अलार्म । Alarm: A Married Woman’s Struggle
अलार्म (Alarm) आंचल ब्रिजेश मौर्य की स्व-लिखित कहानी (Swarachit Kahani in Hindi) है जो हमें एक विवाहित महिला की जटिल कहानी में ले जाती है जो एक आदर्श परिवार के अपने सपनों और वास्तविकता की चुनौतियों के बीच फंसी हुई है, क्योंकि वह घरेलू जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत आकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाती है।
अलार्म । Alarm । Swarachit Kahani in Hindi / A Heartwarming Emotional Hindi Story
अरे बेटा तुम क्यों उठ कर आ गई? कल बड़ी देर रात तक काम करती रही, फिर सुबह इतनी जल्दी क्या जरूरत थी उठने की?
मुझे तो नींद नहीं आ रही थी, तो सोचा कुछ काम ही निपटा लूं। तुम जाकर आराम करो। मैने अपनी और तुम्हारे पापा की चाय बना ली है। तुम भी चाय पियोगी क्या?
नहीं मम्मी जी। लेकिन आपने क्यों बनाई चाय मैं तो आ ही रही थी। लेट हो गया आज वह कल अलार्म (Alarm) लगाना भूल गई थी इसलिए नींद ही नहीं खुली। आप नाराज मत होइए मैं अभी जल्दी-जल्दी नाश्ता भी बना देती हूं।
नहीं- नहीं नाश्ते की अभी कोई जल्दी नहीं। हम लोग तो चाय पीकर टहलने जा रहे हैं। सब उठ जाए तो नाश्ता बनाना, ठीक है। जाओ तुम भी जाकर आराम कर लो।
मम्मी जी के बदले हुए मिजाज देखकर मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, की बात क्या है? जो मम्मी जी 2 मिनट भी देर हो जाए तो सारा घर सर पर उठा लेती है, आज देर होने पर खुद ही चाय बना ली और वह भी बिना कुछ सुनाए और मुझे आराम करने को कह गई।
मेरे तो कुछ समझ में नहीं आया। उल्टा मुझे चक्कर जरूर आ गए, मम्मी जी की बातें सुनकर। मैं भी यही सोचते हुए अपने कमरे में चली आई कि पता नहीं आज सूरज किधर से निकला है?
कमरे में घुसी तो पतिदेव आराम से निद्रा देवी की गोद में सोए हुए थे। गर्मियों के दिन थे, मैंने खिड़की के पास आराम से कुर्सी डाल दी। खिड़की से सुबह की गुनगुनी हल्की धूप और ठंडी-ठंडी हवा ऐसा लग रहा था कि किसी पलाश के जंगल में पेड़ों के नीचे बैठी हूं और उसके पत्तों से धूप छनकर आ रही है। इसका आनंद लेने के लिए आंखें बंद कर लिया तभी ऐसा लगा जैसे मेरे चेहरे को कोई छू रहा है।
मैंने अपनी आंखें खोल कर देखा तो पतिदेव थे। जो मेरे चेहरे पर हवा से आए बालों को बड़े प्यार से हटा रहे थे, और मुझे देखकर मुस्कुरा कर बोले मैडम जी आपकी चाय तैयार है, यह लीजिए आपकी फेवरेट अदरक और इलायची वाली चाय।
आप कब उठे और आपने क्यों बनाया चाय। मुझे उठा देते? पता नहीं चला कि कब आंख लग गई।
घड़ी पर नजर जाते ही मेरे तो होश उड़ गए। अरे यह क्या 9:00 बजने वाले है, अभी तक मैंने नाश्ता नहीं बनाया आपको ऑफिस के लिए लेट हो जाएगा। सुमन और सुमित को कॉलेज जाना है। आज तो मम्मी जी पता नहीं क्या कहेगी। मेरी तो खैर नहीं।
मैं जैसे ही कुर्सी से उठने की कोशिश करने लगी पतिदेव ने मेरा हाथ पकड़ कर फिर से बैठा लिया, और मेरे हाथ में चाय का कप पकड़ाते हुए बोले, तुम आराम से चाय पियो नाश्ता बन गया है। मम्मी और सुमन ने नाश्ता बना लिया है,और मैंने आज ऑफिस से छुट्टी ली है।
तुम मेरे लिए कितना कुछ करती हो, तो क्या मैं तुम्हारे लिए एक चाय भी नहीं बना सकता? हम दोनों आज मूवी जाएंगे और फिर तुम कई दिनों से बोल रही थी ना कि गर्मियों के लिए तुम्हें कुछ शॉपिंग करनी है। तो मूवी के बाद शॉपिंग चलेगे।
मूवी और शॉपिंग के बारे में सोचकर तो मेरे चेहरे का रंग खिल गया। लेकिन फिर अगले ही पल याद आया की मम्मी जी इन सब के लिए परमिशन देगी तब ना? अभी दोपहर का सबका खाना भी बनाना है, और घर की साफ सफाई बाकी है।
मुझे कुछ सोचते हुए देख पति देव बोले कि तुम परेशान मत हो मैंने मम्मी से बात कर ली है, और उन्होंने कहा है कि हम लोग जा सकते हैं उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं है। आज से घर में काम वाली भी आ गई है साफ सफाई वह कर देगी। पापा और अपने लिए उन्होंने बोला है कि वह खुद खाना बना लेंगी। सुमन और सुमित तो शाम को ही कॉलेज से आते है तो उनकी चिंता नहीं है।
कामवाली आ गई है? यह सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए। मैंने पूछा लेकिन काम वाली तो मम्मी जी कभी नहीं रखने देती, उन्हें तो उनका काम ही पसंद नहीं आता। फिर अचानक से काम वाली कैसे लगा ली।
पतिदेव मुस्कुराते हुए बोले अपनी प्यारी बहू को सारा दिन काम करते देखती है, तो उन्हें भी लगता है, कि तुम थक जाती हो। ऊपर से यह पार्ट टाइम काम (job) भी करती हो जिससे घर में मदद मिल सके। इसलिए माँ ने तुम्हारी मदद के लिए काम वाली लगा दी।
यह सब सुनकर तो ऐसा लगा जैसे मैं हवा में उड़ने लगी। मूवी, शॉपिंग और घर में अब काम वाली आएगी। खुशी के मारे मैं जोर से चिल्लाई “हुर्रे” और पतिदेव को गले लगाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ी की बड़ी जोर से दर्द हुआ। दर्द से आंखें खुल गई। देखा तो मैं बिस्तर से नीचे गिर गई थी।
सुबह के 5:00 बजे का अलार्म (Alarm) बज रहा था, पतिदेव बिस्तर पर उठकर बैठे थे और मुझे गुस्से में बोले जा रहे थे, रुचि यार यह अलार्म (Alarm) बंद करो। जब उठना नहीं है तो अलार्म क्यों लगती हो नींद खराब हो रही है, और तुम नीचे बैठकर क्या कर रही हो। कितनी बार कहा है तुमसे कि अलार्म मत लगाया करो?
अब उन्हें कैसे समझाऊं कि शादी के पहले सपनों में जो ससुराल देखा करती थी। जिस पतिदेव के सपने देखा करती थी, उसकी खुशी में इतनी ज्यादा खो गई कि बिस्तर से गिर गई। अपने ऊपर हंसी भी आई और दर्द से गुस्सा भी, की सपनों और हकीकत में फर्क होता है।
हकीकत को जीना सीखो और रुचि मैडम उठो नहीं तो अभी हकीकत वाली सासू मां की आवाज आ गई तो फिर रात को सोने तक घर में शांति नहीं मिलेगी और मैं अपना हाथ, पैर सहलाते हुए अपने वास्तविक ससुराल में एक और दिन की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार होने के लिए चल दी।
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