate daughters: 

अपनी बेटियों को शिक्षा दें और उनका हर तरह से सपोर्ट करें। महिलाओं के समावेशन के महत्व और इसके लाभों के बारे में समुदायों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। कार्यशालाएँ, सामुदायिक बैठकें और जागरूकता अभियान लैंगिक समानता के प्रति दृष्टिकोण और व्यवहार को बदलने में मदद कर सकते हैं।

व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता कार्यक्रम और नेतृत्व कार्यशालाएँ बेटियों और महिलाओं को सफल होने के लिए आवश्यक उपकरणों से परिपूर्ण कर सकती हैं।

5.2 गाँव में जागरूकता फैलाएं । Spread awareness in the village: 

लोगों को महिलाओं के अधिकारों के बारे में बताएं और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करें। महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के अवसर प्रदान करना उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाता है।

हमारे जीवन के हर पहलू में महिलाओं को शामिल करने के लिए प्रेरित करना न केवल एक नैतिक अनिवार्यता है, बल्कि एक अधिक समावेशी और समृद्ध समाज के निर्माण के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता भी है। चुनौतियों का समाधान करके और महिलाओं के समावेशन के लाभों का लाभ उठाकर, हम अपनी आधी आबादी की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं और सभी के लिए उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

5.3 स्वयं सहायता समूह बनाएं । Form self help group: 

महिलाओं को मिलकर छोटा व्यवसाय शुरू करने में मदद करें।

5.4 अपनी आवाज़ उठाएं । Raise your voice:

अगर आपको कहीं महिलाओं के साथ गलत होता देखते हैं, तो आवाज़ उठाएं। महिलाओं के समावेश के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने वाली नीतियों की वकालत करना आवश्यक है। इसमें ऐसी नीतियां शामिल हैं जो शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करती हैं।

विकसित देशों की तुलना में भारत में विभिन्न कार्यस्थलों में महिलाओं की भागीदारी की वर्तमान स्थिति को दर्शाने के लिए यहां कुछ आंकड़े दिए गए हैं:

6. श्रम शक्ति की भागीदारी दर । Labor Force Participation Rate:

विश्व बैंक के अनुसार, 2021 में भारत में महिलाओं के लिए कार्यबल भागीदारी दर 20.5% थी, जो वैश्विक औसत 47.8% से काफी कम है।

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश में, वर्ष 2022 में महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर 57.9% थी (स्रोत: संयुक्त राज्य अमेरिका श्रम सांख्यिकी ब्यूरो)।

यह अन्य विकसित या विकासशील देशों की तुलना में कार्यबल में भारतीय महिलाओं की भागीदारी में पर्याप्त अंतर को इंगित करता है।

7. निष्कर्ष । Conclusion:

“Inspire Women Inclusion” की शुरुआत हममें से प्रत्येक से होती है। आइए अपने स्वयं के पूर्वाग्रहों (own biases) की जांच करें, अपने आस-पास की महिलाओं का समर्थन करें और समावेशी नीतियों (inclusive policies) की वकालत करें।

चाहे वह एक युवा महिला को सलाह देना हो (mentoring a young woman,), अधिक परिवार-अनुकूल कार्यस्थल बनाना हो (more family-friendly workplace), या बस महिलाओं की आवाज़ को बढ़ाना हो, हर कार्य एक ऐसी दुनिया में योगदान देता है जहां समानता पनपती है।

महिलाओं को शामिल करना सिर्फ उनका हक़ नहीं, बल्कि समाज की तरक्की के लिए भी ज़रूरी है। आइए, मिलकर ऐसा समाज बनाएं जहाँ हर महिला शिक्षित, सशक्त और अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र हो!


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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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