ऊंट और सियार की कहानी। Camel and Jackal Story in Hindi:Lessons of Betrayal and Forgiveness

ऊंट और सियार की कहानी। Camel and Jackal Story in Hindi:Lessons of Betrayal and Forgiveness

Camel and Jackal Story in Hindi के साथ विश्वास, धैर्य और ज्ञान (trust, patience, and wisdom) की दिल को छू लेने वाली कहानी का अनुभव करें!

यह कहानी एक सियार और ऊंट की (unt aur siyar ki kahani) है जिसमें सियार की चालाक प्रकृति ऊंट को परेशानी में डाल देती है। सियार के विश्वासघात के कारण हुए दर्द और पीड़ा के बावजूद, ऊंट धैर्यवान और बुद्धिमान रहता है, और अंततः सियार को एक मूल्यवान सबक सिखाता है। 

यह आकर्षक कहानी निश्चित रूप से युवा पाठकों को आकर्षित करेगी और उन्हें जीवन में विश्वास, धैर्य और ज्ञान के महत्व को सिखाएगी। तो इस प्रेरक कहानी को पढ़ना न भूलें।

ऊंट और सियार की कहानी। Camel and Jackal Story in Hindi or Siyar aur Unth ki Kahani:

एक बार की बात है एक गांव के बाहर जंगल में एक सियार और एक ऊंट रहते थे। दोनों में अच्छी दोस्ती थी। दोनों साथ में घूमते, खाते और बातें करते थे। एक दिन सियार ने कहा मित्र हमारे जंगल के बाहर जो गांव है, वहां के खेतों में बहुत अच्छे फल लगे है, क्यों ना आज रात हम उन फलों का आनंद लें? लेकिन एक समस्या है?

ऊंट ने कहा क्या समस्या है? फल का आनंद लेने में भला क्या समस्या हो सकती है?

सियार ने कहा भैया जंगल के बाहर जो नदी बहती है हमें उसे पार करके खेतों तक पहुंचना होगा, और मुझे तो तैरना नहीं आता, तो मैं तो नहीं जा पाऊंगा। तुम चले जाना तुम्हें फल बहुत पसंद है।

ऊंट ने कहा नदी पार करने में कोई समस्या नहीं होगी। तुम मेरी पीठ पर चढ़ जाना, मैं तुम्हें लेकर नदी पार कर लूंगा, और फिर दोनों खेतों में जाकर मीठे और ताजे फलों का आनंद लेंगे।

सियार ने कहा यह तो अच्छा उपाय है, ऊंट भैया ठीक है, फिर आज रात को यही मिलेंगे और साथ में चलेंगे।
दोनों ने प्लान बनाया, और अपने अपने घर चले गए। 

रात होते ही सियार और ऊंट अपनी बताएं जगह पर मिले। तो ऊंट कहा सियार भैया तुम मेरे पीठ पर चढ़ जाओ फिर हम नदी पार कर लेते हैं।

सियार तुरंत उछलकर ऊंट की पीठ पर बैठ गया। क्योंकि गर्मियों की वजह से नदी में पानी बहुत ज्यादा नहीं था इसलिए ऊंट ने बहुत आराम से नदी पार कर ली।

नदी पार करते ही, सियार नीचे उतरा और दोनों आगे खेतों की तरफ बढ़ गए। खेतों में बड़े-बड़े और मीठे- मीठे खरबूजे थे। उसे देखते ही दोनों के मुंह में पानी आ गया।

ऊंट ने कहा चलो भैया जल्दी जल्दी खा लेते हैं, नहीं तो कहीं किसान आ गए तो मार भी पड़ेगी, और खाने को भी नहीं मिलेगा।

सियार ने कहा मेरे पास एक उपाय है, जिससे हम मार ही नहीं खाएंगे और यह मीठे मीठे खरबूजे भी आराम से खा सकेंगे।

ऊंट ने कहा ठीक है, बताओ क्या उपाय है। सियार ने कहा एक काम करते हैं, पहले मैं जाकर खा लेता हूं, तुम यहां खड़े होकर निगरानी करो।

फिर तुम खा लेना, और मैं निगरानी करूंगा, जैसे ही कोई दूर से आता दिखाई देगा, मैं तुम्हें आवाज दूंगा। फिर हम दोनों भाग चलेंगे।

ऊंट ने कहा हां यह ठीक रहेगा। जाओ तुम खा लो, मैं यहां खड़ा होकर देखता हूं। सियार अंदर खेतों में चला गया, और उसने पेट भर कर खूब खरबूजे खाए। काफी देर इंतजार करने के बाद ऊंट ने कहा अरे सियार भैया तुम ही खाते रहोगे क्या? मुझे भी खाने का मौका दो।

सियार ने कहा हां… हां… आ ही रहा हूं मैं, अब तुम आ जाओ, और खा लो तब तक मैं निगरानी करता हूं। उसने कहा ठीक है, तुम या खड़े होकर निगरानी करो, लेकिन कोई आवाज मत करना, नहीं तो किसान आ जाएगा।

सियार ने कहा हां हां भैया तुम जाओ आराम से खाना मैं यहां निगरानी कर रहा हूं, कोई आवाज नहीं करूंगा।
ऊंट अंदर खेतों में चला गया। ऊंट ने जैसे ही फल खाने शुरू किए। सियार ने कहा ऊंट भैया मुझे तो अब बहुत जोरों की नींद आ रही है, और अगर इसी तरह चुपचाप खड़ा रहूंगा, तो मैं नींद से गिर जाऊंगा।

और सियार ने जोर-जोर से जामाही {ऊंघना} लेनी शुरू कर दी। ऊंट ने कहा नहीं भैया अभी तो मैंने खाना शुरू ही किया है, थोड़ी देर और रुक जाओ, लेकिन सियार नहीं माना।

उसकी आवाज सुनकर बहुत सारे किसान आ गए, और उन्होंने देखा ऊंट खेत में खरबूजा खा रहा है। ऊंट को भगाने के लिए उन्होंने उसको मारना शुरू कर दिया। किसी तरह ऊंट अपनी जान बचाकर वहां से भागा।

सियार की इस हरकत से ऊंट को बहुत गुस्सा आया और उसने सियार को सबक सिखाने की सोच ली।
नदी के किनारे ऊंट और सियार दोनों मिले। सियार ने कहा ऊंट भैया माफ कर दो, मेरी वजह से तुम्हें मार पड़ गई। ऊंट ने कहा भैया, मैंने तुम्हें मना किया था ना।

तुमने तो खूब सारे खरबूजे खाए, और मेरी खाने के बारे में तुम ने शोर मचा दिया। मैंने तो फल भी नहीं खाए और मार अलग पड़ गई। सियार ने कहा कोई बात नहीं भैया, अगले दिन फिर आ जाएंगे, अब चलो जंगल वापस चलते हैं।

ऊंट ने कहा ठीक है, आओ मेरी पीठ पर बैठ जाओ। सियार ऊंट की पीठ पर बैठ गया। ऊंट नदी पार करने के लिए नदी में उतरा, और बीच नदी में जाकर सियार से बोला मैं, बहुत थक गया हूं, सोच रहा हूं थोड़ी देर ठंडे पानी में लेट जाऊं तो, आराम मिले।

मार खाने से मुझे बहुत पैरों में दर्द हो रहे हैं। थोड़ी देर यहां लेट जाऊं फिर चलूंगा। सियार ने कहा अरे नहीं भैया ऐसा मत करना, मुझे तो तैरना नहीं आता। मैं तो डूब जाऊंगा, थोड़ी दूर ही तो बचा है, थोड़ा और नदी पार कर लो फिर लेट जाना।

ऊंट ने कहा नहीं, भैया अब मुझसे एक कदम भी नहीं चला जाएगा, और ऊंट ,सियार को सबक सिखाने के लिए बीच नदी में बैठ गया। सियार को तो तैरना नहीं आता था, इसलिए सियार नदी में डूब गया और बह गया।

ऊंट और फिर बहुत आसानी से नदी पार कर ली उसने सिया को उसके करने की सजा दी।

ऊंट और सियार की कहानी से सीख। Moral of Camel and Jackal Story in Hindi or Unt aur Siyar ki Kahani:

ऊंट और सियार की कहानी (Unth aur Siyar ki Kahani) का सबक या शिक्षा यह है कि हमें किसी के भरोसे को नहीं तोड़ना चाहिए, किसी को धोखा देना अच्छी बात नहीं। और साथ ही साथ यह भी है कि धैर्य और ज्ञान कठिन परिस्थितियों को दूर करने में मदद कर सकते हैं। 

Siyar aur Unth ki Kahani बताती है कि कैसे ऊंट ने सियार पर भरोसा किया और सियार ने उस भरोसे को तोड़ा जिससे उनको परेशानी झेलनी पड़ी। लेकिन सियार की हरकतों के कारण हुए दर्द के बावजूद ऊंट धैर्यवान और समझदार बना रहा।

बच्चे इस कहानी से सीख को कैसे लागू कर सकते हैं। How kids can apply the learning from Camel and Jackal Story in Hindi or Siyar aur Unth ki Kahani:

Camel and Jackal Story in Hindi से मिली हुई सीख को बच्चे अपने वास्तविक जीवन में फॉलो कर सकते हैं कैसे उन्हें सावधानी पूर्वक अपने दोस्तों का चुनाव करना चाहिए और यह मूल्यांकन करना चाहिए कि वह उस पर भरोसा कर सकते हैं कि नहीं साथ ही साथ यदि हमने किसी से दोस्ती की है तो हमें भी उसके भरोसे को नहीं तोड़ना चाहिए।

बच्चों को महत्वपूर्ण सोच कौशल विकसित करने और निर्णय लेने में धैर्य और ज्ञान का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने से उन्हें गलत विश्वास के कारण होने वाले नकारात्मक परिणामों से बचने में मदद मिल सकती है।

अपने बच्चों को ऐसी ही सुंदर और मजेदार बेड टाइम स्टोरीज सुनाने के लिए हमारे Bedtime Stories for Kids in Hindi को पढ़ना ना भूलें।

आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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