हनुमान जी की आरती के बोल। Shri Hanuman ji ki Aarti Lyrics significance
Shri Hanuman ji ki aarti lyrics एक हिंदू भक्ति भजन है जो भगवान हनुमान की स्तुति में गाया जाता है, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। हनुमान जी हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे लोकप्रिय और प्रिय देवताओं में से एक हैं और दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा उनकी पूजा की जाती है।
Significance of Shri Hanuman ji ki Aarti lyrics
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हनुमान जी की आरती (Shri Hanuman Aarti Lyrics) का महत्व ये है कि लोगों को शांत और खुश रखने में मदद करता है। भगवान हनुमान के आशीर्वाद से लोग अपनी परेशानियों और मुश्किलों से मुक्ति पा सकते है।
जब लोग हनुमान जी की आरती (Hanuman Aarti Lyrics) करते हैं, तो वे आत्मिक रूप से जुड़ा हुआ महसूस होता है। इससे उन्हें शांति और संतुलन प्राप्त होता है और उनके मन में नकारात्मक विचार और भावों का नाश होता है।
हनुमान जी की आरती के बोल – Shri Hanuman ji ki aarti lyrics
॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥ मनोजवं मारुत तुल्यवेगं, जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम्॥ वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं, श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे॥ ॥ आरती ॥ आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ जाके बल से गिरवर काँपे। रोग-दोष जाके निकट न झाँके॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई॥ आरती कीजै हनुमान लला की॥ दे वीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाये॥ लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥ आरती कीजै हनुमान लला की॥ लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे॥ लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। लाये संजिवन प्राण उबारे॥ आरती कीजै हनुमान लला की॥ पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥ बाईं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥ आरती कीजै हनुमान लला की॥ सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें। जय जय जय हनुमान उचारें॥ कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥ आरती कीजै हनुमान लला की॥ जो हनुमानजी की आरती गावे। बसहिं बैकुंठ परम पद पावे॥ लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥ आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
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