जीजी मां – Jiji Ma। A Woman’s Sacrifice for Her Family
जीजी मां (Jiji Ma) को लेकर मुझमें बड़ी उत्सुकता रहती थी कि जीजी मां (Jiji Ma) की शादी नहीं हुई क्या? अगर शादी हुई है तो वो यहां क्यों रहती है, अपने घर क्यों नहीं रहती? अगर शादी नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई और सब लोग उन्हें जीजी मां क्यों बुलाते हैं? ऐसे ही अनगिनत सवाल सुहाना के मन में थे लेकिन पूछती किससे! इन सारे प्रश्नों के उत्तर आपको इस दिल को छू लेने वाली Hindi Kahani में मिलेगी।
जीजी मां – Jiji Ma। एक महिला का अपने परिवार के लिए बलिदान: A Woman’s Sacrifice for Her Family – Short Story in Hindi
डिंग डोंग….. कौन है? जी मैं शुभी, सुहाना की सहेली। सुहाना है क्या घर? पर तुम लोगों को घर में कुछ काम नहीं है क्या जो सहेली के घर घूमने चल पड़ी? जी आंटी वो….. “अरे शुभी तू, अंदर आ जा। जीजी मां, यह मेरी सहेली है शुभी और शुभी यह मेरी जीजी मां है” सुहाना ने आते ही दोनों का परिचय कराया।
प्रणाम आंटी… शुभी ने जीजी मां (Jiji Ma) के चरण छूते हुए कहा। ठीक है, ठीक है…. कहते हुए इंदु जी अपने कमरे में चली गई जिसे सुहाना ने जीजी मां कहकर शुभी से परिचय करवाया था। “बहुत अच्छे टाइम पर आई है, मैं अभी चाय ही बनाने जा रही थी.. बहुत दिन हो गए साथ में बैठकर चाय पिए” सुहाना ने कहा ।
“आजकल तो तू किट्टी में आती नहीं और शाम को क्लब में भी नहीं आती तो मैंने सोचा देखूं क्या बात है । और ये आंटी कौन है और तू इन्हें जीजी मां क्यों कह रही है?” शुभी ने पूछा। “आते ही इतने सारे सवाल जरा सांस तो ले ले। चल, चलकर रूम में बैठ, मैं चाय लेकर आती हूं फिर आराम से बातें करेंगे” सुहाना ने मुस्कुराते हुए कहा।
सुहाना ने जल्दी से चाय बनाई और जीजी मां की चाय उनके कमरे में देकर, अपनी और शुभी की चाय लेकर अपने रूम में आ गई । दोनों ने चाय अभी पीना शुरू ही किया था कि किसी की चिल्लाने की आवाज आई, बिट्टो…. ओ बिट्टो.. ये क्या बेकार सी चाय बनाई है।
सुहाना जल्दी से जीजी मां (Jiji Ma) के कमरे में पहुंची, क्या हुआ जीजी मां? ये क्या चाय बनाई है तूने और शक्कर इतनी ज्यादा क्यों डाल दी? तू जानती है ना मुझे ज्यादा शक्कर पसंद नहीं। माफ कर दीजिए जीजी मां आगे से नहीं होगा, मैं ध्यान रखूंगी और मुस्कुराते हुए अपने रूम में आकर शुभी के साथ चाय पीने लगी ।
“चाय में शक्कर ठीक है सुहाना फिर आंटी जी क्यों इतना चिल्ला रही है। आजकल तो अपनी सास की कोई इतनी नहीं सुनता जितनी तू इनका सुन रही है। कौन है ये सुहाना? क्यों तुम लोगों के साथ रह रही है? क्या इनका अपना घर नहीं? इनको तो यहां पहले कभी नहीं देखा,” शुभी एक सांस में बोले जा रही थी।
शुभी ये हमारे नहीं, हम इनके साथ रहते हैं। ये घर भी इनका है और हम सब भी इनके अपने हैं । रही बात रिश्ते की तो ये मेरे ससुर जी की बड़ी बहन है और वीनू [विनोद – सुहाना का पति] जी की बुआ और मेरी बुआ सास। जब वीनू से शादी करके ससुराल आई तो सब इन्हें जीजी मां बुलाते थे तो मैं भी इन्हें जीजी मां कहने लगी।
तुम्हारी तरह मुझे भी शादी के बाद जीजी मां को लेकर इतनी ही उत्सुकता रहती थी कि जीजी मां की शादी नहीं हुई क्या? अगर शादी हुई है तो वह यहां क्यों रहती है, अपने घर क्यों नहीं रहती? और अगर शादी नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई? लेकिन पूछती किससे! मां जी से कभी पूछने की हिम्मत हुई नहीं तो पिताजी से पूछना तो बहुत दूर की बात थी। घर में सब लोग इनको जीजी मां क्यों बुलाते हैं, मैं भी यही सोचती रहती।
लेकिन एक दिन मुझे मौका मिल गया। घर में सब लोग कहीं सत्संग में गए थे घर पर मैं और वीनू ही थे। वीनू मुझे अपनी बचपन की फोटो दिखा रहे थे तभी मैंने जीजी मां की एक फोटो देखी जिसमें वह बहुत सुंदर गुड़िया जैसी दिख रही थी। तो मैंने भी उनसे पूछा, “वीनू… जीजी मां इतनी सुंदर थी तो उनकी शादी क्यों नहीं हुई? अगर हुई है तो वो यहां क्यों है? मां, पिताजी, तुम, यहां तक कि हमारे पड़ोसी भी उन्हें जीजी मां क्यों कहते हैं? “
वीनू ने बताया कि पिताजी के माता-पिता का उनके बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था तो उनकी बड़ी बहन ने उन्हें पाला पोसा और पढ़ाया लिखाया और अपने पैरों पर खड़ा किया। मां को भी उन्होंने ही पसंद किया और दोनों की शादी कराई। पिताजी की मां तो उनके बचपन में उन्हें छोड़ गई, इसीलिए वह अपनी जीजी को ही अपनी मां की तरह ही मानते थे इसलिए उन्हें जीजी मा कहते हैं। इसीलिए हम सब भी उन्हें जीजी मां बुलाने लगे।
जीजी मां का विवाह किससे, कब और कहां हुआ था ये तो मुझे नहीं पता सुहाना लेकिन वो दिन मुझे आज भी याद है। उस दिन मां सुबह से परेशान थी और बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी और बड़बड़ाये जा रही थी.. इतनी देर हो गई पता नहीं कहां रह गए। और पिताजी को देखते ही उनके पास दौड़ी गई, कहां रह गए थे… कुछ पता चला क्या? कोई चिट्ठी आई है क्या? नहीं वीनू की मां, कोई चिट्ठी नहीं आई।
आज सुबह से ही मेरा दिल बैठा जा रहा है, बार-बार जीजी मां का चेहरा ही सब जगह दिखाई दे रहा है। 2 महीने हो गए हैं कुछ समाचार नहीं मिला और आप भी जब 15 दिन पहले गए थे तो उनके घर वालों ने कहा जीजी मां और जीजा जी बाहर गए हैं। आप मिलकर भी नहीं आए थे।
हां वीनू की मां, मेरा भी मन कल से ही बहुत बेचैन हो रहा है। लेकिन क्या करूं उनके ससुराल वाले जीजी मां से मिलने ही नहीं देते, बाहर से ही लौटा देते हैं।
देखती हूं कैसे नहीं मिलने देते, आज मैं भी आपके साथ चलूंगी। मां ने जल्दी से घर में ताला लगाया और हम सब जीजी मां के घर पहुंच गए। हमें वहां पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई थी। वहां कुछ लोग बाहर बैठकर आपस में बातें कर रहे थे उनकी बातों से ऐसा लग रहा था कि वह किसी की शादी की बातें कर रहे थे। मां, पिताजी को देखते ही वे लोग उनसे झगड़ने लगे और लौट जाने के लिए कहने लगे।
लेकिन मां पर तो उस दिन जैसे चंडी सवार हो गई थी। वो सब को धकेलती आंधी की तरह घर में घुस गई और जीजी मां.. जीजी मां.. पुकारते हुए पूरे घर में ढूंढने लगी।
जीजी मां का घर बहुत बड़ा और बहुत सुंदर था। घर में सारे कमरों के दरवाजे खुले थे, सिर्फ एक का दरवाजा बंद था। मां को लगा जीजी मां कहीं इस कमरे में तो नहीं और वह जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगी। किस्मत से दरवाजे की कुंडी ठीक से शायद नहीं लगी थी तो जोर से पीटने पर वह खुल गया।
मां ने अंदर झांक कर देखा तो जीजी मां जमीन पर बेसुध पड़ी थी। मां ने उन्हें उठाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं उठ रही थी। उनके हाथ-पांव ठंडे पड़ गए थे और चेहरा भी काला पड़ गया था। इतनी सुंदर जीजी मां आज बहुत ही अजीब दिख रही थी। मां और पिताजी जल्दी से जीजी मां को हॉस्पिटल लेकर भागे। जीजी मां 2 दिन तक अस्पताल में बेहोश पड़ी रही और मां पिताजी वही जीजी मां का हाथ पकड़े बैठे रहे।
मां बार-बार कहती मैं अपनी जीजी मां को यहां से वापस घर लेकर ही जाऊंगी, उन्हें कुछ नहीं होने दूंगी। शायद मां पिताजी के प्यार से ही जीजी मां को होश आ गया था। उन्होंने ही बताया कि शादी के इतने साल बाद भी वो मां नहीं बन पाई इसलिए उनके ससुराल वाले उनके पति की दूसरी शादी करवाना चाहते थे।
जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें मारते पीटते और घर से निकल जाने के लिए कहते। जब वो नहीं मानी तो उन पर चरित्रहीन होने का आरोप लगा दिया। जीजी मां ने सब सहन किया लेकिन चरित्र हीनता का आरोप सहन नहीं कर पाई इसलिए अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय लिया।
“जीजी मां (Jiji Ma) आपने ऐसा क्यों किया? आप अपने बच्चों को कैसे भूल गई? आप ने यह नहीं सोचा कि आपके बच्चे आपके बिना कैसे रहेंगे? आप घर क्यों नहीं आई जीजी मां? हमें खबर क्यों नहीं की? ” मां ने रोते हुए पूछा। जीजी मां रोते हुए बोली, नहीं दुल्हन मैं तुम लोगों पर बोझ नहीं बनना चाहती थी। तुम्हारा भी अब अपना परिवार है, और मैं नहीं चाहती कि मेरी बदकिस्मती का साया भी तुम लोगों पर पड़े।
पिताजी ने कहा, यह आपने कैसे सोच लिया कि आप हम लोगों पर बोझ हैं और मां भी कभी अशुभ होती है। यह तो हमारा सौभाग्य है कि हमारे पास आप जैसी मां है। उस दिन मां पिताजी ने जीजी मां से यह वादा लिया कि वो उन्हें छोड़कर कहीं नहीं जाएगी। तब से हम सब साथ रहते हैं।
पता है शुभी, जब मैं शादी करके ससुराल आई तो जीजी मां मेरा बहुत ध्यान रखती थी। मेरी प्रेग्नेंसी के समय तो जीजी मां ने मुझे एक ग्लास पानी तक नहीं उठाने दिया और मेरी डिलीवरी के बाद रिमझिम [सुहाना की बेटी] का सारा काम जीजी मा (Jiji Ma) ही करती। मुझसे कहती, बिट्टू.. तू अपनी सेहत का ध्यान रख… इस समय शरीर कमजोर हो जाता है। ठीक से खाया कर, ज्यादा भागदौड़ मत कर बाकी मैं हूं ना सब संभाल लूंगी, तू चिंता क्यों करती है।
लेकिन सुहाना, जीजी मां का व्यवहार तो कितना रुखा है तेरे साथ और तू बोल रही थी वह तुझसे बहुत प्यार करती है?
पिताजी की मृत्यु तो कई साल पहले ही हो गई थी लेकिन दो महीने पहले मां जी का भी देहांत हो गया और जीजी मां वहां गांव में कैसे रहती अकेली? वीनू की जॉब और रिमझिम के स्कूल की वजह से हम वहां गांव में नहीं रह सकते थे। इसलिए हमने उन्हें यहां लाने के लिए सोचा और जीजी मां से बात की तो वो बोली जिसने जीवन भर साथ रहने का वादा किया जब वही तोड़ कर चले गए तो वह किसी के साथ नहीं जाना चाहती और वृद्धा आश्रम जाने की जिद्द पकड़ ली है।
वीनू और मैं किसी तरह उन्हें यहां तो ले आए लेकिन वह अभी भी अपनी जिद पर अड़ी है। इसलिए ऐसा व्यवहार करती है कि हम लोग परेशान होकर उन्हें वृद्धा आश्रम जाने दे। लेकिन शुभी मैं अपनी जीजी मां (Jiji Ma) की तरह ही जिद्दी हूं, मैं उन्हें कहीं नहीं जाने दूंगी। मैं तो भगवान को धन्यवाद देती हूं कि मुझे जीजी मां के साथ रहने का मौका मिला। मैं भी देखती हूं कब तक नहीं मानती वो।
सच सुहाना, तेरी सोच और सहनशक्ति ने तो मुझे भी एक नई राह दिखा दी। भगवान से प्रार्थना करूंगी कि तेरी सहनशक्ति बनी रहे और तू अपनी जीजी मां (Jiji Ma) को यहां रहने के लिए मना ले। और शुभी ने सुहाना को गले लगा लिया।
दोस्तों आप ही बताएं क्या सुहाना की जिद्द सही है या जीजी मां (Jiji Ma) का गुस्सा और वृद्धा आश्रम जाने का फैसला? आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी…..
ऐसे ही अन्य रोमांचक और प्रेरणादायक हिंदी कहानियों (hindi kahani) को पढ़ने के लिए हमारे वेब पेज Short Story in Hindi को विजिट करना ना भूले।
सुहाना की जिद सही है। समाज में एक नई दिशा दी है
बहुत बहुत आभार आंचल बृजेश जी सुहाना की ज़िद के रूप में समाज को एक नयी दिशा दिखाने के लिए।यदि बहू -बेटियाँ अपने बड़े बुजुर्गो को इतना आदर-सम्मान देने लगें तो जीवन खुशियो से झूम उठे।