कंकड़ से स्ट्रॉ तक । From Pebbles to Straw: Modern twist in Ek Pyasa Kauwa ki Kahani

कंकड़ से स्ट्रॉ तक । From Pebbles to Straw: Modern twist in Ek Pyasa Kauwa ki Kahani

आप सभी ने प्यासे कौवे की प्रसिद्ध कहानी (Ek Pyasa Kauwa ki Kahani) तो सुनी ही होगी लेकिन कंकड़ से स्ट्रॉ तक (From Pebbles to Straw) की कहानी एक प्यासा कौवा की कहानी में एक आधुनिक मोड़ लाती है जहां प्यासा कौआ अपनी प्यास बुझाने के लिए मिट्टी के घड़े में पानी लाने के लिए अपनी पुरानी कंकड़ वाली चाल (old pebbles trick) आजमाता है। हालाँकि, आसानी से उपलब्ध संसाधनों और स्मार्ट तकनीक का उपयोग करके एक चतुर तोते ने उसे मात दे दी। 

आइए जानें कि कैसे चतुर तोते ने बुद्धिमान कौवे और उसकी प्यास बुझाने की कंकड़ तकनीक को मात दे दी।

कंकड़ से स्ट्रॉ तक । From Pebbles to Straw: Modern twist in Thirsty Crow Story in Hindi / Modern Ek Pyasa Kauwa ki Kahani:

एक बार की बात है, गर्मी के मौसम में ज्यादा गर्मी और तेज धूप की वजह से जंगल में बहने वाली नदी सूख गई, छोटे-छोटे तालाब जो थे वह भी सूख गए। जंगल के सारे जानवर गर्मी और प्यास से परेशान रहने लगे। 

तब जंगल के राजा शेर ने एक सभा बुलाई, और सभी जानवर के साथ मिलकर इस परेशानी से निपटने की योजना पर विचार किया। आपस में बातचीत करने पर सबने यह कहा कि यदि नदी के उसे पार जाकर देखें तो हो सकता है, कि पानी मिल जाए और इस समस्या का हल निकल जाए। 

शेर ने भी कहा हो सकता है उस पार जाकर पानी मिल जाए। सभी जाने के लिए तैयार हो गए, लेकिन कौवा आराम से लेटकर मुस्कुराते हुए उन सब की बातें सुन रहा था। 

तभी बंदर ने कहा कौवा भैया तुम नहीं चलोगे क्या? हम सब तो जा रहे हैं। तुम तो ऐसे मजे से लेट हो जैसे तुमको कोई परेशानी नहीं है? 

कौवा हंसते हुए बोला सही कहा तुमने भैया, मुझे कोई परेशानी नहीं है। मैं अपना घर छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। 

बंदर हैरान हो गया। उसने तुरंत और जानवरों को बताया। सबने कौवा से पूछा, तो कौवा बोला मैंने तो पहले ही इस तरह की गर्मी में पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी, और इस बार भी मैं ही पानी पीकर सबसे पहले अपने घर आऊंगा, और तुम लोग पानी ढूंढते रहोगे। 

इतना बोलकर कौवा बड़े घमंड के साथ पानी की तलाश में उड़ गया। उड़ते -उड़ते कौवा एक गांव में पहुंचा। वहां उसने देखा कि एक कुएं पर कुछ औरतें पानी भर रही थी। पानी को देखकर कौवा खुशी से नाचने लगा, और कुएं पर जाकर काव- काव करने लगा।

कौवे की काव- काव से वहां पर पानी भर रही औरतो ने उसे मार कर उड़ा दिया,कौवा बिचारा वहां पानी भी नहीं पी पाया और मार खानी पड़ी सो अलग। 

कौवा फिर से पानी की तलाश में लग गया। उसने देखा थोड़ी दूर पर पेड़ के नीचे एक घड़ा रखा है। वह तुरंत वहां पहुंच गया और उसने घड़े में झांककर देखा कि पानी है कि नहीं। घड़े में पानी तो था लेकिन बहुत कम था। 

कौवा बहुत खुश हुआ कि चलो मुझे इस बार भी पानी का घड़ा मिल गया, और रही बात पानी कम है, तो मुझे पता है कि क्या करना है, और कौवा तुरंत उड़ गया। फिर अपनी चोंच में छोटे-छोटे कंकर लाकर उसे घड़े में डालने लगा। 

कुछ कंकड़ डालने के बाद उसने घड़े में देखा, लेकिन अभी भी पानी उसकी पहुंच से दूर था। वह फिर से कंकड़ डालने के काम में लग गया। थोड़ा और कंकड़ डालने के बाद उसने देखा पानी अभी थोड़ा नीचे था। वह फिर से कंकड़ लाने के लिए उड़ जाता है। 

वहीं पेड़ पर एक तोता बैठा था। वह काफी देर से कौवे के इस काम को देख रहा था। वह उड़कर घड़े के पास जाता है, और देखता है, कि पानी सचमुच नीचे है। पानी तक उसकी चोंच नहीं पहुंच रही है। फिर तोता इधर-उधर देखने लगता है। 

उसे वहीं जमीन पर एक स्ट्रॉ पड़ा दिखाई देता है, और जल्दी से उसे उठा लेता है, और उसे घड़े में डालकर उससे पानी पीने लगता है। तभी कौवा वहां कंकड़ लेकर आता है, और तोते को पानी पीता देखता है। तोता पानी पीकर उड़ जाता है, और कौवा बेचारा देखता ही रह जाता है। 

कंकड़ से स्ट्रॉ तक की कहानी से नैतिक शिक्षा । Moral of the From Pebbles to Straw story which has Modern twist in old Thirsty Crow Story in Hindi / Modern Ek Pyasa Kauwa ki Kahani:

एक प्यासे कौवे की क्लासिक कहानी की यह पुनर्कल्पना बच्चों को नए विचारों को अपनाने, सीखने के लिए खुले रहने, चुनौतियों से निपटने के विविध तरीके अपनाने और बदलती दुनिया के अनुकूल होने के लिए प्रोत्साहित करती है।

यह कहानी हमें याद दिलाती है कि लचीलापन (resilience) और संसाधनशीलता  (resourcefulness)  न केवल पाशविक शक्ति से आती है, बल्कि दायरे से बाहर सोचने (thinking outside the box)  और नवीनता को अपनाने के लचीलेपन से भी आती है।

इस कहानी की विस्तृत सीख यह है कि:

अनुकूलनशीलता महत्वपूर्ण है (Adaptability is key): कौआ अपनी पुरानी पद्धति पर अड़ा रहा, जबकि तोते को एक नया समाधान मिला। यह चुनौतियों का सामना करने पर अनुकूलनशील होने और नई चीजों को आजमाने के महत्व पर प्रकाश डालता है।

संसाधनशीलता मायने रखती है (Resourcefulness matters): तोते ने समस्या को हल करने के लिए आसानी से उपलब्ध सामग्री (पुआल) का उपयोग किया, जिससे संसाधनशीलता और रचनात्मक सोच का मूल्य प्रदर्शित हुआ।

पुरानी तरकीबें शायद काम न करें (Old tricks might not work): कौवे की पारंपरिक पद्धति अप्रचलित हो गई, जिससे बच्चों को यह सिखाया गया कि अतीत में जो काम करता था वह हमेशा वर्तमान में सबसे अच्छा समाधान नहीं हो सकता है।

विनम्रता और सीख (Humility and learning): कौवे की अनुकूलन में असमर्थता उसकी विफलता का कारण बनी। यह विनम्रता और दूसरों से सीखने की इच्छा को सूक्ष्मता से प्रोत्साहित करता है।


अपने बच्चों को ऐसी ही सुंदर और मजेदार बेड टाइम स्टोरीज सुनाने के लिए हमारे Bedtime Stories for Kids in Hindi को पढ़ना ना भूलें।


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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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