डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर पर निबन्ध। Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh: Pioneering an Inclusive India

डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर पर निबन्ध। Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh: Pioneering an Inclusive India

आज Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh में हम उनके जीवन, शिक्षा और सामाजिक समानता की लड़ाई पर प्रकाश डालेंगे। यह तो हम सभी जानते हैं कि बाबा साहब अंबेडकर एक कानून विशेषज्ञ,अर्थशास्त्री ,धर्म शास्त्री, समाज सुधारक इत्यादि थे।

डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर का जीवन परिचय। Jeevan Parichay: Dr Babasaheb Ambedkar Nibandh

Dr. Bheem Rao babasaheb ambedkar nibandh
Dr B R Ambedkar, Picture Credit: BRAC College website

बाबा साहब अंबेडकर का नाम लेते ही हमें सबसे पहले  Indian Constitution याद आता है जो कि बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाया गया था।

बाबा साहब अंबेडकर ने स्वतंत्र भारत के संविधान की रचना की और उनके अथक प्रयासों ने ना केवल आधुनिक भारत की नींव रखी बल्कि पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए भी समानता का अवसर प्रदान किया

डॉ. भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को माहो नाम की एक छोटे से गांव में हुआ थाउनके माता-पिता रामराजी मालोजी सतपाल और भीम बाई मैहर जाति से थे जो भारत की जाति व्यवस्था में अछूत मानी जाती थी

इस सामाजिक दुर्व्यवहार और कुरीति के बावजूद भी अंबेडकर साहब एक प्रभावशाली नेता और सामाजिक न्याय और दलितों के मसीहा के रूप में जाने जाते हैं

शिक्षा और योग्यता:- Ambedkar thoughts on education

अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने के लिए अंबेडकर साहब ने उच्च शिक्षा को ही अपनी तलवार बनाई। उन्हें यह पता था, कि उच्च शिक्षा से ही समाज में व्याप्त इस कुरीति को मिटाया जा सकता है। अपने और अन्य दलित समाज के लोगों के साथ हो रहे इस सामाजिक भेदभाव को दूर करने का, एक दृढ़ संकल्प उनके अंदर था। 

उस समय भारत की सामाजिक व्यवस्था में जहां दलित वर्ग के लोगों को ना तो पूजा घर में प्रवेश करने की अनुमति थी, ना ही समाज के उच्च वर्गों में उठने बैठने की। शिक्षा ही एकमात्र ऐसा विकल्प था ,जिससे दलित वर्ग के लोगों के जीवन को सुधारा जा सकता था। 

उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई से अपनी स्नातक किया और कोलंबिया यूनिवर्सिटी अमेरिका और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट (Doctorate in Economics from Columbia University and London School of Economics ) किया।

इसके अलावा उन्होंने  ग्रेज इन लंदन (Gray’s Inn, London) से बैरिस्टर-एट-लॉ  (barrister-at-law) की डिग्री प्राप्त  की। इस ज्ञान और शिक्षा ने उन्हें कानून अर्थशास्त्री और सामाजिक मुद्दे समझने में मदद  किया।

भेदभाव और सामाजिक अन्याय का सामना । Facing Discrimination and Social Injustice:

अंबेडकर जी ने अपने संपूर्ण जीवन काल में जाति व्यवस्था पर आधारित भेदभाव का सामना किया। उस समय दलित समाज के लोगों को शिक्षा का अधिकार नहीं था। उनकी विरोध और प्रयासों से उन्हें शिक्षा का अधिकार तो प्राप्त हुआ लेकिन स्कूल में उन्हें अन्य विद्यार्थियों की तरह पानी पीने की अनुमति नहीं थी।

क्योंकि वह दलित समाज से थे इसलिए उन्हें अछूत माना जाता था। उन्हें स्कूल कॉलेज ही नहीं बल्कि अन्य कई सार्वजनिक स्थानों में अछूत होने का सामना करना पड़ा। यह अनुभव उनके सामाजिक न्याय और समानता की लड़ाई में दृढ़ संकल्प बन गई।

डॉक्टर अंबेडकर की सामाजिक समानता के लिए लड़ाई । Dr. Ambedkar's Fight for Social Equality:

महाड़ सत्याग्रह । Mahad Satyagraha:-

भारतीय जाति व्यवस्था के कारण दलितों को अन्य हिंदू जातियों से अलग कर दिया गया था। उन पर यह प्रतिबंध था कि अन्य हिंदू जातियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी पीने के स्थान जैसे कि कुए, तालाब और सड़कों का दलित समाज के लोग उपयोग नहीं कर सकते।

अगस्त 1923 में, बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि दलित समाज के लोगों को भी उस सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए ।

 जनवरी 1924 महाड में, एक अधिनियम लागू करने के लिए अपनी नगरपालिका परिषद में प्रस्ताव पारित किया कि दलित वर्ग के लोगों को भी उस सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन सवर्ण हिंदुओं के विरोध के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका ।

 1972 में डॉक्टर अंबेडकर ( Dr. Bhim Rao Ambedkar) ने समाज की कुरीति के खिलाफ एक सत्याग्रह शुरू करने का फैसला किया। कोंकण के एक शहर महाड को इस आयोजन के लिए चुना। इस सत्याग्रह में दलित समाज का सार्वजनिक स्थानों का उपयोग और समान रूप से पानी के उपयोग के अधिकारों को दावा प्रस्तुत किया। यह घटना उनकी जाति प्रथा और सामाजिक असमानता के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत थी।

गोल मेज सम्मेलन । Round Table Conference:-

अंग्रेज़ सरकार द्वारा भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए 1930-32 के बीच तीन गोलमेज सम्मेलन (Round Table Conference) आयोजित किये गए, इसमें बाबा साहब अंबेडकर ने अहम भूमिका निभाई। जिसमें भारत के भविष्य के संविधान पर चर्चा हुई।

ambedkar at the round table conference
Credit: Wikimedia Commons, Dr ambedkar at the round table conference

बी.आर. अम्बेडकर ने अछूत लोगों के लिए अलग राजनीतिक प्रतिनिधि, चुनाव क्षेत्र और समानता के अधिकारों की मांग की। जिससे दलित समाज के लोगों को राजनीतिक प्रतिनिधि और अधिकारों को सुरक्षा मिल सके। उनका मानना था कि, दलितों को भी इस प्रकार अनदेखा नहीं किया जा सकता। उनका यह प्रयास  वास्तव मे दलितो के लिए उपहार था।

पूना समझौता । Poona Samjhauta:-

1932 में सरकार ने अंबेडकर जी की दलितों के लिए अलग चुनाव क्षेत्र की मांग को स्वीकार कर लिया लेकिन महात्मा गांधी जी इस विचार से सहमत नहीं थे। इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया।

महात्मा गांधी जी के अनशन के बाद पूना समझौता हुआ जिसमें अलग चुनाव क्षेत्र की जगह प्रांत विधान सभाओं में दलित समाज के लिए आरक्षित सीटों का प्रावधान किया गया। साथ ही अछूत लोगो के शिक्षा के लिए अनुदान में पर्याप्त राशि नियत करवाईं और सरकारी नौकरियों में बिना किसी भेदभाव के दलित समाज के लोगों की जगह को सुनिश्चित किया।

अंबेडकर जी ने महात्मा गांधी जी के इस अनशन को अछूतों को उनके राजनीतिक अधिकारों से वंचित करने और उन्हें उनकी माँग से पीछे हटने के लिये गांधी जी द्वारा खेला गया एक नाटक बताया। उन्होंने ‘स्टेट ऑफ मायनॉरिटी – State and Minorities’ नामक अपने  किताब में  पूना पैक्ट संबंधी नाराजगी व्यक्त की है।

भारत के संविधान की रचना । Drafting the Constitution of India:

ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति । Appointment as the Chairman of the Drafting Committee:

Credit: Wikimedia Commons, Drafting Committee Members of Indian Constitution

1947 में जब भारत को आजादी मिली तब अंबेडकर जी को ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। इस कमेटी ने उज्जवल भारत के उज्जवल भविष्य के लिए भारत का अपना संविधान तैयार करने का दायित्व उठाया।

 डॉ. भीम राव अम्बेडकर की कानून की गहरी समझ, संवैधानिक ज्ञान और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए एक उत्तम उम्मीदवार बनाते थे।

भारतीय संविधान निर्माण में उनका योगदान । His contribution in the Drafting of the Indian Constitution:-

 डॉ. भीम राव अम्बेडकर का भारतीय संविधान में योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने इसके प्रावधानों का प्रारूप तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. भीम राव अम्बेडकर को अक्सर भारतीय संविधान के पिता के रूप में जाना जाता है।

अम्बेडकर को 1947 में भारतीय संविधान का प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने ऐसे संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए अथक परिश्रम किया, जो स्वतंत्र भारत की आकांक्षाओं को दर्शाता हो। उन्होंने दलित समाज का सुधार, शिक्षा के अधिकार और समानता के अधिकार सहित कई प्रगतिशील प्रावधानों को शामिल करने के लिए संघर्ष किया जिसे मौलिक अधिकार (Maulik Adhikar) के रूप में संविधान में जाना जाता है।

भारतीय संविधान में अंबेडकर के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक है, इसे एक धर्मनिरपेक्ष संविधान बनाने पर उनका जोर था। उन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारत के निर्माण की दिशा में काम किया। भारतीय संविधान धर्म की स्वतंत्रता देता है, और किसी भी नागरिक के साथ उनके धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

एक न्यायसंगत और समतामूलक समाज के लिए अम्बेडकर का दृष्टिकोण भारतीय संविधान के प्रावधानों में दिखाई देता है। उन्होंने अल्पसंख्यक अधिकारों का समर्थन किया और एक ऐसा संविधान बनाने की दिशा में काम किया जो सभी नागरिकों के लिए उनकी जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बिना समान अधिकार देता हो।

यहां पर हम आपको बताते चलें कि भारतीय संविधान को बनाने में भीमराव अंबेडकर जी के अलावा बहुत सारे लोग सम्मिलित थे और सबका अलग-अलग और महत्वपूर्ण योगदान है।

अम्बेडकर का शिक्षा क्षेत्र में योगदान । Ambedkar's Work in Education:-

लोगों के लिए एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना बाबा साहब अंबेडकर को शिक्षा का परिवर्तन करने वाले शक्ति के रूप में मानते हैं। 1945 में उन्होंने People’s Education Society  की स्थापना की जिसका उद्देश्य समाज के पिछड़े और अशिक्षित लोगों को शिक्षित करना था।

अंबेडकर जी ने मुंबई में सिद्धार्थ कॉलेज और औरंगाबाद में मिलिंद कॉलेज जैसे कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके प्रयास और शिक्षा को बढ़ावा देने के कारण निम्न जाति के लोगों को शिक्षा का माहौल देना और दलित समाज के लोगों को सशक्त बनाना था।

बाबा साहब सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक समानता को हमेशा बढ़ावा देते थे।

महिला सशक्तिकरण के लिए योगदान । Contribution to women empowerment :-

 डॉ. अंबेडकर महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर थे और उन्होंने महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए  प्रयास किया। महिला सशक्तिकरण (Mahila Sashaktikaran) में उनके कुछ योगदान इस प्रकार हैं।

महिला सशक्तिकरण के महत्व और उत्सव के उद्देश्य के बारे में जानने के लिए हमारा Antrashtriy Mahila Divas लेख पढ़ें।

महिलाओं का मताधिकार । Women's Suffrage :

 डॉ. अंबेडकर महिलाओं के वोट देने के अधिकार के समर्थक थे और उन्होंने इस विषय पर विशेष ध्यान दिया कि भारतीय संविधान में महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया जाए।

महिला शिक्षा । Women's Education :

डॉ. अम्बेडकर का मानना ​​था कि शिक्षा महिलाओं को और सशक्त बना सकता है और उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम किया। उन्होंने महिलाओं के लिए कई स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की और उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

महिलाओं का संपत्ति में अधिकार । Property Rights of Women :

डॉ. बाबा साहब अंबेडकर महिलाओं के संपत्ति के अधिकार के समर्थक थे। महिलाओं का संपत्ति में अधिकार के लिए उन्होंने संविधान में यह सुनिश्चित करने का काम किया कि महिलाओं को भी संपत्ति में समान अधिकार दिए जाएं।

विवाह और तलाक कानून । Marriage and Divorce Law:

डॉ. अंबेडकर ने हिंदू विवाह अधिनियम और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में सुधार के लिए प्रयास किया। उन्होंने संविधान में यह भी सुनिश्चित किया कि महिलाओं को विवाह और तलाक में अधिक कानूनी अधिकार प्राप्त हो। संविधान में महिलाओं के अपने स्वयं के साथी चुनने के अधिकार और बाल विवाह जैसी प्रथा को खत्म करने का भी प्रावधान दिया।

रोजगार के अवसर । Employment Opportunities:

डॉ. अम्बेडकर जी का मानना ​​था कि महिलाओं को रोजगार के समान अवसर मिलने चाहिए और उन्होंने सभी कार्य क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी और समावेशन (Inspire Women Inclusion) को बढ़ावा देने के लिए काम किया। उन्होंने महिला उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं और महिलाओं को पुरुष प्रधान क्षेत्रों में भी करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

बाबा साहब का धर्म के प्रति विचार । Babasaheb's views on Religion:

हिंदू धर्म । Hindu Religion:

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर हिंदू धर्म में खासकर जाति प्रथा और धर्म के भेदभाव, ऊंच-नीच के व्यवहार का कट्टर विरोध करते थे। उनका मानना था कि हिंदू धर्म के अंदर सामाजिक सुधार लगभग असंभव है क्योंकि इसमें जाति व्यवस्था को अधिक महत्व दिया गया है।

बौद्ध धर्म । Buddhism:

1956 में अंबेडकर ने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपना लिया। उन्होंने बौद्ध धर्म को एक समानता वाली धर्म (सबको समान दृष्टि से देखने वाला धर्म) बताया जो समाज की न्याय और समानता का समर्थन करती है यह परिवर्तन भारत में Neo-Buddhist आंदोलन की शुरुआत थी।

विरासत और प्रभाव । Legacy and Influence:

अंबेडकरवादी आंदोलन । Ambedkarite movement :-

डॉ. अंबेडकर जी का सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष अंबेडकरवादी आंदोलनों को प्रेरित करता रहा है। जो भारत के दलित समाज के अधिकारों और गौरव के लिए लड़ाई लड़ती है।

बाबा साहब अपने जातिवादी आंदोलनों से भारत के सामाजिक व्यवस्था और छुआछूत को हमेशा ही चुनौती देते रहे और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा भी देते रहे है।

पुरस्कार और सम्मान । Awards and Honors:

बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को भारत में अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1990 में उन्हें भारत रत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) देकर सम्मानित किया गया।

बाबा साहब अंबेडकर को 1956 में बोधिसत्व, 2004 में पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम और 2012 में द ग्रेटेस्ट इंडियन जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया

Bharat Ratna Picture
Credit: Wikimedia Commons, Bharat Ratna Picture

डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखी गई पुस्तकें । Books written by BR Ambedkar:

Books written by Dr. Ambedkar
Credit: Amazon.in, Books written by Dr. BR Ambedkar

डॉ. भीम राव अम्बेडकर न केवल एक महान राजनेता और समाज सुधारक थे, बल्कि एक प्रसिद्ध लेखक भी थे। उन्होंने सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और धर्म सहित कई विषयों पर पुस्तकें और लेख लिखे। इस लेख में उनके कुछ पुस्तकों का उल्लेख किया गया है।

Annihilation of Caste:-

अंबेडकर साहब की यह रचना सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में से एक मानी जाती है। इस पुस्तक में यह जाति व्यवस्था की तीखी आलोचना करता है और तर्क देता है कि जाति व्यवस्था भारत में सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिए सबसे बड़ी बाधा बन सकता है।

The Buddha and His Dhamma:

इस पुस्तक में बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं के बारे में बताया गया है। बौद्ध धर्म अपनाने वाले बाबासाहेब आंबेडकर ने बौद्ध धर्म को जाति व्यवस्था के उत्पीड़न से बचने और सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के तरीके के रूप में देखा।

Pakistan or the Partition of India:

इस पुस्तक में उन ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण है जो भारत पाकिस्तान विभाजन का कारण बनी अम्बेडकर विभाजन के कट्टर विरोधी थे। और उनका मानना था कि इससे और अधिक हिंसा और विभाजन ही होगा, एकता समृद्धि और समानता नहीं।

Who Were the Shudras:

इस पुस्तक में अंबेडकर जी ने शुद्र जाति के इतिहास और उत्पत्ति के बारे में लिखा है। उनका तर्क है कि कि शूद्र जाति के लोग मूल रूप से क्षत्रिय जाति का हिस्सा थे। लेकिन बाद में ब्राह्मणों द्वारा उन्हें निम्न सामाजिक स्थिति में स्थापित कर दिया गया।

The Untouchables:

इस पुस्तक में भारत के सामाजिक व्यवस्था में अछूत जातियों के इतिहास और सामाजिक स्थिति का विवरण है। अंबेडकर का तर्क है कि अछूतों को हमेशा एक अलग जाति नहीं माना जाता था लेकिन ब्राह्मणों द्वारा उन्हें इस स्थिति में स्थापित किया गया।

Castes in India:

इस पुस्तक में भारत की जाति व्यवस्था का विस्तार पूर्वक विश्लेषण किया गया है। अंबेडकर जी जाति व्यवस्था की उत्पत्ति, विकास के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव पर प्रकाश डाला है।

निष्कर्ष । Conclusion:-

डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर के जीवन और उपलब्धियां, शिक्षा और कठिनाइयों के सामने धैर्य और दृढ़ संकल्प की शक्ति दिखाता है। उन्हें सामाजिक न्याय के प्रति अटूट प्रेम, भारत के संविधान को ड्राफ्ट करने में उनका योगदान और दलित वर्ग के लोगों के लिए लड़ाई लड़ने वाले  के रूप में जाना गया।

अंबेडकर जी के लेख और पुस्तकें आज भी लोगों को प्रेरणा देती है और भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मुद्दों पर एक अलग दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।

डॉ. भीम राव अम्बेडकर दूरदर्शी राजनीतिक नेता, समाज सुधारक और दार्शनिक थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत में वंचित समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए समर्पित कर दिया और एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण की दिशा में काम किया।

 भारतीय संविधान में उनका योगदान और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अग्रणी भूमिका रही। महिला सशक्तिकरण में अम्बेडकर का योगदान आज भी लोगों को प्रेरणा देने का काम करता है और समानता के लिए चल रहे संघर्ष की याद दिलाता है।

उनके विचार और दृष्टिकोण दुनिया भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रेरित करती है जो महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए प्रयास रत है।

बाबा साहब अंबेडकर के विचार आज भी लाखों भारतीयों की प्रेरणा का स्रोत है,और एक स्वतंत्र और समान भारत के लिए उनके विचार और दृष्टिकोण आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवनकाल में थे।

Frequently Asked Questions on Dr Ambedkar Backgrounds, Dr Babasaheb Ambedkar Bhashan

 Q.1 बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म कब और कहां हुआ था?

A.1 बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को माहो नाम की एक छोटे से गांव में हुआ था।

 

 Q.2 बाबा साहब अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक क्यों कहा जाता है?

 A.2 बाबा साहब अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन के रूप में संविधान को स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांतों का आधार दिया।

 

 Q.3 अंबेडकर ने  बौद्ध धर्म क्यों अपनाया?

 A.3 अंबेडकर ने बुद्ध धर्म इसलिए अपनाया क्योंकि उन्होंने इसे एक समानता  वादी  धर्म माना जो सामाजिक न्याय और बराबरी का समर्थन करता है।

 

Q.4 महाड सत्याग्रह का क्या महत्व है?

 A.4 महाड सत्याग्रह अस्पर्शता और भेदभाव के खिलाफ शुरू किया गया एक आंदोलन था। अंबेडकर जी का जाति व्यवस्था और सामाजिक असमानता को मिटाने का दृढ़ संकल्प इस सत्याग्रह के रूप में आरंभ हुआ।

 

 Q.5 डॉक्टर बी आर अंबेडकर को भारत रत्न कब दिया गया?

 A.5 डॉक्टर बी आर अंबेडकर को 1990 में भारत रत्न “भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार” देकर सम्मानित किया गया।

 

 Q.6 अंबेडकर का People’s Education Society में क्या योगदान था?

 A.6 अंबेडकर जी ने 1945 में पीपल एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की जिसका उद्देश्य निम्न और पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षित करना था। उनका यह मानना था, कि शिक्षा ही इस सामाजिक व्यवस्था को बदल सकती है।

मोटिवेशनल अम्बेडकर कोट्स । Motivational Ambedkar Quotes in Hindi , Ambedkar Quotes in Hindi

  • शिक्षा से ही हम समाज में भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं।“डॉ बी आर अंबेडकर”
  •  शिक्षा के बिना हमारे विचार और सोच दोनो ही संचित रह जाते हैं।“डॉ बी आर अंबेडकर”
  • संघर्ष करते रहो क्योंकि जीत उसी की होती है जो कभी हार नहीं मानता हैं।“डॉ बी आर अंबेडकर”
  •  शिक्षा ही जीवन का सबसे मजबूत आधार है। “डॉ बी आर अंबेडकर”
  •  शिक्षा ही हर समस्या का समाधान है समाज में समानता लाने का माध्यम है। “डॉ बी आर अंबेडकर”
  • शिक्षा ही वह उजाला है जो अंधकार को दूर करते हुए सही मार्ग पर चलने का रास्ता दिखा सकता है। “डॉ बी आर अंबेडकर”

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आँचल बृजेश मौर्य चाय के पल की संस्थापक के साथ-साथ इस वेबसाइट की प्रमुख लेखिका भी है। उन्होंने ललित कला (फाइन आर्ट्स – Fine Arts) में स्नातक, संगीत में डिप्लोमा किया है और एलएलबी की छात्रा (Student of LLB) है।ललित कला (फाइन आर्ट्स) प्रैक्टिस और अपनी पढ़ाई के साथ साथ, आंचल बृजेश मौर्य विभिन्न विषयों जैसे महिला सशक्तिकरण, भारतीय संविधान, कानूनों और विनियमों इत्यादि पर ब्लॉग लिखती हैं। इसके अलावा उनकी रुचि स्वरचित कहानियां, कविताएं, बच्चों के लिए कहानियां इत्यादि लिखने में है।

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