बृहस्पतिवार व्रत कथा आरती। Brihaspati Vrat Katha Aarti Significance
Brihaspati Vrat Katha Aarti भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति की पूजा में गाया जाने वाला एक भक्ति गीत है। इसे Brihaspati Vrat Aarti या Guruvar ki aarti के नाम से भी जाना जाता है।
Brihaspativar ki aarti आमतौर पर Brihaspati Vrat Katha के अंत में या शाम की पूजा के दौरान गाया जाता है। आरती भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति के प्रति भक्त की कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक है और एक सुखी और समृद्ध जीवन के लिए उनका आशीर्वाद मांगती है।
बृहस्पति व्रत कथा आरती का महत्व – Brihaspati Vrat Katha Aarti or Brihaspati Dev ki Aarti Significance:
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ऐसा माना जाता है कि बृहस्पति व्रत कथा आरती जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और सफलता लाती है। यह Aarti किसी के जीवन से बाधाओं और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। घंटियों की आवाज और अगरबत्ती की सुगंध के साथ बृहस्पति व्रत आरती भक्ति और निष्ठा के साथ गाई जाती है।
बृहस्पति व्रत आरती के बोल – Brihaspati Vrat Aarti Lyrics or Brihaspati Dev ki Aarti Lyrics:
जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता । सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े । प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी । पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो । विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा, छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥ ॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ सब बोलो विष्णु भगवान की जय । बोलो बृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥
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