होली एक, रूप अनेक। Holi Festival 11 Types: Celebrating Diversity in India

होली एक, रूप अनेक। Holi Festival 11 Types: Celebrating Diversity in India

भारत अपनी विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है, और इसकी झलक देश भर में होने वाले विभिन्न प्रकार के होली समारोहों (Holi Festival) में दिखाई देता है। इस लेख में हम भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाई जाने वाली कुछ अलग-अलग प्रकार की होली (Holi Festival) जैसे रंग पंचमी (Rang Panchami), लट्ठमार होली (Lathmar Holi), बसंत उत्सव (Basanta Utsav), शिगमो पर्व (Shigmo Festival), फुलेरा दूज (Phulera Dooj) आदि के बारे में जानेंगे।

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1. होली त्योहार (Holi Festival) पर दो शब्द:

Table of Contents

होली भारत के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है और इसे रंगों और खुशियों का त्योहार माना जाता है। यह त्योहार हर साल फरवरी के अंत से मार्च के मध्य तक बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में होली मनाते हैं, जो पौराणिक कथाओं से प्रेरित है।

2024 में होली का उत्सव (Holi Festival 2024) रविवार 24 मार्च से शुरू होकर सोमवार 25 मार्च को समाप्त होगा। लेकिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होली के उत्सव की अलग-अलग शैलियाँ हैं जहाँ यह त्योहार एक सप्ताह से अधिक समय तक चलता है।

2. भारत में खेले जाने वाली विभिन्न प्रकार की होली – Different Types Of Holi In India:

2.1. फुलेरा दूज – Phulera Dooj or Phulera Dooj 2024

Phulera Dooj

उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन शहर में फूलों के साथ होली खेली जाती है जिसे फुलेरा दूज भी कहते हैं। फागुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को फुलेरा (Phulera Dooj ) दूज का उत्सव मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और लोगों में इसके प्रति काफी उत्साह होता है।

2.1.1 फुलेरा दूज 2024 में कब हैं – Phulera Dooj 2024 Date:

फागुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj) का उत्सव मनाया जाता है। वर्ष 2024 में 12 मार्च मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।

2.1.2 फुलेरा दूज त्यौहार और महत्व – Phulera Dooj Festival & Importance:

पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार फुलेरा दूज (Phulera Dooj) के ही दिन राधा रानी ने श्री कृष्ण से फूलों की होली खेली थी। तब से मथुरा, वृंदावन में इस दिन फूलों के साथ होली खेलने का एक बड़ा उत्सव मनाया जाता है।

फुलेरा दूज (Phulera Dooj) से ही होली की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन वृंदावन में मंदिरों को सजाया जाता है और लोग हजारों की संख्या में जुट कर एक दूसरे के साथ फूलों की होली खेलते हैं। फुलेरा दूज के दिन राधा-कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व होता है।

फुलेरा दूज का दिन अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती है। खास तौर से यह दिन विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

2.1.3 फुलेरा दूज (Phulera Dooj) मनाने की विधि-विधान:

फुलेरा दूज के दिन वृंदावन, मथुरा, गोकुल में राधा कृष्ण के मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। फुलेरा दूज के दिन राधा कृष्ण को पीले रंग का वस्त्र अर्पण करते हैं।

इस दिन मिष्ठान और माखन से अपने इष्ट देव राधा-कृष्ण को भोग लगाते हैं। इस दिन राधा-कृष्ण के भजन गाए जाते हैं और पीले रंग के पुष्प अर्पण किए जाते हैं।

यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है इसलिए फुलेरा दूज के दिन कोई भी शुभ कार्य आरंभ किया जा सकता है।

फुलेरा दूज राधा-कृष्ण की प्रेम के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है।


2.2. मध्य प्रदेश की रंग पंचमी – Madhya Pradesh’s Rang Panchami 2024:

Rang Panchami

होली का त्योहार इस वर्ष 24 और 25 मार्च को मनाया जाएगा। उत्तर भारत में रंगों की धूम तो “फुलेरा दूज – Phulera Dooj” से ही दिखाई देने लगती है। रंग पंचमी (Rang Panchami) होली के 5 दिन बाद मनाया जाने वाला उत्सव है जिसमें एक विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है।

इस शोभा यात्रा को ‘होली जुलूस’ या ‘फाग यात्रा’ या ‘गेर’ कहते है। ‘गेर’ (Gair) या ‘फाग यात्रा’ (Faag Yatra) सामाजिक समरसता का संदेश देता है और सभी जाति और वर्ग की बाधाओं को नकारता है।

इस शोभायात्रा में लाखों की संख्या में लोग जुटते हैं और इसमें वाटर टैंक से लोगों के ऊपर रंगों की बौछार की जाती है। यह मध्य प्रदेश में इंदौर शहर की प्रसिद्ध होली है। रंग पंचमी (Rang Panchami) के दिन पूरा इंदौर शहर रंगों से नहाया हुआ होता है।

2.2.1 रंग पंचमी कब मनाई  जाती है When is Rang Panchami Celebrated :

 रंग पंचमी (Rang Panchami) होली के 5 दिन बाद मनाई जाती है। इस वर्ष यह 30 मार्च 2024 को मनाई जाएगी।

2.2.2 रंग पंचमी “’गेर’ (Gair) या ‘फाग यात्रा’ (Faag Yatra) या शोभायात्रा:-

वैसे तो देश में होली की तैयारियां शुरू हो चुकी है और मध्य प्रदेश में भी होली का त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। लेकिन होली से ज्यादा यहां लोगों में रंग पंचमी (Rang Panchami) को लेकर रोमांच होता है।

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में होने वाली रंग पंचमी की शोभायात्रा पूरे देश में अनोखी है। ‘गेर’ (Gair) या ‘फाग यात्रा’ (Faag Yatra) भी कहते हैं।

इंदौर शहर में लोग पूरे वर्ष इस शोभायात्रा का बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस शोभायात्रा में लाखों की संख्या में लोग जुटते हैं और पिचकारी अथवा वाटर टैंक से लोगों पर रंगों की बौछार की जाती है।

इस दिन पूरा शहर इंद्रधनुषी रंगों में डूबा हुआ दिखाई देता है। इंदौर में “गेर” यानी रंग पंचमी की शोभायात्रा निकालने की परंपरा दशकों पुरानी है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह परंपरा होलकर वंश (Holkar Dynasty) के समय में प्रारंभ हुआ था। रंग पंचमी के दिन राजघराने के लोग सुंदर सजे हुए रथो पर गुलाल लेकर सड़कों पर निकलते थे और लोगों के साथ होली खेलते थे।

ऐसा माना जाता है कि यह राजा और प्रजा के बीच एक अनोखा और मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने की कोशिश थी तब से यह परंपरा चली आ रही है।

2.2.3 यूनेस्को की धरोहर में गेर:

मध्य भारत में इंदौर शहर के लोग होली की तुलना में ‘गेर’ (Gair) के लिए अधिक उत्साहित रहते हैं। इसी कारण से सदियों पुराने इस परंपरा को यूनेस्को धरोहर में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

‘गेर’ (Gair) महोत्सव का आयोजन करने वाले अध्यक्ष के अनुसार वर्ष 2019  में ‘गेर’ (Gair) को यूनेस्को की धरोहर में शामिल करने के लिए आवेदन पत्र दिया गया था पर उस समय किन्ही कारणों से यह संभव नहीं हो पाया। लेकिन ‘गेर’ (Gair) को यूनेस्को की धरोहर में शामिल करने के लिए प्रयास आज भी जारी है।


2.3. लठ्ठ मार होली – Lathmar Holi / Lathmar Holi Barsana / Lathmar Holi 2024:

Lathmar Holi

पूरे भारत में होली प्रमुख त्यौहार है परंतु उत्तर प्रदेश के बरसाना, नंदगांव की लठमार (Lathmar Holi) होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां होली एक अलग ही रूप में देखा जा सकता है।

इसमें प्रेम और हर्षोल्लास होता है। इसमें लाठी-डंडों के साथ होली खेलते हैं। इसमें क्रोध नहीं बल्कि प्रेम ही झलकता है। होली के इस इंद्रधनुष्य रंग में बरसाना की होली का रंग पूरे विश्व में छाया रहता है।

2.3.1 लठ्ठ मार होली कैसे मनाते हैं? How to Celebrate Lathmar Holi:

वैसे तो ब्रज वासियों के लिए होली एक खास पर्व है। लेकिन बरसाना गांव में होली एक अलग ही तरह से बनाई जाती है जिसे लठमार होली (Lathmar Holi) भी कहते हैं।

यह राधा-कृष्ण के प्रेम के रूप में भी देखा जाता है इस होली में नंद गांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं सम्मिलित होती है। इस होली में नंदगांव के पुरुषों की टोली जब रंग और पिचकारी लिए बरसाना पहुंचती है तो वहां की महिलाएं उन पर लाठियां बरसाती है। पुरुषों को लाठियों से बचना होता है और बरसाना की महिलाओं को रंगो से भिगोना होना होता है, इसे लठमार होली (Lathmar Holi) करते हैं।

2.3.2 कुछ शब्द लठमार होली पर Few Words on Lathmar Holi:

“सब जग होरी, जा ब्रिज होरा” यानी सभी जगह तो होली खेली जाती है परंतु ब्रज की होली की बात ही निराली है यह दुनिया में अनूठी है।

कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण अपनी टोली के साथ बरसाना ग्राम में गोपियों के साथ होली खेलने जाते हैं और गोपियां उनसे बचने के लिए उनकी टोली पर लाठी-डंडों की बरसात कर देती है। श्रीकृष्ण की टोली उनके लाठी-डंडों से बचते हुए उन्हें रंग लगाने का प्रयास करती है।

तब से यह प्रथा चली जा रही है। जिसे आज भी लठमार होली (Lathmar Holi) के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान ठंडाई का भी खूब सेवन किया जाता है। कीर्तन मंडली या ढोल मजीरा के साथ गाती बजाती है।

2.3.3 कीर्तन मंडली द्वारा गाए जाने वाले कुछ लोकगीत:

"कान्हा बरसाने में आय जाइयो, बुलाए गई राधा प्यारी"
" फाग खेलन आए नटवर नंद किशोर”
"उड़त गुलाल लाल भरे बदरा"

2.4. डोला – Dola:

dola holi

भारत के उड़ीसा राज्य में होली एक अलग तरीके से मनाया जाता है, जिसे डोला कहते हैं। भारत के अन्य प्रांतों में होली का उत्सव दो दिन मनाया जाता है, लेकिन भारत के तटीय क्षेत्र उड़ीसा में डोला महोत्सव पांच से सात दिन तक चलने वाला लंबा उत्सव है।

यह उत्सव फागुन दशमी से प्रारंभ होता है, और फागुन की पूर्णिमा को समाप्त होता है।

 इस उत्सव में भगवान कृष्ण की शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसमे लोग बड़ी संख्या में एकत्र हो कर भगवान श्री कृष्ण को अबीर गुलाल लगाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं, और उन्हें भोग प्रसाद चढ़ाते हैं। और होली का उत्सव मनाते हैं।


2.5. फगुनवा – Phagunwa:

Phagunwa

फगुनवा भारत के बिहार राज्य में खेली जाने वाली होली है। यहां लोग ढोल और मंजीरा के साथ लोकगीत गाते – नाचते, ठंडाई और गुजिया का आनंद उठाते हैं।

इन सुंदर रंगों के जश्न को देखकर ऐसा लगता है यह कभी ना खत्म होने वाला उत्सव है। जो लोगों में भेदभाव को मिटा कर दिलों में भाईचारे का संचार कर देता है। तो आइए इस वर्ष ऐसी होली हम भी मनाए!


2.6. बसंत उत्सव (Basanta Utsav or Vasant Utsav) या डोल यात्रा (Dol Utsav):

 बसंत उत्सव (Basanta Utsav or Vasant Utsav) भारत के बंगाल राज्य में मनाया जाता है। इस उत्सव में यहां के लोग बसंत ऋतु का दिल खोलकर स्वागत करते हैं। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं, और रंग- गुलाल से होली खेली जाती है।

बसंत उत्सव जिसे प्रमुखता से डोला यात्रा (Dol Jatra or Dol Utsav) के नाम से पश्चिम बंगाल में जाना जाता है। यह यात्रा पश्चिम बंगाल की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। डोला यात्रा (Dol Jatra or Dol Utsav) में लोग जुलूस के साथ रंग और अबीर खेलते हैं। यह आनंद और खुशी से भरा एक मनमोहक दृश्य है। जिसे देख कर मन प्रसन्नता से भर जाता है।


2.7. शिग्मो – Shigmo Festival:

Shigmo

शिग्मो (Shigmo Festival) होली भारत  के  गोवा  राज्य में  मनया जाने वाला होली  उत्सव का  एक  रूप है। यह किसानों का विशेष त्योहारों  है, क्योंकि  वह  वसंत  ऋतु  का  पूरे  उत्साह  के  साथ  स्वागत  करते  हैं।

शिग्मो उत्सव  (Shigmo Festival) हर  वर्ष  चौदह  दिनों  तक  धूम- धाम  से  मनया  जाता है। शिग्मो  गोवा  के  पारंपरिक त्योहारों में  से  एक  है, जो  गोवा  के  कार्निवाल से बहुत अलग है।


2.8. योआसांग – Yoasang:

Yoasang

भारत  के  मणिपुर  में अंतिम पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला होली का त्योहार है। जिसे योसांगिस कहते हैं, यह छह दिनों तक चलने वाला उत्सव है।

पूरी घाटी उन दिनों उत्सव के रंगों में डूबी हुई होती है। यहाँ के लोग सड़क के किनारे बांस की झोपड़ी बनाकर इसमें रहते हैं, जिसे ‘याओसंग’ कहा जाता है।

भगवान चैतन्य की एक मूर्ति को  झोपड़ी में रखा जाता है। पूजा अर्चना की जाती है और भजन और कीर्तन गाये जाते हैं। अंतिम दिन, मूर्तियों को हटा दिया जाता है और ‘हरि बोला’ और ‘हे हरि’ के जाप के साथ झोपड़ी में आग लगा दी जाती है।

यहां कुओं में रंग मिला दिया जाता है, और लोगों पर छिड़काव किया जाता है। और भगवान कृष्ण की स्तुति में भक्ति गीत गाते और नाचते हैं।


2.9. मंजल कुली या उकुली – Manjal Kuli or Ukuli:

भारत के केरल राज्य में होली को मंजल कुली के रूप में मनाया जाता है, जिसे उकुली भी कहते हैं।

केरल के कुंबा और कोंकणी समुदायों का होली मनाने का एक तरीका है। होली खेलने के लिए यहां के लोग मुख्य रूप से हल्दी या मंजल कुली का प्रयोग रंग के रूप में करते हैं।


2.10. पकुवाह- Pakuwah:

पकुवाह असम में होली का एक रूप है। यह डोल जात्रा के जैसा ही होता है। और कुछ पश्चिम बंगाल के उत्सव की छटा भी दिखाई देती है।

पकुवाह दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव के पहले दिन, लोग अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए मिट्टी की झोपड़ी जलाते हैं। और दूसरे दिन रंगों के साथ होली का जश्न मनाते हैं।


2.11. होला मोहल्ला – Hola Mohalla:

यह पंजाब के निहंग सिखों  द्वारा मनाया जाता है। यह बहुत ही अनोखा होली का उत्सव है।

होली के एक दिन पहले लोग अपने परम्परागत युद्ध शैली का प्रदर्शन करते हैं, दिल खोलकर नाचते गाते हैं। दूसरे दिन रंग, गुलाल के साथ प्रेम पूर्वक होली खेलते हैं।


होली के बारे में अधिक जानने के लिए हमारा लेख Holi Festival Essay in Hindi पढ़े जिसमें आपको होली का इतिहास, होली का भोजन, होली गीत, सुरक्षा उपाय, होली की शुभकामनाएं, होली के उद्धरण इत्यादि पढ़ने को मिलेंगे।


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बृजेश कुमार स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय (Occupational Health, Safety, Environment and Community) से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं और चाय के पल के संस्थापक भी हैं।वह स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और सामुदायिक मामलों (Health, Safety, Environment and Community matters) के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम (Portsmouth University, United Kingdom) से व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में मास्टर डिग्री (Master's degree in Occupational Health, Safety & Environmental Management ) हासिल की है। चाय के पल के माध्यम से इनका लक्ष्य स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय से संबंधित ब्लॉग बनाना है जो लोगों को सरल और आनंददायक तरीके से स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में जानकारी देता हो।

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