इंतज़ार। Entijar: A Swarachit Kavita in Hindi

इंतज़ार। Entijar: A Swarachit Kavita in Hindi

प्यार की सुंदरता और प्रतीक्षा की पीड़ा को हिंदी में एक भावपूर्ण स्वरचित कविता (Swarachit Kavita in Hindi) इंतज़ार (Entijar) के साथ जानें। अपने मर्मस्पर्शी छंदों के माध्यम से, यह दिल को छू लेने वाली कविता एक मरणासन्न व्यक्ति के प्यार की गहराई और अपने प्रिय के आगमन के कष्टदायी इंतजार की को दर्शाती है।

आशा और प्रत्याशा की भावनाओं से लेकर संदेह और निराशा के क्षणों तक, इंतज़ार (Entijar) कविता आपको उन लम्हों को याद करने पर विवश कर देगी।

इंतज़ार। Entijar: A Swarachit Kavita

ना उठाओ जनाजा तुम मेरा,
कि रात अभी बाकी है,
इंतजार अभी बाकी है,
वो मुलाकात अभी बाकी है ॥

मेरे जाने का शायद उसको इल्म नहीं,
सनम है मेरा इतना सितमगर भी नहीं ।
संदेशा भेजा है मैंने रूठ जाने का,
पैगाम आता ही होगा उसके आने का ।
उसके आहट का इंतजार अभी बाकी है
ना उठाओ जनाजा तुम मेरा कि रात बाकी है ॥

लबों पे गिरवी रख अश्कों को उसने,
लिए थे वादे संग जीने के अपने ।
रंगी फिजा को बदरंग करने को,
उन अल्को से करार अभी बाकी है,
उन अश्कों की तकरार अभी बाकी है,
ना उठाओ जनाजा तुम मेरा कि रात बाकी है ॥

केशुओं में छिपते कानों की वो मोतियां,
सुर्ख मूंगे से लरजते होठों की वो सिसकियां ।
गालों पर पड़ते शर्म के गड्ढों की,
वक्ष परब्बर से आती पुकार उसकी,
रव किंकड़ी में गुथे घुंघरूओं से
उन पाजेब के दानों की झंकार अभी बाकी है ।
बंद आंखों से भी दीदार अभी बाकी है,

ना उठाओ जनाजा तुम मेरा कि रात अभी बाकी है॥
इंतजार अभी बाकी है,
वह मुलाकात अभी बाकी है ॥
ना उठाओ जनाजा तुम मेरा कि रात अभी बाकी है...

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आदित्य जी सूचना प्रौद्योगिकी में स्नातक ( बी.टेक इन इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी) हैं और वर्तमान में आईटी क्षेत्र में कार्यरत हैं। साहित्य और कविताओं में उनकी रुचि बचपन से ही थी और अब अपनी रचनाओं को चाय के पल के माध्यम से आप पाठकों तक पहुंचाने का फैसला किया है।

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