शिव आरती: भक्ति का उत्सव। Shiv Aarti: A Celebration of Devotion
Shiv Aarti भगवान शिव को समर्पित एक भक्ति भजन है। आईये Shivji ki Aarti in Hindi के मध्यम से हिंदू धर्म में इसके बोल, अर्थ और महत्व के बारे में जानें।
शिव आरती का अर्थ और महत्व – Meaning and Significance Jai Shiv Omkara Aarti in Hindi
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Shiv Aarti भगवान शिव को समर्पित एक भक्ति भजन है। यह शिव पूजा के दौरान किया जाता है और माना जाता है कि यह शक्तिशाली और परोपकारी भगवान शिव से आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करता है।
शिव आरती को एक मधुर धुन में सुनाया जाता है और इसके साथ घंटियों की लयबद्ध आवाज, ढोल की थाप और मंत्रों का जाप होता है।
शिव आरती हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखती है क्योंकि यह भगवान शिव की स्तुति करती है, जो ब्रह्मा और विष्णु के साथ तीन प्रमुख देवताओं में से एक हैं।
भगवान शिव को अज्ञानता का नाश करने वाले और अपने भक्तों के रक्षक के रूप में माना जाता है। इसलिए, शिव आरती भक्तों के लिए भगवान शिव के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने और उनका आशीर्वाद लेने का एक तरीका है।
Jai Shiv Omkara Aarti in Hindi का पाठ करने से भगवान शिव की शक्तिशाली ऊर्जा जागृत होती है और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा मिलती है। यह भक्त को शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास लाने वाला भी माना जाता है।
शिव आरती हिंदू धर्म में कई पीढ़ियों से चली आ रही है। इसकी उत्पत्ति का पता वैदिक मंत्रों से लगाया जा सकता है, और तब से यह हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अभिन्न अंग बन गया है।
चाहे आप भगवान शिव के भक्त हों या केवल हिंदू धर्म के बारे में अधिक जानने में रुचि रखते हों, शिव आरती को सुनना और उसमें लीन होना अंतरमन को एक सुकून प्रदान करता है।।
शिवजी की आरती- Shivji ki Aarti Lyrics – Jai Shiv Omkara Aarti in Hindi
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी । सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा । पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा । भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला । शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा...॥
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