घमंडी गिलोय। Arrogant Giloy: Panchtantra ki Kahaniyan
पंचतंत्र की कहानियां के इस संग्रह में अहंकारी गिलोय (Arrogant Giloy) की मनोरम कहानी का आनंद लें, जहां एक गिलोय का पौधा आश्रय देने वाले पेड़ की विनम्रता को भूल जाता है जिसने उसे अपनी मजबूत शाखाओं का सहारा देकर बढ़ने में मदद की।
इस कहानी के माध्यम से आप अपने बच्चों को अहंकार के परिणामों और कृतज्ञता और विनम्रता के बारे में मूल्यवान शिक्षा दे सकते हैं।
घमंडी गिलोय। Arrogant Giloy: Bedtime Stories for Kids in Hindi
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एक घने पेड़ पर बहुत सारे चिड़िया के घोसले थे। घोसले में छोटे-छोटे बच्चे सारा दिन चू -चू करते और पेड़ की डालियों पर फुदकते रहते।
एक दिन एक कौवा उस पेड़ पर आया और उसने पेड़ पर अपना घोंसला बनाना चाहा, तो सभी चिड़िया और पेड़ पर रह रहे अन्य पक्षियों ने कहा पहले आप वृक्ष दादा से बात कर लो फिर अपना घोंसला बनाना।
कौवा ने वृक्ष दादा से पूछा कि क्या वह अपना घोंसला उसकी डाली पर बना सकता है, तो वृक्ष दादा ने कहा हां बना सकते हो, लेकिन यहां रहने के कुछ नियम है, वह तुम्हें मानने होंगे।
कौवा तैयार हो गया तो पेड़ ने कहा कि यहां रहने के लिए तुम्हें सबके साथ मिल जुल कर रहना होगा। सबकी मदद करनी होगी और कभी किसी को परेशान नहीं करना। कौवा सभी के साथ अब हंसी खुशी रहने लगता है।
एक दिन पेड़ की जड़ के पास एक नन्ही सी गिलोय उगी। उसने पेड़ से कहा, वृक्ष दादा क्या मैं आपका सहारा ले सकती हूं। मेरी डालियां और जड़े बहुत कमजोर है, ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही हूं और अगर मुझे धूप और हवा नहीं मिली तो मैं मर जाऊंगी। मुझ पर दया करिए, मुझे भी अपनी मजबूत डालियों का सहारा दे दीजिए।
वृक्ष को उस पर दया आ गई और उसने उस नन्हीं गिलोय{ लता} को अपनी डालियों का सहारा दे दिया। धीरे-धीरे गिलोय{ लता} बड़ी और मजबूत होने लगी। वह पूरे वृक्ष पर फैलती जा रही थी, जिससे पेड़ पर रहने वाले सभी पक्षियों को परेशानी हो रही थी।
कई छोटी-छोटी चिड़िया के घोसले उसकी वजह से टूटने लगे। सभी गिलोय से बहुत परेशान थे, उन्होंने पेड़ से बात करने की सोची।
एक रात जब गिलोय सो रही थी, तो सभी ने वृक्ष दादा से बात की और उन्हें गिलोय की मनमानी के बारे में बताया।
पेड़ ने सब को आश्वस्त किया कि वह इस समस्या का कुछ ना कुछ हल जरूर निकालेगा।
पेड़ ने गिलोय से बात भी की और उसे समझाया लेकिन वह कुछ सुनने को तैयार नहीं थी। गिलोय{ लता} ने कहा अब इस पेड़ पर सिर्फ मैं रहूंगी, और कोई नहीं और आप भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
गिलोय को अपनी ताकत पर बहुत घमंड हो गया था। उसकी बातों को सुनकर पेड़ ने उसे सबक सिखाने की सोची।
पेड़ के पास एक चूहा रहता था। पेड़ ने चूहे से कहा कि क्या वह गिलोय को सबक सिखाने में उसकी मदद करेगा, तो चूहा तैयार हो गया और फिर उसने गिलोय की जड़ों को काटना शुरू कर दिया।
गिलोय ने चूहे को बहुत मना किया लेकिन वह नहीं माना और उसने कहा कि तुम्हारे जैसे घमंडी कि यहां कोई जगह नहीं है और गिलोय की जड़ को काट दिया।
फिर चूहे ने पेड़ पर चढ़कर गिलोय{ लता} के कई टुकड़े कर दिए और सब ने उसे पेड़ से नीचे गिरा दिया। जिससे गिलोय सूख गई और फिर वह कभी दोबारा पेड़ पर नहीं चढ़ सकी।
सभी पक्षी पहले की तरह ही मिलजुल कर रहने लगे और गिलोय को उसके घमंड का परिणाम भुगतना पड़ा।
घमंडी गिलोय कहानी से शिक्षा। Moral of the Arrogant Giloy: Panchtantra ki Kahaniyan
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए और सभी के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए। साथ ही साथ जिस किसी ने विपरीत परिस्थितियों में हमारा साथ दिया हो, हमें सहारा दिया हो, उसे नहीं भूलना चाहिए।
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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।
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