मुट्ठी भर अनाज या हजार सोने के सिक्के। Handful of Grain or Thousand Gold Coins

मुट्ठी भर अनाज या हजार सोने के सिक्के। Handful of Grain or Thousand Gold Coins

मुट्ठी भर अनाज या हजारों सोने के सिक्कों (Handful of Grain or Thousand Gold Coins) की मनोरम कहानी का आनंद लें, जहां तेनाली रामा एक बुद्धिमान लेकिन घमंडी महिला को एक मूल्यवान सबक प्रदान करता है। हास्य, ज्ञान और जीवन के महत्वपूर्ण सीखो से भरी इस कहानी का अनुभव करें और तेनाली रामा के साथ जुड़ें जो विनम्रता की शक्ति और अहंकार के खतरों को सिखाती है।

मुट्ठी भर अनाज या हजार सोने के सिक्के। Handful of Grain or Thousand Gold Coins: Tenali Rama Story in Hindi:

विजयनगर साम्राज्य में विद्युलता नाम की एक महिला थी। उसे कला और धर्म ग्रंथों का बहुत ज्ञान था जिसके कारण वह बहुत ही घमंडी और अहंकारी  हो गई थी।

 एक दिन उसने अपने घर के सामने एक बोर्ड लगा दिया। और उस पर लिख दिया कि जो कोई भी प्राचीन ग्रंथों में अपनी बुद्धि और ज्ञान से उसे हरा देगा, वह उसे 1000 सोने के सिक्के पुरस्कार स्वरूप देंगी। कई बड़े-बड़े विद्वानों ने इस चुनौती को स्वीकार किया लेकिन कोई भी उसे हरा नहीं सका।

एक दिन लकड़ी बेचने वाला एक आदमी उसके घर के बाहर जोर जोर लकड़ी बेचने के लिए चिल्ला रहा था। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा तो विद्युलता उस लकड़ी बेचने वाले की आवाज से चिढ़ गईं। वह बाहर आई और उसे ही लकड़ी बेचने के लिए कहा।

विद्युलता कि बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा कि वह अपनी लकड़ी पैसे के बदले नहीं बल्कि मुट्ठी भर अनाज के लिए बेचना चाहता है।

विद्युलता सहमत हो गई और उसे अपने घर के पीछे लकड़ी फेंकने के लिए कहा। उस लकड़ी बेचने वाले आदमी ने जोर देकर कहा कि विद्युलता को उसकी बात समझ में नहीं आई कि उसने वास्तव में क्या मांगा था।

लकड़ी बेचने वाले ने कहा कि अब यदि वह एक मुट्ठी अनाज नहीं दे सकती है, तो उसे हजार सोने के सिक्के देने होंगे और उसे यह बोर्ड भी उतारना पड़ेगा। विद्युलता को लकड़ी बेचने वाले की बात सुनकर गुस्सा आया और उसने कहा, “क्या बकवास कर रहे हो?”

लकड़ी बेचने वाले ने जवाब दिया कि यह बकवास नहीं है, वह समझ नहीं पाई कि उसका क्या मतलब था, और इसलिए उसे हार माननी होगी।

विद्युलता ने उसकी बात सुनी तो उसे बहुत गुस्सा आया। दोनों के बीच बहस होने लगी, तब विद्युलता ने राजा कृष्णदेवराय के दरबार में न्याय मांगने के लिए गई। राजा कृष्णदेवराय ने सुना कि विद्युलता क्या कहना चाहती है । फिर उन्होंने लकड़ी बेचने वाले से पूछा कि उसे क्या चाहिए।

 लकड़ी बेचने वाले ने न्यायाधीश से कहा कि लकड़ी के बदले में उसने एक मुट्ठी दाना मांगा था, जिसका अर्थ है कि एक दाना जो उसकी मुट्ठी को भर दे। चूंकि वह इतनी सीधी सी बात समझने में विफल रही, इसलिए वह उतनी समझदार नहीं है, जितना वह समझती है, और इसलिए उसे अपने घर के सामने लगे बोर्ड को उतारना होगा।

राजा कृष्णदेवराय लकड़ी विक्रेता की बुद्धिमत्ता से प्रभावित हुए और विद्युलता को उसे एक हजार सोने के सिक्के देने, और उसके घर के बाहर लगे बोर्ड को हटाने के लिए कहा।

तेनाली रामा ने वास्तव में घमंडी और अहंकारी विद्युलता को सबक सिखाने के लिए लकड़ी बेचने वाले का रूप लिया था।

मुट्ठी भर अनाज या हजार सोने के सिक्के कहानी से शिक्षा। Moral of Handful of Grain or Thousand Gold Coins: Tenali Rama Story in Hindi:

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता पर घमंड नहीं करना चाहिए।


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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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