बंदर और मगरमच्छ की कहानी | Bandar aur Magarmach ki Kahani in Hindi
आइए बंदर और मगरमच्छ की कहानी (Bandar aur Magarmach ki Kahani in Hindi) के साथ एक रोमांचक और साहसिक यात्रा पर चले! इस कहानी में हम जानेंगे कैसे बुद्धिमान बंदर अपनी बुद्धि और चालाकी से खुद को मगरमच्छ से बचाता है और मगरमच्छ को एक मूल्यवान सबक सिखाता है।
यह आनंदमय कहानी निश्चित रूप से युवा पाठकों को आकर्षित करेगी और उन्हें चुनौतियों से पार पाने के लिए अपनी बुद्धिमता और त्वरित सोच का उपयोग करने के महत्व को सिखाएगी। तो इस रोमांचक (monkey and crocodile story in hindi) कहानी को पढ़ना न भूलें।
बंदर और मगरमच्छ की कहानी | The monkey and the crocodile story in hindi or bandar aur magarmach ki kahani:
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एक जंगल में एक तालाब था उसके किनारे पर बहुत सारे जामुन के पेड़ थे। उस पर एक बंदर रहता था। वह बंदर रोज मीठे मीठे जामुन तोड़कर खाया करता था, और अपने दोस्तों को भी देता था।
उसी तालाब में एक मगरमच्छ रहता था। एक दिन उस मगरमच्छ ने कहा बंदर भैया मुझसे कोई दुश्मनी है, क्या? मुझे तुम यह मीठे फल क्यों नहीं देते?
बंदर ने कहा मुझे तुम से डर लगता है, कि तुम मुझे खा जाओगे। इसलिए मैं तुम्हें यह मीठे फल नहीं देता, और तुमने कभी फल मांगा भी नहीं। मगरमच्छ ने कहा नहीं-नहीं बंदर भैया मैं तुम्हें क्यों खाने लगा? मैं तो यह मीठे और काले-काले फल खाना चाहता हूं।
बंदर ने तुरंत काले काले पके हुए जामुन तोड़े और मगरमच्छ के लिए तालाब में फेंक दिया। मगरमच्छ ने जामुन खाए उसे बहुत स्वादिष्ट लगा। अब धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती होने लगी। बंदर रोज मगरमच्छ को मीठे मीठे फल खिलाता, और वह रोज आपस में बहुत सारी बातें किया करते।
एक दिन मगरमच्छ उन फलों में से कुछ फल बचा कर अपने घर अपनी पत्नी के लिए ले गया। उसकी पत्नी ने वह मीठे फल खाए उसे भी बहुत स्वादिष्ट लगा। उसने कहा तुम यह फल कहां से लाए हो मैंने, तो आज के पहले इतने स्वादिष्ट फल कभी नहीं खाए।
मगरमच्छ ने अपनी और बंदर की दोस्ती की बात बताई। मगरमच्छ की पत्नी ने कहा यह फल इतने मीठे और स्वादिष्ट है, तो इसे खाने वाले बंदर का कलेजा कितना स्वादिष्ट होगा? मुझे उस बंदर का कलेजा खाना है।
मगरमच्छ ने कहा नहीं या गलत है, मैं अपने दोस्त को धोखा नहीं दे सकता। लेकिन मगरमच्छ की पत्नी ने मगरमच्छ की कोई बात नहीं मानी, और जिद पर अड़ी रही। उसकी जिद के आगे मगरमच्छ ने हार मान ली।
बोला ठीक है, लेकिन मैं उसे यहां कैसे लाऊंगा? तब मगरमच्छ की पत्नी ने कहा मेरे पास एक युक्ति है। क्यों ना तुम उससे यह कह दो कि मैंने, आज रात उसे खाने पर अपने घर बुलाया है।
वह तुम्हारे साथ आ जाएगा तो मैं उसे मारकर उसका कलेजा खा लूंगी। मगरमच्छ ने कहा ठीक है, मैं ऐसा ही करता हूं। मगरमच्छ वापस गया, और फिर बंदर ने उसे मीठे मीठे जामुन खाने को दिए।
मगरमच्छ ने जामुन खा लिया, फिर बोला बंदर भैया तुम मुझे रोज यह मीठे मीठे जामुन खिलाते हो, मैं तुम्हें कुछ नहीं खिला पाता, जब मैंने यह बात अपनी पत्नी को बताई तो उसने मुझे बहुत डांटा। उसने कहा बंदर भैया को आज अपने घर खाने पर बुला लो।
मैं तुम्हें अपने घर खाने पर बुलाने आया हूं, तुम क्या मेरे साथ चलोगे? बंदर ने कहा हां चल तो सकता हूं, लेकिन मुझे तो तैरना नहीं आता। मगरमच्छ ने कहा बंदर भैया तुम घबराओ मत, तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मैं तुम्हें अपने घर ले चलता हूं।
खाना खाकर मैं तुम्हें वापस यही छोड़ जाऊंगा। बंदर ने कहा ठीक है फिर चलो। बंदर पेड़ से नीचे उतरा और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। मगरमच्छ उसे तालाब में अंदर ले गया।
जब वह तालाब के बीच में पहुंचा तो मगरमच्छ ने कहा, बंदर भैया मुझे माफ करना मुझे, तुम्हें धोखे से यहां लाना पड़ा। मेरी पत्नी बहुत जिद्दी है। उसने कहा की यह फल इतने मीठे हैं, तो इस फल को खाने वाले बंदर का कलेजा कितना मीठा होगा।
वह तुम्हारा कलेजा खाना चाहती है, इसलिए उसने मुझे तुम्हें धोखे से यहां लाने के लिए भेजा है। बंदर मगरमच्छ की बात सुनकर डर गया। उसने सोचा यह धोखेबाज तो मुझे मार डालेगा, अब क्या करूं?
फिर उसने अपनी सूझबूझ से काम लिया। उसने कहा अरे मगरमच्छ भैया, बस इतनी सी बात थी, तो तुम बार पहले ही बता देते, लो अब तो गड़बड़ हो गई। मैं तो अपना कलेजा वही पेड़ पर टांग आया था।
तुम पहले ही बता देते तो मैं तुम्हें कलेजा उतारकर दे देता। मुझे यहां लाने की क्या जरूरत थी? वैसा भी वह मेरे किसी काम का नहीं है अच्छा है तुम्हारे काम आ जाएगा।
मगरमच्छ को भी कुछ समझ नहीं आया वह मूर्ख था, उसने कहा अच्छा ऐसी बात है। तो चलो चल कर वापस ले आते हैं। बंदर ने कहा हां-हां भैया जल्दी चलो, चल कर उसे ले आते हैं, बिना कलेजे कि तुम्हारे घर कैसे जाऊंगा।
मगरमच्छ बिना कुछ सोचे समझे उसे तुरंत उस, पेड़ के पास वापस ले आया जिस पर बंदर रहता था। बंदर ने बिना देर किए तुरंत मगरमच्छ की पीठ से छलांग मारी और पेड़ पर जाकर बैठ गया, और बोला मगरमच्छ तुम एक नंबर के मूर्ख हो भला किसी का कलेजा उसके शरीर से बाहर होता है क्या?
जिस प्रकार तुमने मुझे मूर्ख बनाया, उसी प्रकार मैंने अपनी समझदारी से अपना जीवन बचा लिया। आज के बाद मेरी तुम्हारी कोई मित्रता नहीं है, और बंदर ने बड़े-बड़े और कच्चे फल तोड़कर मगरमच्छ को मारना शुरू कर दिया। मगरमच्छ वहां से भाग गया।
बंदर और मगरमच्छ की कहानी से सीख | Moral of monkey and crocodile story in hindi or bandar aur magarmach ki kahani in Hindi:
Magarmach aur bandar ki kahani in hindi से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि मुसीबत और परेशानी में हमें घबराना नहीं चाहिए। अपनी सूझबूझ और धैर्य से काम लेना चाहिए। जिससे हम बड़ी से बड़ी मुसीबत से निकल सकते हैं जैसे बंदर, अपनी बुद्धि और चालाकी से मूर्ख मगरमच्छ को चकमा देकर खुद को खतरे से बचाने में सक्षम था।
मगरमच और बंदर की कहानी से सीखे सबक को बच्चे अपने वास्तविक जीवन में कैसे लागू कर सकते हैं: How Kids can implement the lesson learnt from magarmach aur bandar ki kahani:
Magarmach aur bandar ki kahani से सीख लेकर बच्चे अपनी समस्या को सुलझाने के कौशल और महत्वपूर्ण सोच क्षमताओं को विकसित करके अपने वास्तविक जीवन में इसका पालन कर सकते हैं। बच्चों को रचनात्मक रूप से सोचने (creative thinking) और कठिन समस्याओं के समाधान के लिए प्रोत्साहित करने से उन्हें इन कौशलों को विकसित करने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त, बच्चों को शांत रहना और तनावपूर्ण स्थितियों में तर्कसंगत रूप से सोचना (calm and think rationally in stressful situation) सिखाने से उन्हें बेहतर निर्णय लेने और अनावश्यक खतरे से बचने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, monkey and crocodile story in hindi or bandar aur magarmach ki kahani in hindi इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि आप किस पर भरोसा करते हैं उससे कितना सावधान रहने की जरूरत है। मगरमच्छ में बंदर के भरोसे ने उसकी जान खतरे में डाल दी थी। आप जिस किसी पर भी भरोसा करते हैं पहले उसे अच्छी तरह से समझ ले और समय निकालकर रिश्तो को सावधानीपूर्वक परखे और समझे।
अपने बच्चों को ऐसी ही सुंदर और मजेदार बेड टाइम स्टोरीज सुनाने के लिए हमारे Bedtime Stories for Kids in Hindi को पढ़ना ना भूलें।
नोट: यहां साझा की गई प्रेरक या नैतिक कहानी मेरी मौलिक रचना नहीं है, मैंने इसे पहले भी पढ़ा है और मैं अपने विचारों और सीखों को शामिल करने के बाद बस इसका हिंदी संस्करण प्रदान कर रहा हूं।
Note: This Bedtime story or Moral Story shared here is not my original creation, I have read it before and I am just providing the Hindi version of it after including my own thoughts and learnings.
आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।
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